इस साल मॉनसून ने उत्तर भारत के कई राज्यों में भारी तबाही मचाई है। जम्मू-कश्मीर, पंजाब, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में बाढ़ और भूस्खलन ने बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान किया है। इन राज्यों में लगातार हो रही बारिश से हालात और भी बिगड़ते जा रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में सोमवार देर रात बादल फटने के बाद बाढ़ और भूस्खलन से भारी तबाही मची है। देहरादून के सहस्त्रधारा इलाके में आई इस आपदा ने मंगलवार तड़के भयंकर रूप ले लिया। तेज बारिश और अचानक आए सैलाब ने होटलों, दुकानों और घरों को बहा दिया। एक दिन पहले तक वहां मौजूद होटल, रेस्तरां, आलीशान बंगले और कई गाड़ियां प्रकृति के कोप का शिकार हो गईं। अब तक कम से कम पांच लोगों की मौत हो चुकी है और 20 से ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं।
आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि नुकसान सहस्त्रधारा के साथ मालदेवता और मसूरी इलाके में भी हुआ है। रातभर हुई मूसलाधार बारिश से उत्तराखंड के कई हिस्सों में सड़कें, घर और दुकानें क्षतिग्रस्त हो गए, जबकि देहरादून-विकासनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक पुल का बड़ा हिस्सा बह गया। आपदा से कुछ इलाकों में भूस्खलन भी हुआ।
डूब गया टपकेश्वर महादेव मंदिर
देहरादून स्थित टपकेश्वर महादेव मंदिर को भारी नुकसान पहुंचा है। तामसा नदी के उफान पर आने से मंदिर परिसर पूरी तरह डूब गया। कई फीट तक रेत और मलबा मंदिर में घुस गया, जिससे शिवलिंग पूरी तरह दब गया और दीवारों में गहरी दरारें आ गईं। हालांकि अब तक किसी जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है, लेकिन मंदिर को हुए नुकसान को गंभीर बताया जा रहा है। तड़के तेजी से बढ़ा जलस्तर फिलहाल घटने लगा है।
मंदिर प्रशासन के अनुसार, सुबह करीब 5 बजे नदी का जलस्तर अचानक बढ़ने लगा और देखते ही देखते मंदिर की पहली मंज़िल तक पानी भर गया। मंदिर के पुजारी राजपाल गिरी ने बताया, मंदिर को भारी नुकसान हुआ है। पूरा मंदिर जलमग्न हो गया। शिवलिंग 3–4 फीट रेत-मलबे में दब चुका है। सुबह 5 बजे पानी बढ़ना शुरू हुआ और कुछ ही समय में पहली मंज़िल तक पहुंच गया।
स्थानीय लोगों का कहना है कि मंदिर के सभी कक्षों के दरवाजे पानी और रेत से जाम हो गए हैं। एक ग्रामीण ने आईएएनएस को बताया कि सबकुछ नष्ट हो गया है। केवल शिवलिंग बचा है, लेकिन वह भी रेत में दबा हुआ है।
सुमन ने कहा कि 300 से 400 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। शिखर फॉल के पास चार लोग बह गए। मसूरी के झरीपानी टोल प्लाजा पर भूस्खलन में दो मजदूर दब गए, जिनमें एक की मौत हो गई और दूसरा घायल है। कारली गाड़ इलाके से भी दो लोग लापता हैं।
डोईवाला में कई घरों में पानी घुस गया। चंद्रभागा नदी में फंसे तीन लोगों को एसडीआरएफ की टीम ने बचाया। टिहरी के गीता भवन में पानी भर गया था, वहां फंसे लोगों को भी सुरक्षित निकाला गया। नैनीताल में भी भारी बारिश से मलबा गिरने से एक सड़क बंद हो गई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार स्थिति पर नज़र रखे हुए हैं और राहत-बचाव कार्यों की निगरानी कर रहे हैं।
मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बात कर हालात की जानकारी ली। प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया कि आपदा की इस घड़ी में केंद्र सरकार उत्तराखंड के साथ खड़ी है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के मार्गदर्शन और सहयोग से राज्य में राहत कार्य और तेजी से होंगे। उन्होंने बताया कि प्रशासनिक अमला पूरी तरह सतर्क है और राहत-बचाव कार्य युद्धस्तर पर चलाए जा रहे हैं।
हिमाचल में भी भारी तबाही
