फ्रांस की राजधानी पेरिस में मंगलवार को विभिन्न इलाकों में मस्जिदों के बाहर सूअर के कम से कम 9 सिर पाए गए। कुछ कटे हुए सिरों पर फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का नाम भी लिखा हुआ था। पेरिस के पुलिस प्रमुख लॉरेंट नुनेज ने घटनाओं की पुष्टि करते हुए कहा कि राजधानी की चार मस्जिदों और आस-पास के उपनगरों में पाँच मस्जिदों के बाहर सूअरों के सिर रखे गए थे।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मैक्रों ने कहा, ‘कुछ मस्जिदों के सामने सूअरों के सिर छोड़े गए हैं… पेरिस में चार और भीतरी उपनगरों में पाँच।’ मैक्रों ने आगे कहा कि अधिकारी और सिर मिलने की संभावना से इनकार नहीं कर रहे हैं। पेरिस अभियोजक कार्यालय ने कहा कि कई सिर पर नीली स्याही से मैक्रों का सरनेम लिखा हुआ था।
पुलिस ने मामले की जांच नस्लीय या धार्मिक भेदभाव और नफरत भड़काने के एंगल से शुरू भी कर दी है। दरअसल, इस्लाम में सूअर का मांस नहीं खाया जाता, क्योंकि इसे अशुद्ध माना जाता है। इसलिए यह घटना मुसलमानों के लिहाज से विशेष रूप से संवेदनशील है। यूरोपीय संघ के देशों में फ्रांस ऐसी जगह है जहां सबसे ज्यादा बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय और यहूदी आबादी भी है।
फ्रांस में बढ़ी हैं मुस्लिम विरोधी घटनाएं
यह घटना ऐसे समय में हुई हैं जब पूरे यूरोप में धार्मिक तनाव बढ़ रहा है। यूरोपीय संघ की मौलिक अधिकारों की एजेंसी ने अक्टूबर 2023 में इजराइल-हमास युद्ध शुरू होने के बाद से मुस्लिम विरोधी नफरत सहित यहूदी-विरोधी भावना में वृद्धि की जानकारी दी है।
फ्रांस में आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि जनवरी और मई 2025 के बीच मुस्लिम विरोधी घटनाओं में पिछले वर्ष की तुलना में 75 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसमें व्यक्तियों पर हमलों में तीन गुना वृद्धि हुई है।
बहरहाल, फ्रांस में कई नेताओं ने मस्जिदों के बाहर सूअर का सिर रखे जाने की घटनाओं की निंदा की है। मैक्रों ने भी मुस्लिम प्रतिनिधियों से मुलाकात कर उनके लिए अपना ‘समर्थन’ व्यक्त किया। पेरिस की मेयर ऐनी हिडाल्गो ने कहा है कि शहर ने ‘नस्लवादी कृत्यों’ की निंदा करते हुए कानूनी कार्रवाई शुरू की है।
वहीं, गृह मंत्री ब्रूनो रिटेलो ने इसे ‘घृणास्पद’ और ‘बिल्कुल अस्वीकार्य’ बताया है। उन्होंने कहा, ‘मैं चाहता हूँ कि हमारे मुस्लिम देशवासी शांति से अपने धर्म का पालन कर सकें।’
दूसरी ओर पेरिस की ग्रैंड मस्जिद के चेम्स-एडिन हाफिज ने इस घटना को ‘इस्लामोफोबिक कृत्य’ करार दिया है। वैसे हाल में फ्रांस में कुछ और ऐसी चौंकाने वाली घटनाएं हुई हैं। इन्हें स्थानीय अधिकारियों ने रूस से जोड़ा था। इसमें एफिल टॉवर पर फ्रांसीसी झंडे से लिपटे ताबूतों को छोड़ना और इस पर ‘यूक्रेन के फ्रांसीसी सैनिक’ लिखा होना शामिल था। ऐसे ही जून में, सर्बिया के तीन लोगों पर यहूदी स्थल के अपमान के आरोप लगाए गए थे। इस घटना के भी रूस समर्थित होने के आरोप लगे थे।
फ्रांस के नए पीएम सेबैस्टियन लेकोर्नु
इस बीच मैक्रों ने मंगलवार को अपने करीबी माने जाने वाले सेबैस्टियन लेकोर्नु को फ्रांस का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया। इससे ये पद दो साल से भी कम समय में संभालने वाले वे पाँचवें व्यक्ति बन गए हैं। लेकोर्नु एक पूर्व कंजर्वेटिव हैं जिन्होंने मैक्रों के 2017 के चुनाव अभियान का समर्थन किया था। उन्होंने सबसे हाल में रक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया हुआ है और अपने प्रो-बिजनेस रुख के लिए जाने जाते हैं।
लेकोर्नु ने फ्रांस्वा बायरू का स्थान लिया है, जिन्हें ऋण कटौती योजनाओं के कारण संसद ने पद से हटा दिया था। नए प्रधानमंत्री के सामने अब 2026 के बजट पर आम सहमति बनाने की चुनौती है। मैक्रों ने नए पीएम से सभी दलों के बीच सामंजस्य बनाने का अनुरोध किया है, लेकिन वामपंथी समूहों ने उनकी नियुक्ति को अस्वीकार कर दिया है। वहीं धुर-दक्षिणपंथी नेशनल रैली ने सशर्त समर्थन व्यक्त किया है।