अहमदाबाद: अहमदाबाद की ग्रामीण अदालत ने विरमगाम से विधायक हार्दिक पटेल और दो अन्य लोगों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। यह मामला 2018 में पटेल आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज हुआ था, जब हार्दिक पटेल ने भूख हड़ताल की थी।
एफआईआर में हार्दिक पटेल के साथ गीता पटेल और किरण पटेल का भी नाम शामिल है। आरोपियों के बार-बार पेश न होने पर अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए यह कदम उठाया है।
अब अदालत के आदेश के बाद पुलिस हार्दिक पटेल और अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी की प्रक्रिया आगे बढ़ाएगी। पुलिस विधानसभा अध्यक्ष शंकर चौधरी से अनुमति लेगी। मंजूरी मिलने के बाद हार्दिक पटेल की गिरफ्तारी संभव होगी। गौरतलब है कि इससे पहले भी पटेल आंदोलन से जुड़े मामलों में हार्दिक पटेल के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हो चुके हैं।
क्या है मामला?
यह मामला अगस्त 2018 के पाटीदार आरक्षण आंदोलन से जुड़ा हुआ है। उस वक्त हार्दिक पटेल आंदोलन के प्रमुख चेहरा थे और अपनी समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे थे। शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन से शुरू हुआ यह आंदोलन जल्द ही अहमदाबाद के निकोल इलाके में हिंसा में बदल गया, जिसमें सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा और पुलिस को प्रदर्शनकारियों से जूझना पड़ा।
इस घटना के बाद, हार्दिक और उनके साथियों पर दंगा भड़काने, हिंसा फैलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करने का आरोप लगाया गया था। यह मामला कई सालों से अदालत में चल रहा है। हार्दिक बार-बार सुनवाई में पेश नहीं हुए, जिससे नाराज होकर अदालत ने उनकी तत्काल गिरफ्तारी का आदेश दिया।
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हार्दिक पटेल पाटीदार आरक्षण आंदोलन से राजनीतिक केंद्र में आए थे। 2015 में उन्होंने पाटीदार आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व किया, जिसने बड़े-बड़े प्रदर्शनों और हिंसक झड़पों से गुजरात को हिला दिया था। इन विरोध प्रदर्शनों में 10 से ज्यादा लोग मारे गए थे और सैकड़ों घायल हुए थे।
इसी जन-आक्रोश की लहर पर सवार होकर हार्दिक पटेल एक युवा चेहरा और एक प्रमुख राजनीतिक खिलाड़ी बन गए। 2017 में वह कांग्रेस में शामिल हुए। हालांकि 5 साल बाद (2022 में) भाजपा में चले गए। इसके बाद वह वीरमगाम निर्वाचन क्षेत्र से विधायक बने।
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि इस गिरफ्तारी वारंट के बाद उनका राजनीतिक भविष्य अधर में लटक गया है। पाटीदार समुदाय खुद भी बंटा हुआ दिख रहा है। कुछ लोग इसे राजनीतिक बदले की भावना बता रहे हैं, उनका दावा है कि यह कार्रवाई भाजपा में शामिल हो चुके एक विद्रोही नेता की आवाज को दबाने के लिए की गई है। वहीं, कुछ अन्य लोगों का मानना है कि कानून आखिरकार पिछली हिंसा का हिसाब ले रहा है।
अदालत के आदेश के बाद, पुलिस अब विधानसभा अध्यक्ष शंकर चौधरी से हार्दिक पटेल को गिरफ्तार करने की अनुमति लेने की प्रक्रिया शुरू करेगी। अनुमति मिलने पर ही पुलिस कानूनी रूप से हार्दिक पटेल को गिरफ्तार कर पाएगी। पुलिस ने हार्दिक पटेल को वारंट के बारे में औपचारिक रूप से सूचित कर दिया है, लेकिन उनकी तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।