Friday, October 10, 2025
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पूर्व अग्निवीरों को केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में मिलेगा 10 फीसदी आरक्षण, फिजिकल टेस्ट में भी मिलेगी छूट

नई दिल्ली: अग्निपथ योजना को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है। केंद्र सरकार ने इस योजना में कुछ बदलाव करने की तैयारी में है। बदलाव के तहत केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में पूर्व अग्निवीरों के लिए 10 फीसदी पद आरक्षित किए जाएगें।

पूर्व अग्निवीरों को यह आरक्षण सीआईएसएफ, बीएसएफ, आरपीएफ जैसे केंद्रीय सशस्त्र बलों में मिलेगा। यही नहीं केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के फिजिकल टेस्ट में भी पूर्व अग्निवीरों को छूट दी जाएगी।

आयु में भी मिलेगी छूट

पूर्व अग्निवीरों को सीआईएसएफ में भर्ती के लिए आयु में भी छूट मिलेगी। उन्हें पहले साल पांच वर्ष की और फिर बाद के सालों में तीन साल की छूट दी जाएगी। बीएसएफ ने भी कहा है कि उनके यहां निकलने वाली कुल भर्ती के 10 फीसदी पद पूर्व अग्निवीरों के लिए आरक्षित की जाएगी।

पूर्व अग्निवीरों को सीआईएसएफ की तरह बीएसएफ में भी आयु में छूट दी जाएगा और उन्हे पहले साल पांच वर्ष और फिर बाद के सालों में तीन वर्ष की छूट मिलेगी।

सीआईएसएफ और बीएसएफ ने क्या कहा

इस पर बोलते हुए सीआईएसएफ की महानिदेशक नीना सिंह ने कहा है कि इसके लिए सभी तैयारियां की जा चुकी है। बीएसएफ के डीजी नितिन अग्रवाल ने इस बदलाव को अच्छा बताया है और कहा है कि इससे सभी बलों को फायदा होगा।

आरपी के महानिदेशक मनोज यादव ने भी पूर्व अग्निवीरों के लिए 10 फीसदी पद आरक्षित करने की बात कही है।

2022 में ही केंद्र सरकार कर चुकी है ऐलान

गौर करने वाली बात यह है कि अग्निपथ योजना को लेकर जब 2022 में विरोध प्रदर्शन हुआ था तब केंद्र सरकार ने इसके बारे में ऐलान किया था। सरकार ने उस समय ही केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की भर्तियों में पूर्व अग्निवीरों को प्राथमिकता मिलेगा और उन्हें 10 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा।

अग्निपथ योजना को लेकर विरोध

कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने अग्निपथ योजना को लेकर सवाल उठाया था और केंद्र सरकार को इसके लिए घेरा था। विपक्षी दलों ने सवाल पूछते हुए कहा था कि उन 75 फीसदी अग्निवीरों का क्या होगा जिन्हें उनके चार साल के कार्यकाल के बाद भी सेना में नहीं रखा जाएगा।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी शुरू से ही अग्निवीर योजना की आलोचना कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह योजना सैनिकों के हितों पर कुठाराघात करने के मकसद से लाया गया है।

सदन में राहुल गांधी ने क्या कहा था

इस मुद्दे पर राहुल गांधी ने सदन में कहा था कि अग्निवीरों को सरकार शहीद का दर्जा नहीं देती, साथ ही उन्हें मुआवजा भी नहीं दिया जाता। ऐसे में कांग्रेस सत्ता में आएगी तो सेना में भर्ती के लिए जारी इस योजना को हटाएगी। राहुल गांधी ने तो संसद में यहां तक कह दिया कि अग्निवीर सेना की नहीं पीएमओ की स्कीम है। उन्होंने सरकार के लिए अग्निवीरों को ‘यूज एंड थ्रो मजदूर’ बताया।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिया था जवाब

राहुल के इस बयान पर संसद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि अग्निवीर शहीद को एक करोड़ मुआवजा दिया जाता है। उन्होंने राहुल गांधी पर गलतबयानी का आरोप लगा दिया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी सदन को गुमराह कर रहे हैं।

राजनाथ सिंह ने सदन में कहा कि मैं नेता प्रतिपक्ष से विनम्रतापूर्वक अनुरोध करना चाहता हूं कि कृपया वो संसद को गुमराह करने की कोशिश न करें। अग्निवीर योजना के संबंध में बहुत सारे लोगों से, 158 संस्थाओं के साथ सीधा संवाद स्थापित किया गया, उनके सुझाव लिए गए, तब यह अग्निवीर योजना लाई गई है। बहुत सोच-समझकर यह योजना लाई गई है।

कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने भी उठाया था सवाल

इससे पहले कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने भी इस योजना को लेकर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा था कि फौज की रिपोर्ट यह बता रही है कि अग्निवीरों में जज्बे की कमी आई है।

अग्निवीरों में से केवल 25 फ़ीसदी को ही फौज में पक्का करने के कारण आपस में प्रतिद्वंद्विता और प्रतिस्पर्धा का माहौल बन गया है। यह फौज की मजबूती और मनोबल के लिए अच्छा नहीं है।

दीपेंद्र हुड्डा ने आगे कहा था कि अग्निवीरों को दी जाने वाली ट्रेनिंग पर्याप्त नहीं है। ट्रेनिंग की अवधि कम है, यही कारण है कि ट्रेनिंग की अवधि 24 हफ्ते से बढ़ाकर 37 से 42 हफ्ते तक करने की बात की जा रही है। उन्होंने कहा कि इसी तरह जहां केवल पहले 25 प्रतिशत अग्निवीरों को पक्का करने की योजना थी, अब 60 से 70 प्रतिशत को पक्का करने की बातें सामने आ रही है।

सेवानिवृत्तों ने क्या कहा था

इस मुद्दे पर सेवानिवृत्त कर्नल रोहित चौधरी और सेवानिवृत्त विंग कमांडर अनुमा आचार्य की प्रतिक्रिया सामने आई थी। सेवानिवृत्त कर्नल रोहित चौधरी ने कहा कि पीएम मोदी की इस योजना से नुकसान हुआ है। चुनाव के बाद जम्मू कश्मीर में आतंकवाद की घटनाएं बढ़ रही हैं। अग्निवीर योजना की वजह से अब युवा सेना में भर्ती होने के लिए नहीं आ रहे हैं।

सेवानिवृत्त विंग कमांडर अनुमा आचार्य ने कहा कि अग्निवीर योजना को लाने से पहले सरकार ने किसी से बात नहीं की। तीनों सेना के प्रमुखों ने इस योजना को लागू करने से मना कर दिया था। पहले सेना में दस लाख युवा आते थे, अब तीन लाख ही आ रहे हैं। हम चाहते हैं कि सरकार अग्निवीर योजना को तुरंत बंद करें और इस पर श्वेत पत्र लेकर आए।

समाचार एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ

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