Homeमनोरंजनगुरु दत्त की 'प्यासा' जैसी क्लासिक फिल्मों का रिस्टोर संस्करण दिखेगा बड़े...

गुरु दत्त की ‘प्यासा’ जैसी क्लासिक फिल्मों का रिस्टोर संस्करण दिखेगा बड़े पर्दे पर, 8 से 10 अगस्त तक प्रदर्शन

नई दिल्ली: दिग्गज फिल्म निर्माता गुरु दत्त को उनकी 100वीं जयंती पर विशेष श्रद्धांजलि देने की तैयारी हो रही है। उनकी सबसे लोकप्रिय फिल्मों के रिस्टोर्ड संस्करण को 8 से 10 अगस्त तक पूरे भारत के कई सिनेमाघरों में प्रदर्शित किए जाएँगे। इन फिल्मों में बाज (1953), प्यासा (1957), आर-पार (1954), मिस्टर एंड मिसेज ’55 (1955) और चौदहवीं का चाँद (1960) शामिल हैं।

‘द प्रिंट’ की रिपोर्ट के अनुसार अल्ट्रा मीडिया एंड एंटरटेनमेंट ग्रुप के संस्थापक सुशील कुमार अग्रवाल ने बताया कि इन क्लासिक फिल्मों को रिस्टोर करने में 150 लोगों को ढाई महीने से ज्यादा समय लगा। ये फिल्में देश भर में पीवीआर और सिनेपोलिस जैसी प्रमुख सिनेमा चेन के साथ-साथ कुछ चुनिंदा सिंगल स्क्रीन पर भी रिलीज की जाएँगी।

सुशील अग्रवाल ने बताया कि इस रिलीज के साथ उनकी कोशिश किसी तरह का मुनाफे कमाने की नहीं है। टिकटों की कीमत लगभग 100 रुपये होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, ‘इससे रेवेन्यू लगभग न के बराबर है। क्लासिक फिल्मों को रिस्टोर करना एक महंगी प्रक्रिया है।’

गुरु दत्त की पांच फिल्में क्यों चुनी गई?

पाँच फिल्मों के चयन के बारे में, 70 वर्षीय सुशील अग्रवाल ने कहा कि इनका चयन एक सरल प्रक्रिया से हुआ है। उन्होंने बताया, ‘हमने वे फिल्में चुनीं जिनमें गुरु दत्त ने अभिनय या निर्देशन किया था। उनमें से, हमने उन फिल्मों को रिस्टोर किया जिनके प्रिंट सबसे अच्छी स्थिति में थे।’

अल्ट्रा मीडिया ने इस रिस्टोर प्रोजेक्स के लिए राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) के साथ साझेदारी की। चूँकि ये फिल्में मूल रूप से नेगेटिव पर फिल्माई गई थीं, इसलिए पहला चरण इनका डिजिटलीकरण था यानी निगेटिव फिल्मों को डिजिटल तस्वीरों में बदलना। इसे फिल्म स्कैनर, विशेष लाइटिंग और सेटअप वाले डिजिटल कैमरे, या विशेष तकनीकों का उपयोग करके किया जा सकता है।

डिजिटलीकरण के बाद टीम ने डायमेंट, पीएफ क्लीन और रिवाइवल जैसे सॉफ्टवेयर का उपयोग करके 4K/2K में फ्रेम-दर-फ्रेम इसे रिस्टोर किया। इस प्रक्रिया से स्क्रैच हट जाते हैं और रंग भी ठीक हो जाता है।

वहीं, एनएफडीसी के प्रबंध निदेशक प्रकाश मगदुम ने कहा कि गुरु दत्त की फिल्मों को रिस्टोर करना पुरानी रीलों को पुनर्जीवित करने से कहीं बढ़कर है। यह भारतीय सिनेमा के अमूल्य विरासत को संजोने जैसा है।

अल्ट्रा मीडिया ने इससे पहले कुछ अन्य भारतीय क्लासिक फिल्मों को भी रंगीन बनाया है, जिनमें चोरी चोरी (1956), पैगाम (1959) और इंसानियत (1955) शामिल हैं। इंसानियत यह एकमात्र ऐसी फिल्म है जिसमें देव आनंद और दिलीप कुमार दोनों थे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent Comments

मनोज मोहन on कहानीः याद 
प्रकाश on कहानीः याद 
योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद 
प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद 
डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा
Exit mobile version