Thursday, October 9, 2025
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Video: ‘गिरफ्तारी से पहले मैंने इस्तीफा दे दिया था…’, केसी वेणुगोपाल ने छेड़ा 2010 का मामला; अमित शाह ने दिया जवाब

नई दिल्ली: गिरफ्तारी पर संवैधानिक पद से हटाने के प्रावधानों वाले बिल को सरकार की ओर से लोकसभा में पेश करने के दौरान सदन में जमकर हंगामा हुआ। इस दौरान तीखी बहस भी देखने को मिली। इसी दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने 2010 में खुद की गिरफ्तारी से पहले इस्तीफा दे दिया था। साथ ही अमित शाह ने अपने ऊपर लगाए गए तब के आरोपों को झूठा भी करार दिया। अमित शाह ने कहा कि गिरफ्तारी से पहले अपने पद से इस्तीफा देकर उन्होंने संवैधानिक सिद्धांतों का पालन किया। 

अमित शाह की यह टिप्पणी कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल द्वारा उठाए गए सवाल के बाद आई। केसी वेणुगोपाल ने 2010 में हुई अमित शाह की गिरफ्तारी के बारे में सवाल पूछा था। यह बहस शाह की ओर से निचले सदन में संविधान (एक सौ तीसवां संशोधन) विधेयक- 2025 सहित तीन विधेयक पेश करने के तुरंत बाद हुई। इस विधेयक में भ्रष्टाचार या गंभीर अपराध के आरोपों का सामना कर रहे प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्रियों को लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रहने पर पद से हटाने का प्रस्ताव है। 

गृह मंत्री ने केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 भी पेश किया। यह विधेयक जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 54 में संशोधन का प्रस्ताव करता है ताकि गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तारी या नजरबंदी की स्थिति में मुख्यमंत्री या मंत्री को पद से हटाया जा सके। 

केसी वेणुगोपाल के सवाल पर अमित शाह का जवाब

सत्र के दौरान, कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने आरोप लगाया, ‘यह विधेयक संविधान के मूल सिद्धांतों को तहस-नहस करने के लिए है। भाजपा सदस्य कह रहे हैं कि यह विधेयक राजनीति में नैतिकता लाने के लिए है। क्या मैं गृह मंत्री से एक सवाल पूछ सकता हूँ? जब वे गुजरात के गृह मंत्री थे, तब उन्हें गिरफ्तार किया गया था – क्या उन्होंने उस समय नैतिकता का पालन किया था?’

इस पर अमित शाह खड़े हुए और कहा, ‘अब मुझे सुनिए, मैं यहां रिकॉर्ड साफ कर देना चाहता हूं। मुझ पर झूठे आरोप लगाए गए। लेकिन गिरफ्तारी से पहले ही मैंने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया था। और जब तक अदालत ने मुझे बरी नहीं कर दिया, तब तक मैंने कोई पद नहीं संभाला…।’

शाह ने बाद में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से तीनों विधेयकों को सदनों की एक संयुक्त समिति को भेजने का अनुरोध किया, जिसमें लोकसभा के 21 सदस्य और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल होंगे। इन्हें क्रमशः अध्यक्ष और उपसभापति द्वारा नामित किया जाएगा। 

बता दें कि जुलाई 2010 में गुजरात के तत्कालीन गृह राज्य मंत्री अमित शाह को गैंगस्टर सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और सहयोगी तुलसीराम प्रजापति के कथित फर्जी मुठभेड़ के सिलसिले में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने गिरफ्तार किया था। एजेंसी ने फोन रिकॉर्ड और अन्य ‘सबूत’ पेश किए थे। गिरफ्तारी से पहले शाह ने अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उन्हें साबरमती जेल में न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। हालांकि, उसी साल बाद में उन्हें जमानत भी मिल गई थी। दिसंबर 2014 में, एक विशेष सीबीआई अदालत ने सबूतों के अभाव में उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया था।

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