Friday, October 10, 2025
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राज की बातः लालू यादव की धर्म पर कथनी और करनी में विरोधाभास

राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने प्रयागराज में चल रहे कुंभ को फालतू बताया है। लालू पहले भी हिन्दू धर्म के कार्यक्रमों की सार्वजनिक आलोचना अपने धर्म निरपेक्ष छवि को दिखाने के लिए करते रहे हैं।

लालू जो समाजवादी युवजन सभा के माध्यम से छात्र राजनीति के रूट से दलीय और फिर सत्ता की राजनीति में आए, निजी जीवन में हिंदू कर्म कांड और पूजा पाठ में सक्रिय रहे हैं। 

मुझे याद है, जब लालू आपातकाल में बांकीपुर केंद्रीय कारागार में बंद थे, इनकी पहली बेटी का जन्म उस वक्त के प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कमला आचारी की क्लीनिक में हुआ था। मैं दैनिक ‘सर्चलाइट’ में रिपोर्टर था। लालू की धर्मपत्नी रबड़ी देवी ने वेटरिनरी कॉलेज के क्लास फोर वाले निवास में बुलाया और निवेदन किया कि “साहब को सत्यनारायण पूजा के लिए जेल से आना पड़ेगा”।

मैने तत्कालीन मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र को रबड़ी देवी का अंगूठा लगा हुआ आवेदन दिया, जिस पर मुख्यमंत्री ने गृह विभाग के संयुक्त सचिव को पंद्रह दिनों का पैरोल पर लालू को जेल से बाहर किए जाने के आदेश दिया। लालू ने उस समय ronio पर निमंत्रण पत्र छपवाया और सत्यनारायण पूजा पर लोगों को आने का निवेदन किया। कोई तामझाम नहीं था। लोहे की कुर्सियां लगा दी गईं। लालू पीला कुर्ता और पीली धोती धारण कर प्रसाद और चरणामृत बांटे। उनके महत्वपूर्ण अतिथि में सिर्फ पटना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर देवेंद्र नाथ शर्मा आए। लालू जो ब्राह्मण को काफी गाली देते थे, ने अपनी माता मरीचिया देवी के श्राद्ध में 21 ब्राह्मण कर्मकांडी को गांव बुलाया। दान-दक्षिणा भी दी।

लालू जब चारा कांड में पहली बार बिहार सैन्य पुलिस, फुलवारी में अस्थाई जेल तत्कालीन चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट सुधांशु कुमार लाल द्वारा भेजे गए तब उन्हें कर्मकांड का सहारा लिया। रात में ही उनके सुरक्षा कर्मी भोजपुर जिला में एक तांत्रिक के यहां गए और लालू का संदेश दिया कि जमानत पर छूटने का इंतजाम किया जाए। 

लालू जी को तांत्रिक की सलाह पर नंगे होकर दूध से स्नान करा दिया गया। जेल से राहत मिली जब पहली बार रांची के विशेष सीबीआई कोर्ट ने उन्हें दोषी पाया और बिरसा मुंडा जेल में भेजा, तब रबड़ी देवी ने 10 सीरकलर  रोड स्थित आवास में दस दिनों का अनुष्ठान करवाया। बाहर से पुजारी आए। प्रतिदिन हवन होता रहा। रिहा होने के बाद लालू पटना जंक्शन स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर सुबह में आए। साधारण भक्त की तरह लाइन में लगकर पूजा किया।

लालू ने मंदिर के सचिव आचार्य किशोर कुणाल से मिलकर निवेदन किया। 11 पुजारी एक सप्ताह के लिए उनके निवास पर विशेष पूजा के लिए मंदिर से पटना और अयोध्या से ग्यारह पुजारी लालू निवास पर पूजा पाठ किए।

रेलवे मंत्री के रूप में लालू सपरिवार देश के सभी प्रसिद्ध मंदिर में गए। उत्तर में माता वैष्णव देवी तो दक्षिण में तिरुपति में पूजा पाठ किए। पटना में अशोक कालीन शीतला माता मंदिर सपरिवार जाते हैं। जब पहली बार जेल से बाहर निकले तब, रबड़ी देवी के साथ पूजा की। मंदिर के पुनरद्धार और सौंदर्यीकरण के लिए विशेष निधि की घोषणा की।

अभी जब दिल्ली के रॉयज एवेन्यू कोर्ट में जॉब फॉर लैंड मामले में जमानत मिली तब, एक चार्टर्ड फ्लाइट से मध्य प्रदेश के दतिया जिला में पीतांबरा पीठ का दर्शन किया और पंडितों ने विशेष पूजा का आयोजन किया। लालू प्रसाद यादव और रबड़ी देवी प्रति वर्ष अपने मुख्यमंत्री निवास में नवंबर में छठ पूजा का आयोजन करते थे, जो अब स्थगित हो चुका है। नीतीश कुमार ने इनके द्वारा निर्मित तलाब का उपयोग अपने परिवार के लिए सुरक्षित कर दिया है।

लालू प्रसाद यादव अभी भी घर में मंदिर बनाए हुए हैं। प्रतिदिन पूजा करते हैं। इनका सार्वजनिक बयान और वास्तव में धार्मिक आस्था में काफी अंतर शुरू से ही रहा है।

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