Friday, October 10, 2025
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अगले साल से एटीएम से भी निकल सकेगा पीएफ का पैसा! गिग वर्करों के लिए श्रम सचिव ने क्या कहा

नई दिल्ली: नौकरी करने वाले कर्मचारी अगले साल से अपने भविष्य निधि (पीएफ) के पैसे को अब से एटीएम से भी निकाल पाएंगे। श्रम सचिव सुमिता डावरा ने बुधवार को यह जानकारी दी है।

डावरा ने बताया कि श्रम मंत्रालय देश के कामकाजी लोगों के लिए सेवाएं बेहतर बनाने के लिए अपने आईटी सिस्टम को अपडेट कर रहा है। यह कदम उन्हें बेहतर सुविधा देने और प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए उठाया गया है।

फिलहाल, ईपीएफओ सात करोड़ से ज्यादा सक्रिय सदस्यों को सेवाएं देता है। डावरा ने कहा कि ईपीएफओ में लगातार सुधार हो रहे हैं, और हर दो-तीन महीने में नए बदलाव नजर आएंगे।

श्रम सचिव ने बताया कि जनवरी 2025 तक इस दिशा में बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। साथ ही, डावरा ने गिग श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा लाभों पर भी चर्चा की।

पीएफ निकासी पर सुमिता डावरा ने क्या कहा

बुधवार को न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए सुमिता डावरा ने कहा, “हम पीएफ क्लेम्स को तेजी से निपटा रहे हैं और ईज ऑफ लिविंग बढ़ाने के लिए प्रक्रिया को और सरल बना रहे हैं। अब पीएफ निकासी के लिए कम से कम मानवीय हस्तक्षेप की जरूरत होगी और सब्सक्राइबर्स अपने क्लेम का पैसा एटीएम के जरिए निकाल सकेंगे।”

हालांकि, कर्मचारी एटीएम से वही फंड निकाल पाएंगे जिनके लिए उन्होंने पहले से आवेदन किया होगा। पीएफ फंड से कर्मचारी केवल विशेष परिस्थितियों में आंशिक राशि ही निकाल सकते हैं। इस राशि को निकालने के लिए उन्हें ईपीएफओ की वेबसाइट या उमंग ऐप पर क्लेम सबमिट करना पड़ता है।

गिग वर्करों और बेरोजगारी दर पर श्रम सचिव ने क्या कहा

सुमिता डावरा ने यह भी कहा कि गिग और प्लेटफॉर्म वर्करों को भी सोशल सिक्योरिटी के फायदे मुहैया करने की तैयारी की जा रही है। इस योजना की तैयारी लगभग पूरी हो गई है और इसे अंतिम रूप दिया जा रहा है।

इन वर्करों को मिलने वाले लाभों में मेडिकल हेल्थ कवरेज, पीएफ, और विकलांगता की स्थिति में आर्थिक सहायता शामिल करने पर विचार किया जा रहा है। बता दें कि सामाजिक सुरक्षा और कल्याणकारी लाभ देने के लिए गिग वर्करों के लिए एक विशेष समिति का गठन किया गया है।

श्रम सचिव ने कहा है कि देश की बेरोजगारी दर में काफी कमी देखने को मिली है। उन्होंने कहा है, “साल 2017 में बेरोजगारी दर छह प्रतिशत थी, जो अब घटकर 3.2 प्रतिशत रह गई है। इसके साथ ही, श्रमबल भागीदारी और वर्कर पार्टिसिपेशन रेश्यो भी बढ़ रहा है, जो अब 58 प्रतिशत तक पहुंच गया है।”

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