Homeवीडियो1962 का भारत-चीन युद्ध और रतन टाटा का कुंवारा रह जाना

1962 का भारत-चीन युद्ध और रतन टाटा का कुंवारा रह जाना

स्वर्ग ने एक महफिल सजाई। सबको बुलाया। सूरज था, चांद था। सितारे थे। सारे ग्रहों के नजारे थे। सब कुछ था लेकिन स्वर्ग को मानो कुछ खटक रहा था। उसे किसी का इंतजार था। उसका रतन नहीं था।

लेकिन आज स्वर्ग की दुनिया संवर गई होगी क्योंकि धरती का रतन यहां से चला गया। रतन टाटा का जाना पैसे और परोपकार के गम का प्रकृति में विलीन हो जाना है। 86 साल की उम्र में टाटा सन्स के पूर्व चेयरमैन और प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा का निधन हो गया।

उस रतन टाटा का जिनकी जिंदगी का एक कोना हमेशा किसी के लिए अधूरा रहा। वो कौन थी, ये हम आपको बताएंगे। आज हमारे बीच वो रतन टाटा नहीं हैं जिन्होंने पैसों के बीच कैसे रिश्तों के टूटन की चुभन अपने दिल में महसूस किया था, ये भी हम आपको बताएंगे।

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आज हम रतन टाटा के अंदर छुपी उस जिद्दी शख्सियत के बारे में भी बताएंगे जो नाकामी की कब्र पर अपनी जिद से कामयाबी की इमारत बना देती है। और ये भी बताएंगे कि 1962 के भारत चीन युद्ध में जब भारत के लोगों का दिल चीन के धोखे के कारण टूटा था, उसी युद्ध के बीच कैसे रतन टाटा का दिल भी टूटा था। कैसे भारतचीन युद्ध के कारण उनकी शादी नहीं हो पायी।

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