Friday, October 10, 2025
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‘मैं भी गुजरात से आता हूं’, भाषा विवाद को लेकर डीएमके पर बरसे अमित शाह

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का कहना है कि दिसंबर के बाद वह हर राज्य के मुख्यमंत्री, सांसद, मंत्री और नागरिकों से उनकी ही भाषा में पत्र व्यवहार करने वाले हैं। जो लोग अपने भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए भाषा के नाम पर दुकान चलाते हैं, उनके लिए यह एक मजबूत जवाब है। भारत की एक-एक भाषा भारत की संस्कृति का गहना है।  उन्होंने कहा कि अपने भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी भाषा को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही है।

राज्यसभा में गृह मंत्रालय के कामकाज पर हुई शुक्रवार को चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने ये बातें कहीं। शाह ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) इस मुद्दे को गांव-गांव लेकर जाएगा और डीएमके की पोल खेलेगा। उन्होंने, ‘हिंदी की किसी भी भारतीय भाषा से स्पर्धा नहीं है। हिंदी सभी भारतीय भाषाओं की सखी है। हिंदी से ही सभी भारतीय भाषाएं मजबूत होती हैं और सभी भारतीय भाषाओं से ही हिंदी मजबूत होती है।’

हिंदी भाषा विवाद पर बोले अमित शाह?

उन्होंने राज्यसभा में कहा, “मैं आज इस मंच से कहना चाहता हूं कि तमिलनाडु की सरकार को हम दो साल से कह रहे हैं कि आप में हिम्मत नहीं है, इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई को तमिल भाषा में अनुवाद करवाने की, क्योंकि इसके पीछे आपके आर्थिक हित जुड़े हुए हैं। मगर, हमारी सरकार आएगी तो हम मेडिकल और इंजीनियरिंग का कोर्स तमिलनाडु में तमिल में पढ़ाएंगे।”

गृह मंत्री ने कहा कि ये लोग क्या कहना चाहते हैं कि हम दक्षिण भारत की भाषाओं के विरोधी हैं। हम किसी भी राज्य की भाषा के विरोधी कैसे हो सकते हैं, हम भी तो वहीं से आते हैं, मैं गुजरात से आता हूं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण तमिलनाडु से आती हैं, कैसे हम विरोध कर सकते हैं। हमने भाषाओं के लिए काम किया है। हमने इंजीनियरिंग और मेडिकल जैसे पाठ्यक्रमों का अनुवाद क्षेत्रीय भाषाओं में किया है। जो लोग भाषा के नाम पर जहर फैला रहे हैं, मैं उनको कहना चाहता हूं कि आपको हजारों किलोमीटर दूर की कोई भाषा अच्छी लगती है। लेकिन, भारतीय भाषा अच्छी नहीं लगती।

तमिल का कोई बच्चा गुजरात में काम कर सकता है: शाह 

उन्होंने कहा कि तमिल का कोई बच्चा गुजरात में काम कर सकता है, दिल्ली में काम कर सकता है, कश्मीर में काम कर सकता है। भाषा के नाम पर देश के विभाजन के लिए बहुत सारा विवाद हो चुका, अब और नहीं करना चाहिए, देश आगे बढ़ चुका है। आप विकास की बात कीजिए, आप अपने घोटाले, भ्रष्टाचार छुपाने के लिए भाषा की बात करते हैं। हम एक्सपोज करेंगे, गांव-गांव जाकर एक्सपोज करेंगे।

ए काम कर रहा है। तमिल, तेलुगू, मराठी, गुजराती, पंजाबी, बंगाली, असमिया, हर भारतीय भाषा को बढ़ाने के लिए काम किया जा रहा है। हिंदी सभी भारतीय भाषाओं की सखी है। हिंदी से ही सभी भारतीय भाषाएं मजबूत होती हैं और सभी भारतीय भाषाओं से हिंदी मजबूत होती है। हिंदी की किसी भारतीय भाषा से स्पर्धा नहीं है।

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