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कंचनजंगा ट्रेन हादसाः मानवीय भूल या सिग्नल फेल, किन कारणों से गई 15 लोगों की जान, रेलवे बोर्ड ने रिपोर्ट में क्या कहा?

कोलकाता: पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी में सोमवार कंचनजंगा ट्रेन हादसे की शुरुआती जांच में नई बात सामने आई है। हादसे में 15 लोगों की मौत हुई है और 60 के करीब घायल हुए हैं जिनका सिलीगुड़ी के नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में इलाज चल रहा है।

रेलवे बोर्ड की शुरुआती रिपोर्ट में बताया गया है कि सोमवार को एक मालगाड़ी, जो खराब ऑटोमैटिक सिग्नल प्रणाली के साथ चल रही थी, कंचनजंगा एक्सप्रेस से टकराने के वक्त गति सीमा से अधिक तेज चल रही थी। जिस वक्त यह हादसा हुआ उस समय कंचनजंघा एक्सप्रेस ट्रेन न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन को पार कर सियालदह की तरफ जा रही थी, तभी पीछे से इसे एक मालगाड़ी ने टक्कर मार दी।

रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में रानीपतरा रेलवे स्टेशन और चत्तर हाट जंक्शन के बीच स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली सुबह 5.50 बजे से ही खराब थी। सिग्नल फेल होने के 15 मिनट के अंदर ही फॉर्म TA-912 जारी हो गया था। ये फॉर्म दोनों ट्रेनों को दिया गया था। और 15 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलाने का निर्देश दिया गया था। लेकिन मालगाड़ी के चालक ने इसे नजर अंदाज किया। इसी के चलते हादसा हुआ और 15 लोगों की जान चली गई। हालांकि मालगाड़ी किस गति से यात्रा कर रही थी, इसका खुलासा रेलवे बोर्ड ने नहीं किया है।

क्या होता फॉर्म TA-912 और कब होता है जारी?

जब ऑटोमैटिक सिग्नल प्रणाली खराब हो जाती है, तो रेलवे प्रोटोकॉल में TA-912 नामक एक लिखित अनुमति शामिल होती है। यह दस्तावेज ट्रेन ड्राइवरों को सिग्नल खराब होने के कारण सभी लाल सिग्नलों को पार करने के लिए अधिकृत करता है, बशर्ते वे सख्त सुरक्षा उपायों का पालन करें। कंचनजंगा एक्सप्रेस को टक्कर मारने वाली मालगाड़ी को भी रानी पतरा स्टेशन व चत्तर हाट जंक्शन के बीच सभी रेड सिग्नल पार करने की अनुमति दी गई थी। लेकिन संबंधित समस्या की स्थिति में उसने तय गति सीमा का पालन नहीं किया था।

कहां, क्या हुई गलती?

रेलवे नियमों के अनुसार, टीए 912 के तहत ड्राइवरों को प्रत्येक खराब सिग्नल पर एक मिनट के लिए रुकना चाहिए और अधिकतम 10 किमी प्रति घंटे की गति से आगे बढ़ना चाहिए। इसके अतिरिक्त, उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए कि पिछली ट्रेन सिग्नल को पार नहीं कर पाई है, उसे 150 मीटर की दूरी बनाए रखनी चाहिए। हालांकि, इस घटना में मालगाड़ी चालक ने इन महत्वपूर्ण शर्तों का उल्लंघन किया। कंचनजंगा एक्सप्रेस ने टीए 912 के साथ 9 स्वचालित सिग्नल पार कर लिए थे और आगे बढ़ने के लिए नई मंजूरी की प्रतीक्षा को लेकर रुक गई थी। पीछे से आ रही मालगाड़ी ने टक्कर मार दी। इस टक्कर से कंचनजंघा एक्सप्रेस ट्रेन के गार्ड का कोच, दो पार्सल कोच और पैसेंजर ट्रेन का एक जनरल सीटिंग कोच पटरी से उतर गया।  साथ ही मालगाड़ी के भी आगे का हिस्सा भी पटरी से उतर गया।

लोको पायलट संगठन ने उठाए सवाल?

ट्रेन हादसे में मारे गए लोको पायलट को दोषी ठहराए जाने पर उनके संगठन ने सवाल उठाए हैं। NDTV के मुताबिक, भारतीय रेलवे लोको रनिंगमैन संगठन (आईआरएलआरओ) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय पांधी ने  कहा, “लोको पायलट की मृत्यु हो जाने और सीआरएस जांच लंबित होने के बाद उन्हें ही जिम्मेदार ठहराना अत्यंत आपत्तिजनक है।”

रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष जया वर्मा सिन्हा ने कहा था कि टक्कर इसलिए हुई क्योंकि एक मालगाड़ी ने सिग्नल की अनदेखी की और सियालदह जा रही कंचनजंगा एक्सप्रेस को टक्कर मार दी। पांधी ने कहा कि हादसे की जांच अभी चल रही है और इस मामले में जल्दबाजी में नतीजा निकालना गलत होगा। उन्होंने कहा, हम इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग करते हैं और मृतक लोको पायलट के परिवार को उचित मुआवजा दिया जाए। पांधी ने यह भी कहा कि रेलवे सुरक्षा में सुधार के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए।

रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) ने दुर्घटना के कारणों की जांच शुरू की। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घटनास्थल का दौरा किया, राहत कार्यों की देखरेख की और पीड़ितों के परिवारों के लिए मुआवजे की घोषणा की। मरने वालों के परिवारों को 10 लाख रुपए, गंभीर रूप से घायलों को 2.5 लाख और मामूली रूप से घायलों को 50,000 रुपए दिए जाएंगे। प्रधानमंत्री कार्यालय और राज्य सरकार ने भी मुआवजे का ऐलान किया है।

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