Friday, October 10, 2025
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गाजा के फिलिस्तीनियों को अफ्रीका भेजने की योजना, अमेरिका-इजराइल की रणनीति पर उठे सवाल

वाशिंगटनः अमेरिका और इजराइल कथित तौर पर गाजा पट्टी के फिलिस्तीनियों को अफ्रीकी देशों में स्थानांतरित करने की योजना बना रहे हैं। इसके लिए दोनों देशों ने कम से कम तीन पूर्वी अफ्रीकी देशों- सूडान, सोमालिया और सोमालिलैंड से संपर्क किया है।

एसोसिएट प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी और इजराइली अधिकारियों ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की युद्धोत्तर योजना के तहत गाजावासियों को पुनर्वासित करने की संभावना पर चर्चा की।

हालांकि, इन देशों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को देखते हुए यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या वाकई अमेरिका और इजराइल गाजा के लोगों को ‘बेहतर जगह’ देने की मंशा रखते हैं। क्योंकि सूडान, सोमालिया और सोमालिलैंड पहले से ही गरीबी और हिंसा से जूझ रहे हैं।

सूडान ने किया प्रस्ताव खारिज, सोमालिया और सोमालिलैंड ने किया इनकार

सूडानी अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने इस योजना पर चर्चा करने से इनकार कर दिया। एक अधिकारी ने साफ कहा, ‘इस प्रस्ताव को तुरंत खारिज कर दिया गया था। इसके बाद किसी ने इस पर दोबारा बात नहीं की।’

दूसरी ओर, सोमालिया और सोमालिलैंड ने एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि उन्हें अमेरिका या इजराइल की ओर से कोई प्रस्ताव नहीं मिला। सोमालिया के विदेश मंत्री अहमद मोलिम फिकी ने कहा, ‘हम किसी भी ऐसे प्रस्ताव या पहल को पूरी तरह से अस्वीकार करेंगे, जो फिलिस्तीनी लोगों के अपने ऐतिहासिक मातृभूमि पर शांतिपूर्ण जीवन जीने के अधिकार का उल्लंघन करे।’

ट्रंप की योजना को लेकर विवाद

ट्रंप की योजना के तहत, गाजा के 20 लाख से अधिक निवासियों को स्थायी रूप से अन्यत्र भेजा जाएगा। अमेरिका गाजा पर नियंत्रण कर वहां पुनर्निर्माण करेगा और इसे एक रियल एस्टेट परियोजना के रूप में विकसित करेगा। पहले यह विचार इजराइल के अतिवादी दक्षिणपंथी समूहों तक ही सीमित था, लेकिन जब ट्रंप ने इसे पिछले महीने व्हाइट हाउस में प्रस्तुत किया, तो इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे साहसिक दृष्टि करार दिया।

 हालांकि इस प्रस्ताव को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारी आलोचना हो रही है। मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि फिलिस्तीनियों को जबरदस्ती विस्थापित करना या उन पर दबाव बनाना एक संभावित युद्ध अपराध हो सकता है। बावजूद इसके, व्हाइट हाउस ने कहा कि ट्रंप अपनी ‘दृष्टि’ पर कायम हैं।

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