Tuesday, September 9, 2025
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ट्रंप के टैरिफ को अमेरिकी कोर्ट ने बताया अवैध, क्या बोले अमेरिकी राष्ट्रपति; भारत को मिलेगी राहत?

कोर्ट ने 7-4 के बहुमत से फैसला दिया। हालांकि, कोर्ट का यह फैसला अभी 14 अक्टूबर तक लागू नहीं होगा, ताकि ट्रंप प्रशासन को इस मामले में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का समय मिल सके।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दुनिया भर के कई देशों पर लगाए जा रहे टैरिफ को अमेरिका की एक अदालत ने अवैध बताया है। ट्रंप पिछले कुछ दिनों में लगातार अमेरिकी संसद यानी कांग्रेस को दरकिनार करते हुए और राष्ट्रपति को मिले आपातकालीन आर्थिक शक्तियों के कानून के तहत दुनिया भर से अमेरिका आने वाले विदेशी उत्पादों पर टैरिफ का ऐलान करते रहे हैं। इससे पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था में हलचल मची हुई है।

अब हालांकि, अमेरिकी की एक संघीय अपील अदालत के फैसले से ट्रंप के ‘टैरिफ अभियान’ का रास्ता मुश्किल भरा हो सकता है। अमेरिकी संघीय सर्किट अपील अदालत ने शुक्रवार को फैसला सुनाया कि ट्रंप ने राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करते हुए दुनिया के लगभग हर देश पर व्यापक आयात कर लगाया और इस प्रक्रिया को सही ठहराने की कोशिश में वे बहुत आगे चले गए।

7-4 की बहुमत से फैसला, कब से लागू होगा?

कोर्ट ने 7-4 के बहुमत से फैसला दिया। हालांकि, कोर्ट का यह फैसला अभी 14 अक्टूबर तक लागू नहीं होगा, ताकि ट्रंप प्रशासन को इस मामले में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का समय मिल सके। माना जा रहा है कि इस फैसले से कानूनी टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है। इससे ट्रंप की विदेश नीति प्रभावित हो सकती हैं।

गौरतलब है कि ट्रंप की अनिश्चित व्यापार नीतियों ने दुनिया भर के वित्तीय बाजारों को हिलाकर रख दिया है। खुद अमेरिका सहित कई देशों के व्यापार प्रभावित हो रहे हैं। इससे धीमी आर्थिक वृद्धि की आशंकाएँ पैदा हो गई हैं।

बता दें कि जब ट्रंप सरकार ने ट्रेड वॉर शुरू किया, तो उन्होंने आईईईपीए कानून का इस्तेमाल करते हुए कहा था कि व्यापार घाटे की वजह से देश में आर्थिक आपातकाल की स्थिति बन गई है। इसी के आधार पर उन्होंने सामानों पर टैरिफ यानी सीमा शुल्क लगा दिया था। अदालत ने कहा कि कानून में साफ तौर पर टैरिफ या टैक्स लगाने का अधिकार नहीं दिया गया है।

ट्रंप ने 2 अप्रैल को, जिसे उन्होंने लिब्रेशन डे कहा था, कई देशों पर 50% तक के रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। ट्रंप ने कहा कि ये उन पर लगाया जा रहा है कि जिनके साथ अमेरिका का व्यापार घाटा है। इसके अलावा लगभग सभी अन्य देशों पर 10% टैरिफ लगाए गए।

बाद में ट्रंप ने इन रेसिप्रोकल टैरिफ को 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिया ताकि इन देशों को अमेरिका के साथ व्यापार समझौते करने का समय मिल सके। कुछ देशों ने ऐसा किया। इनमें यूनाइटेड किंगडम, जापान और यूरोपीय संघ शामिल हैं। उन्होंने और भी बड़े टैरिफ से बचने के लिए ट्रंप के साथ कुछ हद तक असंतुलित समझौतों पर सहमति जताई।

वहीं, जो देश ट्रंप के आगे नहीं झुके, उन पर इस महीने की शुरुआत में टैरिफ लगाने की घोषणा की गई। मसलन लाओस पर 40% और अल्जीरिया पर 30% टैरिफ लगाया गया। भारत भी उन देशों में शामिल है, जिस पर ट्रंप 50 प्रतिशत टैरिफ लगा चुके हैं।

