Friday, October 10, 2025
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शुभांशु शुक्ला बनेंगे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाने वाले पहले भारतीय

नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के पायलट 39 वर्षीय ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अगले कुछ महीने बाद इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाने वाले पहले भारतीय बन सकते हैं। उन्हें एक प्राइवेट स्पेसफ्लाइट एक्सिओम मिशन 4 (Axiom Mission, Ax-4) के लिए चुना गया है। 

इस मिशन की तारीख अभी तय नहीं की गई है लेकिन कंपनी के अनुसार इसे इसी साल मार्च और जून के बीच अंजाम दिया जा सकता है। शुक्ला की तरह, इस मिशन पर दो अन्य अंतरिक्ष यात्री, पोलैंड से स्लावोज उज़्नान्स्की- विस्निव्स्की और हंगरी से टिबोर कापू भी अंतरिक्ष में जाने वाले अपने-अपने देशों से दूसरे अंतरिक्ष यात्री होंगे। इस मिशन में चौथे यात्री अमेरिका के पेगी विट्सन हैं।

शुभांशु शुक्ला: इसरो के गगनयान मिशन का भी हिस्सा 

शुक्ला भारत के अपने मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन गगनयान के लिए भी चुने गए चार भारतीय वायु सेना अधिकारियों में से एक हैं। इसरो का यह मिशन 2026 में पूरा किया जाना है। एक्सिओम 4 मिशन दरअसल गगनयान से पहले इसरो और नासा के बीच साझेदारी की बदौलत है। 

नासा और उसके अंतरराष्ट्रीय साझेदारों ने एक्स-4 के क्रू के चालक दल के नामों की मंजूरी दी है। इस मिशन के लिए चारों अंतरिक्ष यात्री फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट से रवाना होंगे। 

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से डॉक करने के बाद चारों निजी अंतरिक्ष यात्री 14 दिन वहां बिताएंगे। इस यात्रा के दौरान नासा के पूर्व अंतरिक्ष यात्री और एक्सिओम स्पेस (Axiom Spaace) में मानव अंतरिक्ष उड़ान के निदेशक पैगी व्हिटसन कमर्शियल मिशन की कमान संभालेंगे। वहीं इसरो के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला पायलट के रूप में काम करेंगे। अन्य दो एस्ट्रोनॉट मिशन विशेषज्ञ के तौर पर इसमें शामिल होंगे।

शुभांशु शुक्ला का लखनऊ से है नाता

एक्सिओम स्पेस ने एक बयान में बताया, ‘शुक्ला का जन्म 10 अक्टूबर 1985 को लखनऊ में हुआ था। शुक्ला अंग्रेजी और अपनी मूल भाषा हिंदी दोनों में पारंगत हैं। उनके पास Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर, और एएन-32 सहित विभिन्न विमानों में 2,000 घंटे की उड़ान का प्रभावशाली अनुभव है।

वहीं, शुक्ला ने गुरुवार को एक ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान खुलासा किया कि वह अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय राकेश शर्मा के साथ लगातार संपर्क में रहे हैं। शर्मा 1984 में एक सोवियत मिशन के तहत अंतरिक्ष में गए थे।

उन्होंने कहा, ‘विंग कमांडर राकेश शर्मा (गगनयान के लिए) अंतरिक्ष यात्रियों के चयन से लेकर जिस तरह के प्रशिक्षण से हम गुजर रहे हैं, उन सभी प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं। हम नियमित रूप से संपर्क में रहते हैं। वह मेरे लिए एक तरह से गुरु हैं और मुझे कई चीजों पर सलाह दे रहे हैं कि इस मिशन से क्या उम्मीद करनी है और कैसे तैयारी करनी है।’

शुभांशु शुक्ला ने कहा कि वह राकेश शर्मा से मिली कोई चीज लेकर अंतरिक्ष में जा रहे हैं, लेकिन मिशन पूरा होने से पहले इसका खुलासा नहीं करना चाहेंगे।

यह भी पढ़ें- इसरो का 100वां मिशन: एनवीएस-02 नेविगेशन सैटेलाइट सफलतापूर्वक लॉन्च

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