हिमाचल में भी सोमवार रात हुई भारी बारिश के बाद बाढ़ और भूस्खलन से कई जिलों में तबाही मची है। मंडी जिले में सौली खड्ड नदी में आए उफान से धरमपुर बस डिपो पूरी तरह डूब गया। बाढ़ के पानी में बसें, कारें और दोपहिया वाहन बह गए, और कई घरों में पानी घुस गया।
शिमला के हिमलैंड में हुए एक बड़े भूस्खलन ने कई वाहनों को फँसा दिया और मुख्य सड़क को बंद कर दिया, जिससे यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ। कुल्लू में बाढ़ के जोखिम को देखते हुए 30 सितंबर तक सभी एडवेंचर स्पोर्ट्स पर रोक लगा दी गई है।
मंडी के निहरी इलाक़े में भूस्खलन से तीन लोगों की मौत हो गई, जबकि दो को बचाया गया है। मॉनसून की शुरुआत से अब तक हिमाचल में बारिश से संबंधित घटनाओं और सड़क दुर्घटनाओं में कुल 409 लोगों की मौत हुई है, और 41 लोग अभी भी लापता हैं। राज्य को अब तक 4,504 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
महाराष्ट्र में भारी बारिश से 3 की मौत, 120 लोगों का रेस्क्यू
उधर, महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटों से हो रही भारी बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने मंगलवार को बताया कि बारिश से जुड़ी घटनाओं में अब तक 3 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 120 से ज़्यादा लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुँचाया गया है।
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और अन्य बचाव दल प्रभावित जिलों में लोगों को बचाने के काम में लगे हैं। मराठवाड़ा के आठ में से पाँच जिलों में सोमवार को भारी बारिश हुई। पिछले 24 घंटों में सबसे ज्यादा बारिश बीड में (143.7 मिमी) दर्ज की गई, इसके बाद नांदेड़ (131.6 मिमी) और जालना (121.4 मिमी) का नंबर आता है।
नदियों में पानी का स्तर तेज़ी से बढ़ा है और निचले इलाके पानी में डूब गए हैं। बीड और अहमदनगर इस बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। अधिकारियों के मुताबिक, इन इलाक़ों में बचाव अभियान चलाकर 120 से ज़्यादा लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया है। एनडीआरएफ की 12 टीमें पूरे राज्य में बचाव कार्य में जुटी हैं।
अधिकारियों के अनुसार, मराठवाड़ा के 11 बड़े सिंचाई परियोजनाओं से 3.42 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। बांधों, नदियों और संवेदनशील गांवों पर लगातार निगरानी रखी जा रही है।
जम्मू, झारखंड समेत अन्य राज्यों का हाल
झारखंड की राजधानी रांची में सोमवार को हुई भारी बारिश से पूरे शहर में जलभराव हो गया। कांटाटोली फ़्लाईओवर के नीचे सड़क धँसने से एक स्कॉर्पियो आधी से ज़्यादा ज़मीन में समा गई। हालाँकि, ड्राइवर को स्थानीय लोगों ने सुरक्षित बाहर निकाल लिया।
जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में पिछले 15 दिनों से लगातार बारिश और भूस्खलन के कारण कोटरंका-खवास सड़क पूरी तरह बंद है। इस सड़क के बंद होने से लोगों को, खासकर छात्रों और मरीजों को बहुत परेशानी हो रही है। भूस्खलन से सात घर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जबकि एक दो-मंजिला मकान अपनी जगह से 50 मीटर दूर खिसक गया, जिससे लोगों में दहशत फैल गई। प्रशासन ने प्रभावित लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुँचाया है।
इसके अलावा, पूंछ जिले के कलाबन गाँव में लगभग 400 लोगों को उनके घरों में दरारें पड़ने के बाद अस्थायी शिविरों में भेजा गया है।
दिल्ली में यमुना नदी कई बार खतरे के निशान से ऊपर बही, जिससे बाढ़ का ख़तरा पैदा हो गया। गुरुग्राम में भी भारी जलभराव देखा गया, जिससे सड़कें पूरी तरह डूब गईं।
पूर्वोत्तर राज्यों में सिक्किम का हाल भी खराब है। यहां के पश्चिम जिले में भी भूस्खलन की घटनाएँ हुईं, जहाँ एक व्यक्ति और चार गायों की मौत हो गई।