Friday, October 10, 2025
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पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तानी अधिकारियों की मेजबानी पर आलोचना के घेरे में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी

न्यूयॉर्क: पहलगाम आतंकी हमले के कुछ ही घंटों बाद हार्वर्ड विश्वविद्यालय के साउथ एशिया इंस्टट्यूट में पाकिस्तान पर आयोजित एक कार्यक्रम को लेकर विवाद सामने आया है। भारतीय छात्रों ने इसकी आलोचना की है। इस कार्यक्रम में पाकिस्तान के शीर्ष नेताओं वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब और अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रिजवान सईद शेख जैसे लोगों ने हिस्सा लिया था। हार्वर्ड के साउथ एशिया इंस्टट्यूट को लक्ष्मी मित्तल और उनका परिवार वित्तपोषित करता है।

पहलगाम हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद जम्मू-कश्मीर में हुए सबसे घातक आतंकी हमलों में से एक है। इस घटना के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए उस पर सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देने का आरोप लगाया था। बहरहाल, ऐसी खबरें हैं कि हार्वर्ड ने ताजा विवाद से खुद को दूर करते हुए कार्यक्रम की जानकारियों का ब्योरा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से हटा दिया है।

हार्वर्ड में पाकिस्तान के कॉन्फ्रेंस पर विवाद की कहानी

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारतीय छात्रों ने अमेरिका के हार्वर्ड विश्वविद्यालय  परिसर में पाकिस्तानी प्रतिनिधियों के दौरे पर आपत्ति जताई। उन्होंने पाकिस्तान सरकार पर भारत में हिंदुओं के खिलाफ धार्मिक रूप से प्रेरित हमलों का समर्थन करने का आरोप लगाया। 

दो भारतीय छात्रों सुरभि तोमर और अभिषेक चौधरी ने हार्वर्ड के प्रबंधन को एक पत्र भेजा है। उन्होंने पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि हमलावरों ने हिंदू पर्यटकों को उनका धर्म पूछने के बाद निशाना बनाया था।

यही नहीं, कार्यक्रम से पहले छात्रों ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो को पत्र लिखकर हार्वर्ड में कार्यक्रम में भाग लेने आने वाले पाकिस्तानी अधिकारियों के वीजा रद्द करने का भी अनुरोध किया था। पत्र में लिखा गया था, ‘हिंसा के ये कृत्य ऐसे ही नहीं हुए, ये पूरी तरह से धार्मिक पहचान के आधार पर किए गए सुनियोजित हमले थे।’

रुबियो को लिखे पत्र में ये भी कहा गया था कि संयुक्त राज्य अमेरिका को ऐसे देश के प्रतिनिधियों की मेजबानी नहीं करनी चाहिए जो आस्था के आधार पर नागरिकों को निशाना बनाने वाले संगठनों को संरक्षण और बढ़ावा देता है।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने क्या कहा?

रिपोर्ट के अनुसार इस कॉन्फ्रेंस का आयोजन कथित तौर पर हार्वर्ड में पाकिस्तानी छात्रों द्वारा किया गया था। रिपोर्टों के अनुसार, विश्वविद्यालय की भूमिका केवल व्यवस्था और समन्वय में मदद करनी थी। वहीं, विवाद के बीच यह सामने आने के बाद नई बहस शुरू हो गई कि हार्वर्ड के साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के कार्यकारी निदेशक हितेश हाथी ने भी पाकिस्तानी-अमेरिकी इतिहासकार आयशा जलाल के साथ एक पैनल में भाग लिया था।

पैनल में चर्चा का विषय था- ‘प्रबुद्ध मुस्लिम: पाकिस्तान में धर्म, आधुनिकता और राज्य निर्माण के अंतर्संबंध की जांच करना।’ सामने आई जानकारी के अनुसार यह चर्चा बाद में संस्थान की वेबसाइट से हटाई गई कई सूचियों में से एक है। हार्वर्ड ने इन विवरणों को हटाने के बारे में कोई बयान जारी नहीं किया है।

हालांकि यह कार्यक्रम हार्वर्ड में पाकिस्तानी छात्रों द्वारा आयोजित किया गया था, लेकिन टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार वहां कुछ उपस्थित लोगों ने बताया कि कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य अमेरिकी शैक्षणिक हलकों में पाकिस्तान की उपस्थिति को बढ़ावा देना भी था, जिसमें हाल के वर्षों में कथित तौर पर गिरावट आई है।

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