Wednesday, September 10, 2025
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फ्रांस: सड़कों पर क्यों उतरे हैं हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी, बसों में लगाई आग, ट्रेनें बंद; 200 से ज्यादा गिरफ्तार

फ्रांस में प्रदर्शनकारियों ने सड़कें जाम कर दीं, बैरिकेड्स में आग लगा दी। देशभर में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए 80 हजार पुलिसबलों की तैनाती की गई है।

पेरिसः फ्रांस में हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी देश के अलग-अलग शहरों में जुटे हैं। बुधवार (10 सितंबर) को हुए इन प्रदर्शनों में प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प हो गई। पेरिस में सड़कें बंद कर दीं और बसों में आग लगा दी। फ्रांस के अलग-अलग शहरों में ये प्रदर्शन राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रां और उनकी सरकार के खिलाफ लोगों की नाराजगी को दर्शाता है। अधिकारियों के मुताबिक, कम से कम 200 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है।

प्रदर्शनकारियों ने इस आंदोलन का नाम “ब्लॉक एवरीथिंग” दिया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, राजधानी पेरिस में प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड्स में आग लगा दी। इसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े।

फ्रांस के गृह मंत्री ने क्या कहा?

फ्रांस के गृह मंत्री ब्रूनो रिटेलेऊ ने कहा कि रेनेस में एक बस में आग लगा दी गई और दक्षिण-पश्चिम में बिजली लाइन क्षतिग्रस्त होने के कारण ट्रेनें रोक दी गईं। उन्होंने प्रदर्शनकारियों पर आरोप लगाया कि वे “विद्रोह का माहौल” तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं।

मैंक्रां सरकार ने राज्य में बड़े स्तर पर होने वाले प्रदर्शनों पर रोक के लिए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किए हैं। देशभर में करीब 80 हजार पुलिसकर्मी कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए तैनात किए गए हैं।

भारी संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती के बावजूद प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड तोड़ दिए, आग लगा दी। पेरिस में कूड़ेदानों में आग लगा दी। इस बीच यात्रियों ने रास्ता बंद होने की भी सूचना दी।

अधिकारियों ने बताया कि सुबह 9 बजे तक करीब 75 लोगों को हिरासत में लिया गया था लेकिन बाद में प्रदर्शनों के कारण अशांति फैलने के बाद यह संख्या बढ़कर 200 हो गई।

“ब्लॉक एवरीथिंग” आंदोलन भले ही अपने उद्देश्य पूरे नहीं कर पाया जैसा कि घोषणा की गई थी हालांकि, इससे बड़े पैमाने पर यातायात प्रभावित हुआ। इसके साथ ही यात्रियों और आम लोगों को भी नुकसान हुआ है।

बड़े पैमाने पर हो रहे प्रदर्शन का कारण क्या है?

फ्रांस के प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू ने सोमवार (10 सितंबर) को विश्वस मत खो दिया था। बायरू ने कर्मचारियों की छुट्टियों में कटौती, पेंशन रोकने सहित खर्च में कटौती के लिए कई उपायों की घोषणा की थी। विश्वास मत हार जाने के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद 9 सितंबर (मंगलवार) को राष्ट्रपति मैक्रां ने रक्षा मंत्री सेबेस्टियन लेकॉर्नो को प्रधानमंत्री नियुक्त किया। लेकॉर्नो राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रां के काफी करीबी माने जाते हैं।

हालांकि शीर्ष स्तर पर हुए इन राजनैतिक बदलावों की वजह से राजनैतिक रूप से अस्थिरता तो आई ही, इसके साथ-साथ इमैनुएल मैक्रां के खिलाफ लोगों की नाराजगी भी देखने को मिली। लोगों ने उनके असंतोष को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया।

देश भर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के आयोजकों ने तर्क किया कि बायरू के इस्तीफे ने उनकी शिकायतें नहीं बदली हैं। प्रदर्शनों की अगुवाई कर रहे एक संगठन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा “सरकार का गिरना अच्छा है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है।”

यह भी पढ़ें – बालेंद्र शाह कौन हैं? नेपाल में जारी हंगामे के बीच क्यों आया ये नाम चर्चा में

“ब्लॉक एवरीथिंग” आंदोलन वैसे तो गर्मियों में शुरू हुआ था और सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म जैसे टिक-टॉक, एक्स और अन्य प्लेटफॉर्म के जरिए लोगों तक इसकी पहुंच बढती गई। इस बीच लोगों ने मौजूदा प्रशासन के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए हड़तालें की, बहिष्कार किया और सड़कों पर उतरे।

इस आंदोलन का हालांकि कोई केंद्रीय नेतृत्व नहीं है इसलिए विश्लेषकों का मानना है कि यह अप्रत्याशित है। इसलिए उनका यह भी मानना है कि इसे दबाना मुश्किल है। ऐसे में अधिकारियों को डर है कि यह कभी भी हिंसक रूप ले सकता है और बुधवार को पुलिस के साथ झड़पों में ऐसा देखने को भी मिला।

अमरेन्द्र यादव
अमरेन्द्र यादव
लखनऊ विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातक करने के बाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पत्रकारिता की पढ़ाई। जागरण न्यू मीडिया में बतौर कंटेंट राइटर काम करने के बाद 'बोले भारत' में कॉपी राइटर के रूप में कार्यरत...सीखना निरंतर जारी है...
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