Friday, October 10, 2025
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हर्षवर्धन सपकाल बने महाराष्ट्र कांग्रेस के नए अध्यक्ष

मुंबई: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को पूर्व विधायक हर्षवर्धन सपकाल को महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया। वह वर्तमान अध्यक्ष नाना पटोले की जगह लेंगे, जिन्होंने हाल ही में पार्टी हाईकमान को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद पार्टी के प्रदेश संगठन में यह बड़ा बदलाव हुआ है। 

सपकाल की नियुक्ति करके पार्टी महाराष्ट्र में आगामी स्थानीय और नगर निकाय चुनावों से पहले संगठन को मजबूत करने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में विदर्भ और महाराष्ट्र में कुल 13 सीटें जीतकर अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन विधानसभा चुनाव में वह अपनी जीत का सिलसिला जारी नहीं रख पाई।

सपकाल के सामने पार्टी संगठन में नई जान फूंकने और भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति से मुकाबला करने के लिए सभी गुटों को एक साथ लाकर अपनी पुरानी प्रतिष्ठा को फिर से हासिल करने की बड़ी चुनौती है। उनकी नियुक्ति पिछले साल महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के करीब ढाई महीने बाद की गई है। पटोले के नेतृत्व में लड़ी पार्टी विधानसभा की 288 में से महज 16 सीटें ही जीत पाई थी।

महाराष्ट्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के नाम पर मिली तरजीह

हर्षवर्धन सपकाल के अलावा, पृथ्वीराज चव्हाण और पूर्व राज्य मंत्री सतेज पाटिल के नाम महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चर्चा में थे। हालांकि, दोनों ने कार्यभार संभालने में असमर्थता जताई थी।

दूसरी ओर, कांग्रेस आलाकमान ने पार्टी के दिग्गज नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष विजय वडेट्टीवार को कांग्रेस विधायक दल का नेता नियुक्त किया है। वडेट्टीवार ने शिवसेना के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार में मंत्री रहते हुए दो बार राज्य में विपक्ष के नेता का पद संभाला था। उनकी नियुक्ति राज्य विधानमंडल के बजट सत्र से पहले हुई है, जो 3 मार्च से मुंबई में शुरू होगा।

वडेट्टीवार ओबीसी समुदाय से हैं। पटोले ने विधायक दल का नेता बनने में रुचि दिखाई थी, लेकिन पार्टी ने निर्वाचित सदस्यों की नाराजगी से बचने के लिए उनके नाम पर विचार नहीं किया। कांग्रेस ने मराठा समुदाय के प्रतिनिधि को राज्य इकाई का प्रमुख और ओबीसी को विधायक दल का प्रमुख नियुक्त करके संतुलन बनाने की कोशिश की है। यह विशेष रूप से मराठा और ओबीसी आरक्षण को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि में महत्वपूर्ण है।

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