चंडीगढ़ः हरियाणा के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) वाई पूरन कुमार ने मंगलवार, 7 अक्तूबर को कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। चंडीगढ़ के सेक्टर 11 स्थित उनके आवास पर उनका शव मिला। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने अपनी सर्विस रिवाल्वर से खुदकुशी कर ली।
यह घटना उनके घर के ध्वनिविरोधी तहखाने में हुई। पुलिस और फोरेंसिक विशेषज्ञ घटनास्थल पर पहुंच गए हैं और जांच जारी है।
पूरन कुमार ने क्यों की आत्महत्या?
चंडीगढ़ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) कंवरदीप कौर ने पुष्टि की कि पुलिस को इस घटना की सूचना दोपहर में करीब डेढ़ बजे मिली।
कंवरदीप कौर ने कहा “आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार का शव उनके आवास पर मिला। सीएफएसएल (केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला) की टीम मौके पर पहुंच गई है और जांच जारी है। पोस्टमार्टम के बाद अधिक जानकारी सामने आएगी।”
उन्होंने कहा कि घटना के समय घर में मौजूद सभी लोगों से पूछताछ की जा रही है।
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घटना के समय कुमार की पत्नी, वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अमनीत पी कुमार, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में एक आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में जापान में थीं।
आईपीएस अधिकारी हरियाणा कैडर के एक सम्मानित अधिकारी माने जाते थे और उन्होंने अपने करियर के दौरान कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया था।’
पुलिस ने क्या कहा?
पुलिस ने बताया कि पूरन कुमार ने कथित तौर पर अपनी सर्विस रिवॉल्वर से गोली मारी। उनका शव बेटी को बेसमेंट में मिला। बेटी ने ही पुलिस को सूचना दी।
वह वर्तमान में पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में इंस्पेक्टर जनरल के रूप में तैनात थे। 29 सितंबर को रोहतक के सुनारिया में उनकी तैनाती की गई थी। इससे पहले बीते पांच महीनों से वह रोहतक रेंज के आईजी थे। उनकी मौत ने पुलिस और प्रशासनिक खेमे में हड़कंप मचा दिया है।
पुलिस द्वारा इस मामले की जांच की जा रही है। हालांकि, उन्होंने ऐसा कदम क्यों उठाया, इस बारे में अभी तक कोई जानकारी सामने नहीं आई है।
ऐसे में इस घटना के बाद कई सवाल उठ रहे हैं कि क्या उनके ऊपर कोई प्रशासनिक दबाव था या फिर ऐसा कदम उठाने के पीछे अन्य कोई वजह थी?
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पूरन कुमार साल 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी थे। सिस्टम में रहते हुए उन्होंने प्रशासनिक स्तर पर होने वाली खामियों के बारे में सवाल उठाए। इसके अलावा भ्रष्टाचार और ऊपरी स्तर पर बैठे हुए अधिकारियों के खिलाफ भी आवाज उठाई।
उनकी मौत से प्रशासनिक खेमे में हलचल है क्योंकि बीते कुछ समय से उनके उच्च अधिकारियों के साथ टकराव देखे गए थे। कई बार उन्होंने खुद भी इसको लेकर सवाल उठाए।
आजतक की खबर के मुताबिक, साल 2020 में उन्होंने तत्काल डीजीपी मनोज यादव पर गंभीर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि उनके साथ जातिगत भेदभाव किया जा रहा है और उन्हें निशाना बनाया जा रहा है।
इसके अलावा गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव अरोड़ा पर भी सवाल उठाते हुए उन पर आरोप लगाया था कि उन्होंने पक्षपाती रिपोर्ट तैयार की। इस मामले में उन्होंने हाई कोर्ट से मांग भी की थी कि मामले की जांच किसी स्वतंत्र अधिकारी को सौंपी जाए।