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प्रशांत किशोर से लेकर सुनील कनुगोलू तक, जानें कैसे और कब-कब इन राजनीतिक सलाहकारों ने दिलाई है नेताओं को जीत

पहले होने वाले चुनावों और अब के चुनाव में काफी कुछ बदल गया है। पहले जहां वोटरों पर सोशल मीडिया का इतना प्रभाव नहीं रहता था अब सोशल मीडिया कैंपेनिंग भी चुनाव प्रचार का एक अहम हिस्सा बन गया है।

पहले जहां चुनाव बिना किसी रिसर्च या फिर तकनीक और डेटा का पूरा हो जाता था, वहीं अब चुनाव जीतने के लिए राजनीतिक पार्टियों को चुनाव रणनीतिकारों की मदद लेनी पड़ रही है।

ऐसे ही चुनावी रणनीतिकारों में एक नाम प्रसिद्ध राजनीतिक सलाहकार प्रशांत किशोर का भी आता है, जिन्होंने 2014 में पीएम मोदी की मदद की थी जिसका उन्हें फायदा भी मिला था और उनकी सरकार भी बनी थी। आज के इस लेख में हम कुछ ऐसे ही राजनीतिक सलाहकारों के बारे में जानेंगे, जिन्होंने भारत में चुनाव को एक नया रूप दिया है।

प्रशांत किशोर की वजह से जनता ने इस पेशे के बारे में जाना

2014 में राजनीतिक सलाहकार प्रशांत किशोर ने पीएम मोदी की मदद की थी, जिससे उन्हें आम चुनाव में 282 सीटें मिली थी और उनकी सरकार बनी थी।

प्रशांत ने 2013 में एक गैर-लाभकारी संस्था के रूप में सिटिज़न्स फ़ॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस (CAG) की शुरुआत की थी और करीब दो साल बाद इसका नाम बदलकर इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (I-PAC) कर दिया था। तब से लेकर अब तक आईपैक ने कई उम्मीदवारों की मदद कर उनके लिए चुनाव में रणनीति भी बनाई है जिससे नेताओं को इसका लाभ भी हुआ है।

प्रशांत ने 2014 के आम चुनाव से पहले पीएम मोदी के लिए कई रणनीति बनाई थी। उन्होंने ‘चाय पे चर्चा’ (चाय पर बातचीत) और स्टैच्यू ऑफ यूनिटी आंदोलन जैसे कुछ प्रमुख अभियान भी शुरू किए थे, जिसका फायदा भाजपा को मिली थी और नरेंद्र मोदी पीएम बन पाए थे।

यही नहीं प्रशांत ने पीएम मोदी के लिए भारत में पहली बार 3डी होलोग्राम रैलियों का भी आयोजन किया था और उन्हें विकास करने वाले नेता के रूप में जनता के सामने पेश किया था। देश की कई पार्टियों और नेताओं को सफलता दिलाने के बाद अब प्रशांत बिहार के लिए कुछ करना चाहते हैं, इसके लिए वे पिछले कुछ महीनों से ‘पदयात्रा’ कर रहे हैं।

प्रशांत के बाद सुनील कनुगोलू और पार्थ प्रतिम दास भी हैं काफी चर्चित

देश के प्रसिद्ध राजनीतिक सलाहकारों में प्रशांत किशोर के बाद सुनील कनुगोलू का नाम भी शामिल है। उन्होंने कांग्रेस को तेलंगाना, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में जीत दिलवाने में पार्टी की मदद की थी।

ऐसे में उनके काम को देखते हुए कांग्रेस ने उन्हें 2024 लोकसभा चुनाव का जिम्मा भी सौंपा है। कर्नाटक में कांग्रेस की जीत और भारत जोड़ो यात्रा के सफल होने का श्रेय भी उन्हें दिया जाता है।

राजनीतिक पार्टियों के लिए रणनीति तैयार करने वालों में पार्थ प्रतिम दास का भी नाम आता है। उन्होंने 2013 विधानसभा चुनाव में कर्नाटक के जेवार्गी से चुनाव लड़ रहे अजय सिंह की मदद की थी, जिसके बाद वे भाजपा विधायक को 36,700 वोटों से हराया था।

दास ने उसी साल नवंबर में अरिंदम मन्ना और उनकी टीम के साथ राजनीतिक रणनीति फर्म चाणक्य की स्थापना की थी। दास ने 2018 में सिंह के साथ मिलकर फिर से काम किया था जब वे फिर से उसी सीट से चुनाव लड़ रहे थे।

कुछ और चुनावी रणनीतिकार भी करते हैं नेताओं की मदद

“वॉर रूम स्ट्रैटेजी” के तुषार पांचाल और एक्सिस माई इंडिया के प्रदीप गुप्ता जैसे कुछ और राजनीतिक सलाहकार है जो देश के राजनीति पार्टियों की चुनाव में मदद करते हैं।

नेताओं को उनके चुनाव में मदद करने पर बोलते हुए तुषार पांचाल ने कहा कि यह कोई नई चीज नहीं है लेकिन अब तकनीक की मदद से रणनीति बनाना और भी आसान हो गया है। बता दें कि ये सलाहकार डेटा का विश्लेषण करने से लेकर अभियान चलाने तक कई प्रकार की सेवाएं प्रदान करते हैं जिससे पार्टियों को जीत दिलाने में उनको मदद मिलती है।

एक्सिस माई इंडिया के प्रदीप गुप्ता का मानना ​​है उनका काम केवल उन पार्टी या नेताओं की मदद करना है जिस चीज के बारे में वे नहीं जानते हैं और जिससे उनकी मदद हो सके और उन्हें जीत मिल सके।

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