नई दिल्लीः भारत सरकार वस्तु एवं सेवा कर (GST) में आमूलचूल परिवर्तन की अपनी योजना पर तेज़ी से आगे बढ़ रही है। इसके लिए बहुप्रतीक्षित दरों में कटौती उम्मीद से पहले ही हो सकती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन दरों में कटौती के लिए अब दिवाली तक का इंतज़ार करने के बजाय इसे सितंबर के अंत में लागू किए जाने की संभावना है। ऐसे में यह नवरात्रि के त्योहारी सीज़न की शुरुआत के साथ होगा।
उद्योग सूत्रों के मुताबिक, इसे लागू करने में किसी भी प्रकार की देरी बाजार के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है। दरों में कटौती की संभावनाओं को देखते हुए उपभोक्ताओं ने खरीदारी टाल दी है। इसलिए सरकार इसे समय से पहले लागू करने की योजना बना रही है ताकि त्योहारों पर लोग खरीदारी करें और बाजार को होने वाले संभावित नुकसान से बचाया जा सके।
GST 2.0
GST के इन सुधारों को GST 2.0 कहा जा रहा है क्योंकि यह 2017 में लागू हुए टैक्स सिस्टम के बाद का सबसे बड़ा बदलाव है। इन सुधारों का मुख्य उद्देश्य टैक्स दरों में मौजूद चार स्लैब को दो स्लैब में बनाना है। इसके तहत 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत दरों को हटाने का प्रावधान है और इसके बाद सिर्फ 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत टैक्स स्लैब होगा। वहीं, लक्जरी और अहितकर सामानों पर लगने वाला 40 प्रतिशत टैक्स बरकरार रहेगा।
इस बदलाव से रोज़मर्रा की चीज़ें सस्ती होने की उम्मीद है। 12% वाली लगभग सभी वस्तुएं 5% की दर पर आ सकती हैं और 28% वाली ज़्यादातर वस्तुएं 18% की दर पर आ सकती हैं। इसका मतलब है कि त्योहारों की खरीदारी के दौरान उपभोक्ताओं को फ़र्क़ महसूस होगा, क्योंकि घरेलू उपकरणों से लेकर पैकेज्ड खाने-पीने की चीज़ों तक सभी चीज़ें सस्ती होने की संभावना है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जीएसटी काउंसिल इसको लेकर 3-4 सितंबर को बैठक करेगी। यह बैठक पहले सितंबर के अंत में प्रस्तावित थी। यदि बैठक में इस पर निर्णय लिया जाता है तो नई दरें जल्दी ही लागू होने की संभावना है।
जीएसटी बदलावों से GDP बढ़ोतरी की संभावना
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इन सुधारों से उपभोग को जबरदस्त बढ़ावा मिल सकता है और आने वाले वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर में लगभग 0.6 प्रतिशत अंकों की वृद्धि हो सकती है। लेकिन इस कदम से सरकारी राजस्व पर सालाना लगभग 20 अरब डॉलर का असर भी पड़ेगा। केंद्र सरकार को उम्मीद है कि ज़्यादा खर्च और बेहतर अनुपालन से इस नुकसान की कुछ हद तक भरपाई हो जाएगी।
जीएसटी में सुधारों के इन प्रस्तावों को अधिकतर राज्यों ने स्वागत किया है जबकि कुछ ने अनुमानित राजस्व घाटे की भरपाई के लिए भत्ते की भी मांग की है। इस बीच सरकार स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम को भी जीएसटी के दायरे से बाहर करने पर विचार कर रही है। इससे पॉलिसी लेने वालों के लिए लागत कम हो सकती है।
बाजार में इसको लेकर उपभोक्ता और रिटेलर स्पष्टता का इंतजार कर रहे हैं। एक ओर जहां कम लागत की उम्मीद लगाए हुए उपभोक्ताओं ने त्योहारों की खरीदारी कुछ समय के टाल दी है वहीं बिजनेस करने वालों का मानना है कि जल्दी लागू करने से त्योहारों में बिक्री को बढ़ावा मिलेगा।