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श्रीलंका में पहली बार बन सकती है वामपंथी सरकार! जानें कौन हैं संभावित राष्ट्रपति और चीन के करीबी अनुरा कुमारा दिसानायके

कोलंबो: श्रीलंका के नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके देश के पहले वामपंथी राष्ट्राध्यक्ष बन सकते हैं। शनिवार को हुए राष्ट्रपति चुनाव के शुरुआती रुझानों में उन्होंने अभी तक भारी बढ़त हासिल की है।

रविवार को खबर लिखने तक वोटों की गिनती में अनुरा ने लगभग 50 फीसदी वोट हासिल किए हैं और गिनती अभी भी जारी है। पड़ोसी देश श्रीलंका के लिए यह चुनाव काफी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि साल 2022 की गंभीर आर्थिक संकट के बाद वहां पर पहली बार चुनाव हो रहा है।

55 साल के अनुरा को एकेडी के नाम से भी जाना जाता है। उन्हें चीन का काफी करीबी भी माना जाता है। अगर अनुरा यह चुनाव जीत जाते हैं तो वे श्रीलंका के नौवें कार्यकारी राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेगें। श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव पर भारत समेत उसके सभी पड़ोसी देशों की नजर है।

अब तक नतीजों में क्या खुलासा हुआ है

रविवार को जारी वोटों की गिनती में अनुरा को अब तक 49.77 फीसदी वोट मिले हैं जबकि विपक्षी नेता सजीथ प्रेमदासा को 25.78 प्रतिशत वोट मिले हैं जो अभी दूसरे नंबर पर चल रहे हैं।

शनिवार रात को ही जब से वोटों की गिनती शुरू हुई थी, अनुरा ने बढ़त बना रखी है। उनकी बढ़त को देख विपक्षी नेता रानिल और साजिथ गुट ने पहले ही हार स्वीकर कर लिया है और अनुरा को इसके लिए बधाई भी दे दी है।

इस चुनाव में पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के सत्ता से बाहर होने जाने के बाद श्रीलंका को आर्थिक संकट से बाहर निकालने के लिए गंभीर प्रयास करने वाले वरिष्ठ नेता रानिल तीसरे स्थान पर हैं। रानिल को अब तक 16.37 वोट ही मिले हैं। वहीं पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के बेटे नमल राजपक्षे को मात्र 2.92 प्रतिशत मत ही मिले हैं।

कौन हैं अनुरा कुमारा दिसानायके

अनुरा कुमारा दिसानायके का जन्म 24 नवंबर 1968 में श्रीलंका के अनुराधापुरा जिले के थंबूथेगामा गांव में हुआ है। उनका गांव राजधानी कोलंबो से लगभग 100 किलोमीटर दूर है। उन्होंने बताया कि वे अपने गांव से विश्वविद्यालय जाने वाले पहले छात्र थे। वे एक मजदूर परिवार से आते हैं।

साल 1995 में अनुरा ग्रेजुएट हुए थे और इसके बाद से ही वे छात्र राजनीति में शामिल हो गए थे। अनुरा साल 1987 में मार्क्सवादी जेवीपी में शामिल हुए थे।

श्रीलंका के लिए कैसे खास बने अनुरा

श्रीलंका के फिर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाना और अब शुरुआती रुझानों में अच्छी बढ़त हासिल करना अनुरा के लिए इतना आसान नहीं था। अनुरा ने वामपंथ को समर्थन करने वाली जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) पार्टी के तरफ से साल 2019 में राष्ट्रपति का चुनाव लड़ा था।

लेकिन उस समय उन्हें कोई कामयाबी नहीं मिली थी और उन्हें केवल 3.2 फीसदी ही वोट मिले थे। साल 2019 के चुनाव में गोटबाया राजपक्षे राष्ट्रपति बने थे जिन पर बाद में देश की अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधन के लिए सरकार की भारी आलोचना भी हुई थी।

यह मुद्दा इतना गंभीर था कि इसके लिए श्रीलंका में साल 2022 में भारी विरोध प्रदर्शन भी हुआ था। श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को बिगाड़ने के लिए उस दौरान राजपक्षे शासन के खिलाफ “अरागालय” विरोध प्रदर्शन हुआ था। इसमें अनुरा ने अहम रोल अदा किया था और वे काफी लोकप्रिय भी हुए थे।

