नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की गाजा शांति प्रयासों में भूमिका की सराहना की। यह बयान ऐसे समय आया जब हमास ने अमेरिकी राष्ट्रपति के शांति प्रस्ताव को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए बंधकों को रिहा करने और बातचीत शुरू करने पर सहमति जताई।
मोदी ने एक्स पर लिखा, “गाजा में शांति प्रयास निर्णायक प्रगति कर रहे हैं। राष्ट्रपति ट्रंप के नेतृत्व का हम स्वागत करते हैं। बंधकों की रिहाई के संकेत एक महत्वपूर्ण कदम हैं। भारत स्थायी और न्यायपूर्ण शांति के सभी प्रयासों का दृढ़ता से समर्थन करता रहेगा।”

ट्रंप ने हाल ही में गाजा संकट के समाधान के लिए 20 सूत्रीय शांति योजना पेश की थी। इसमें हमास से सभी बंधकों की रिहाई, सत्ता और हथियार छोड़ने की मांग की गई, जबकि इसके बदले इजराइल को हमले रोकने, सैनिक हटाने, फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करने और गाजा में पुनर्वास योजनाओं को त्यागने का प्रस्ताव दिया गया। योजना के तहत गाज़ा का प्रशासन एक अंतरराष्ट्रीय निगरानी बल को सौंपा जाना है, जिसका नेतृत्व ट्रंप और ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर करेंगे।
हमास ने बंधकों की रिहाई पर सहमति जताई
हमास ने बंधकों की रिहाई और सत्ता छोड़ने पर सिद्धांत रूप में सहमति जताई, लेकिन कहा कि ट्रंप की कई शर्तों पर अभी और बातचीत की जरूरत है। इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि इजराइल योजना के पहले चरण, यानी बंधकों की रिहाई, को लागू करने को तैयार है, लेकिन युद्ध समाप्ति की अपनी शर्तों से पीछे नहीं हटेगा।
कनाडा ने भी हमास के फैसले का स्वागत किया और इसे बंधकों की रिहाई और सत्ता छोड़ने की प्रतिबद्धता करार दिया। उसने सभी पक्षों से तुरंत वादों को अमल में लाने की अपील की। संयुक्त राष्ट्र ने भी स्थायी युद्धविराम, बिना शर्त बंधकों की रिहाई और मानवीय राहत की अबाधित पहुंच की मांग दोहराई। फ्रांस और कतर समेत कई देशों ने सतर्क आशावाद जताते हुए कहा कि यह कदम शांति की दिशा में बढ़ने का अवसर है, लेकिन भरोसा और जवाबदेही अनिवार्य होगी।
गाजा में लगभग दो साल से युद्ध चल रहा है। इस युद्ध ने लाखों लोगों को बेघर कर दिया और दसियों हजारों की जान ली है। हमास का ताजा बयान फिलिस्तीनी एकता और अधिकारों पर केंद्रित रहा, लेकिन उसने निशस्त्रीकरण जैसे इजराइल की मूल मांगों का सीधा उल्लेख नहीं किया।
ट्रंप और मोदी के बीच हालिया कूटनीतिक संकेत भी इस विकास के संदर्भ में अहम माने जा रहे हैं। अगस्त में ट्रंप ने भारतीय निर्यात पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया था, जिससे रिश्तों में तनाव आया। हालांकि, सितंबर में ट्रंप ने मोदी को जन्मदिन की बधाई देने के लिए व्यक्तिगत कॉल किया और हाल ही में मोदी के शांति प्रस्ताव समर्थन वाले संदेश को ‘ट्रुथ सोशल’ पर रीपोस्ट भी किया। इसे संबंध सुधार की दिशा में सकारात्मक संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।