नई दिल्ली: कर्मचारियों के जीवन को सुगम बनाने के उद्देश्य से कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) ने ईपीएफ योजना के तहत आंशिक निकासी प्रावधानों को सरल और उदार बनाने के लिए बड़े सुधारों को मंजूरी दी है। इस नए कदम ने 13 जटिल नियमों को एक सुव्यवस्थित ढांचे में एक में शामिल कर दिया है।
इससे न केवल लोगों के लिए पीएफ का पैसा निकालना आसान होगा, बल्कि जरूरत पड़ने पर पहले से कहीं ज्यादा पैसे निकाल सकेंगे। आज इपीएफओ में करोड़ से ज्यादा सदस्य हैं, जिन्हें सीधे तौर पर इन बदले हुए नियमों का फायदा मिलेगा। ईपीएफओ के नियमों में क्या अहम बदलाव हुए हैं, 5 प्वाइंट्स में समझते हैं।
EPFO New Rule: 5 प्वाइंट में समझिए बदले हुए नियम
- सरल प्रक्रिया: ईपीएफ आंशिक निकासी नियमों को तीन आसान श्रेणियों में रखा गया है। इसमें जरूरी आवश्यकताएँ (बीमारी, शिक्षा, विवाह), आवास आवश्यकताएँ और विशेष परिस्थितियाँ शामिल हैं। इससे पहले के 13 अलग-अलग प्रावधानों की उलझन खत्म हो गई है, जिससे प्रक्रिया सरल और अधिक पारदर्शी हो गई है।
- ज्यादा पैसे निकाल सकेंगे: अब आप पात्र भविष्य निधि बैलेंस की 100% तक की राशि निकाल सकते हैं, जिसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों का योगदान शामिल है। इससे पहले यह लिमिट सीमित थी। पूरी राशि एक साथ निकालने की अनुमति सिर्फ बेरोजगारी या रिटायरमेंट की स्थिति में थी। बेरोजगार होने के एक महीने बाद सदस्य अपने पीएफ खाते में जमा राशि का 75 फीसदी निकाल सकता था और उसके दो महीने बाद बाकी बची 25% रकम की निकासी हो सकती थी। बहरलाह, नए नियमों में शिक्षा से संबंधित निकासी की सीमा बढ़ाकर 10 बार और विवाह से संबंधित निकासी की सीमा बढ़ाकर 5 बार कर दी गई है – जबकि पहले दोनों उद्देश्यों के लिए केवल 3 बार निकासी की सीमा थी।
- न्यूनतम सर्विस में कमी: किसी भी आंशिक निकासी के लिए पात्र बनने हेतु आवश्यक न्यूनतम सेवा अवधि को पहले की अलग-अलग समय-सीमाओं की तुलना में अब सीधे समान रूप से घटाकर 12 महीने कर दिया गया है।
- कोई कारण देने की जरूरत नहीं: पहले ‘विशेष परिस्थितियों’ में निकासी के लिए सदस्यों को कारण बताना पड़ता था। जैसे- प्राकृतिक आपदा, बेरोजगारी या महामारी, जिसके कारण अक्सर दावे खारिज भी हो जाते थे। अब, सदस्य बिना कोई कारण बताए धनराशि निकाल सकते हैं, जिससे धन की त्वरित निकासी सुनिश्चित होगी।
- कितनी होगी न्यूनतम राशि: सदस्यों को अब अपनी सेवानिवृत्ति निधि को सुरक्षित रखने और ईपीएफओ की 8.25% प्रति वर्ष की ब्याज दर प्राप्त करते रहने के लिए न्यूनतम शेष राशि के रूप में 25% अंशदान खाते में रखना होगा। सबकुछ कागजात वगैरह की प्रक्रिया से मुक्त और 100% स्वतः निपटान वाली होगी, जिससे दावों का शीघ्र निपटान सुनिश्चित होगा।