इस विरोध के कारण गोटबाया राजपक्षे की सत्ता चली गई थी। गोटबाया राजपक्षे के बाद रानिल विक्रमसिंघे ने सत्ता संभाली थी और देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिश की थी।

अनुरा ने साल 2024 के राष्ट्रपति चुनाव को नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ा था। अनुरा की जीत श्रीलंका की राजनीति में एक बड़े बदलाव का संकेत है।

ऐसा इसलिए क्योंकि वामपंथ को समर्थन करने वाली जेवीपी पार्टी, मजदूर वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाली पार्टी है। ऐसे में इस पार्टी के नेता पहली बार राष्ट्रपति की पद संभालने वाले हैं।

चुनाव से पहले अनुरा ने जनता से क्या वादा किया था

साल 2022 से श्रीलंका आर्थिक संकट का शिकार है। ऐसे में राष्ट्रपति चुनाव प्रचार में अनुरा ने लोगों को आर्थिक कठिनाइयों जैसे कि लंबे समय तक बिजली कटौती, महंगाई और आसमान छूती कीमतों से छुटकारा दिलाने का वादा किया है।

यही नहीं उन्होंने जनता से कर को कम करने और देश के आर्थिक सुधार को जारी रखना का भी वादा किया है।

भारत और चीन के साथ अनुरा का रिश्ता

जेवीपी पार्टी जिससे साल 2019 में अनुरा ने श्रीलंका का राष्ट्रपति चुनाव लड़ा था, यह पार्टी “भारत विरोधी” विचारों के लिए जानी जाती है। पिछले कुछ सालों में श्रीलंका में बिगड़े हुए हालात को देखते हुए इसी साल जनवरी में भारत ने अनुरा से संपर्क किया था और उनके साथ बातचीत भी की थी।

एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि अनुरा की पार्टी के चीन के काफी करीब है। दावा यह भी है कि पार्टी को चीन से फंडिंग भी मिली है। हालांकि एनपीपी के एक वरिष्ठ ने भारत के साथ रिश्ते बनाने और उसके साथ काम करने की बात कही है।

रविवार दोपहर तक बढ़ाया गया कर्फ्यू 

सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री तिरान एलेस के अनुसार, चल रही मतगणना के मद्देनजर श्रीलंका ने रविवार दोपहर तक कर्फ्यू बढ़ा दिया है। पहले कर्फ्यू शनिवार रात 10 बजे से रविवार सुबह छह बजे तक लगाया गया था।

पुलिस ने कहा कि 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के बाद शांतिपूर्ण स्थिति के बावजूद सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों ने यह कदम उठाया है। पुलिस के अनुसार, राष्ट्रपति ने सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए कर्फ्यू लागू किया गया है।

राष्ट्रपति चुनाव में 39 उम्मीदवार थे मैदान में

इसके अतिरिक्त, सरकार ने सोमवार (23 सितंबर) को विशेष सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है, जिसकी पुष्टि लोक प्रशासन और गृह मंत्रालय के सचिव प्रदीप यासरथने ने की है।

द्वीप राष्ट्र के सबसे खराब आर्थिक संकट के बाद होने वाले इस बहुप्रतीक्षित चुनाव में कुल 39 उम्मीदवार मैदान में थे, जिनमें वर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, विपक्ष के नेता साजिथ प्रेमदासा (समागी जन बालवेगया) पार्टी से और मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके (जनता विमुक्ति पेरामुना पार्टी) शामिल हैं।

चुनाव के नतीजों पर क्षेत्र में उत्सुकता से नजर रखी जा रही है।

इस साल 1.2 करोड़ नए मतदाताओं ने दिया है वोट

कुल 22 मिलियन (2.2 करोड़) की आबादी में से 17,140,350 श्रीलंकाई इस चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करने के पात्र थे। इसमें 1.2 मिलियन (12 लाख) नए मतदाता शामिल थे। शनिवार को देशभर के 3,421 मतदान केंद्रों पर सुबह सात बजे मतदान शुरू हुआ और शाम चार बजे समाप्त हुआ था।

समाचार एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ

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