कोर्ट के फैसले पर ट्रंप ने क्या कहा?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को पुष्टि की कि सभी देशों पर लगाए गए टैरिफ लागू रहेंगे और अगर इन्हें हटा दिया गया, तो यह ‘अमेरिका के लिए विनाशकारी’ होगा। उनकी यह टिप्पणी एक अमेरिकी अदालत द्वारा यह फैसला सुनाए जाने के तुरंत बाद आई।

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ पर लिखा, ‘सभी टैरिफ अभी भी लागू हैं! आज एक बेहद पक्षपातपूर्ण अपील अदालत ने गलत तरीके से कहा कि हमारे टैरिफ हटा दिए जाने चाहिए, लेकिन वे जानते हैं कि अंत में संयुक्त राज्य अमेरिका की ही जीत होगी। अगर ये टैरिफ कभी हट भी गए, तो यह देश के लिए पूरी तरह से विनाशकारी होगा। यह हमें आर्थिक रूप से कमजोर बना देगा, और हमें मजोबूत होना होगा।

उन्होंने आगे कहा, ‘अमेरिका अब भारी व्यापार घाटे और दूसरे देशों, चाहे वे दोस्त हों या दुश्मन, द्वारा लगाए गए अनुचित टैरिफ और गैर-टैरिफ व्यापार बाधाओं को बर्दाश्त नहीं करेगा, जो हमारे मैनुफैक्चरर, किसानों और बाकी सभी को कमजोर करते हैं। अगर यह फैसला ऐसे ही रहने दिया गया, तो यह सचमुच संयुक्त राज्य अमेरिका को तबाह कर देगा।’

कोर्ट के फैसले के बाद भारत को मिलेगी राहत?

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि ट्रंप के पास ऐसे व्यापक अधिकार नहीं थे कि वे इस तरह के शुल्क लगा सकें। वहीं, व्हाइट हाउस के उप प्रेस सचिव कुश देसाई ने अस्थायी रोक का ज़िक्र करते हुए कहा कि राष्ट्रपति द्वारा लगाए गए टैरिफ अभी भी लागू रहेंगे और उन्हें उम्मीद है कि सरकार यह मामला अंत में जीत जाएगी।

कोर्ट का यह फैसला उन टैक्स पर लागू होता है जो अंतरराष्ट्रीय आर्थिक आपातकाल के कानून के तहत लगाए गए थे, न कि सुरक्षा से जुड़े टैक्सों पर। अगर सुप्रीम कोर्ट में ट्रंप सरकार को झटका लगता है तो भारत पर लगाया गया 25 फीसद टैरिफ जरूर हटा दिया जाएगा। हालांकि, यह साफ नहीं है कि रूस से तेल खरीदने पर लगाया गया 25 फीसद ‘दंडात्मक शुल्क’ भी इस फैसले में शामिल है या नहीं, क्योंकि होमलैंड सिक्योरिटी सचिव क्रिस्टी नोएम का कहना है कि यह शुल्क रूस से अमेरिका को होने वाले खतरे से निपटने के लिए लगाया गया था।

अमेरिकी कोर्ट के फैसले में उन शुल्कों को शामिल नहीं किया गया है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के कारण स्टील, एल्युमीनियम और तांबे पर लगाए गए हैं। इसलिए, संभावना है कि तेल पर लगने वाला टैरिफ अभी भी जारी रह सकता है।

विनीत कुमार
विनीत कुमार
पूर्व में IANS, आज तक, न्यूज नेशन और लोकमत मीडिया जैसी मीडिया संस्थानों लिए काम कर चुके हैं। सेंट जेवियर्स कॉलेज, रांची से मास कम्यूनिकेशन एंड वीडियो प्रोडक्शन की डिग्री। मीडिया प्रबंधन का डिप्लोमा कोर्स। जिंदगी का साथ निभाते चले जाने और हर फिक्र को धुएं में उड़ाने वाली फिलॉसफी में गहरा भरोसा...
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