‘संचार साथी’ ऐप को नए मोबाइल फोन में अनिवार्य करने के केंद्र सरकार के फैसले पर बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। विपक्ष ने इस आदेश को तत्काल वापस लेने को कहा है। विपक्ष का आरोप है कि यह कदम नागरिकों की निजता पर सीधा हमला है और सरकारी निगरानी को बढ़ाने का रास्ता खोलता है। उनका कहना है कि एक ऐसा ऐप, जिसे हटाया भी न जा सके, फोन की गतिविधियों पर राज्य की पकड़ बढ़ा देगा। हालांकि सरकार इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी बता रही है। सरकार का कहना है कि इसका उद्देश्य सिर्फ फर्जी और छेड़छाड़ किए गए IMEI नंबरों पर रोक लगाना है, न कि किसी की जासूसी करना।
दूरसंचार विभाग ने मोबाइल निर्माताओं को निर्देश दिया है कि सभी नए हैंडसेट में संचार साथी ऐप अनिवार्य रूप से प्री-इंस्टॉल किया जाए, ताकि डिवाइस की वास्तविकता और वैधता की जांच आसानी से की जा सके। जारी आदेश के अनुसार, ऐप फोन के पहले सेटअप के दौरान दिखाई देने योग्य, पूरी तरह काम करने वाला और उपयोग के लिए सक्षम होना चाहिए। निर्माताओं को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि सेटअप प्रक्रिया में ऐप तक पहुंच आसान हो और इसके किसी भी फीचर को न तो डिसेबल किया जाए और न ही प्रतिबंधित। सूचना में यह भी कहा गया है कि सभी कंपनियों को 120 दिनों के भीतर इस आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपनी होगी।
विपक्ष क्यों कर रहा विरोध, क्या आरोप लगाए हैं?
विपक्षी दलों ने इस आदेश को असंवैधानिक बताते हुए इसे राज्य की निगरानी बढ़ाने का प्रयास करार दिया है। शिवसेना (उद्धव) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इसे बिग बॉस जैसी निगरानी बताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार गैर-पारदर्शी तरीके से लोगों के फोन में घुसने की कोशिश कर रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसे कदमों का विरोध और प्रतिरोध दोनों होगा। उन्होंने दो टूक कहा कि शिकायत निवारण तंत्र मजबूत करने के बजाय आईटी मंत्रालय निगरानी तंत्र बना रहा है।
कांग्रेस पार्टी ने भी केंद्र के इस फैसला का कड़ा विरोध किया है और आदेश को तत्काल वापस लेने की मांग की है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इस आदेश को पूरी तरह असंवैधानिक बताया। उन्होंने एक्स पर लिखा, “बिग ब्रदर हमें नहीं देख सकता।” वेणुगोपाल ने कहा कि निजता का अधिकार, अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के मूल अधिकार का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने संचार साथी को हर भारतीय पर निगरानी रखने वाला डिस्टोपियन टूल बताया और आरोप लगाया कि यह नागरिकों की हर गतिविधि, हर बातचीत और हर निर्णय पर नजर रखेगा। कांग्रेस ने इस आदेश को तुरंत वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि यह संविधानिक अधिकारों पर लगातार हो रहे हमलों की कड़ी है।
संचार साथी ऐप क्या है जिसे सरकार ने स्मार्टफोन में पहले से इंस्टॉल करने का दिया है निर्देश?
‘सरकार को कॉल, संदेश और लोकेशन तक की जासूसी की ताकत दे देगा’
केंद्र के इस आदेश के बाद राजनीतिक विश्लेषक तहसीन पूनावाला ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर अपना कड़ा विरोध जताया। उन्होंने इसे चौंकाने वाला कदम बताते हुए कहा कि ऐसा ऐप, जिसे फोन से हटाया भी न जा सके, सरकार को कॉल, संदेश और लोकेशन तक की जासूसी की ताकत दे देगा। उन्होंने आरोप लगाया है कि इस आदेश से “हर नागरिक को अपराधी की तरह ट्रैक” किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि इस फैसले का लोकतांत्रिक तरीके से विरोध जरूरी है।
पूनावाला ने कहा कि “हम सरकार के इस आदेश को हर हाल में रोकेंगे, जिसमें फोन निर्माताओं को संचार साथी ऐप प्री-इंस्टॉल करने और मौजूदा फोन में अपडेट के जरिए भेजने का निर्देश दिया गया है। हम इसे संविधान और लोकतंत्र के दायरे में रहते हुए रोकेंगे।”
पूनावाला ने देशवासियों से इसके खिलाफ खड़े होने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि हम भारतीय नागरिक एकजुट होकर इस अन-इंस्टॉल न होने वाले संचार साथी ऐप के खिलाफ खड़े होंगे। हम एकजुट रहेंगे और सरकार को पीछे हटने पर मजबूर करेंगे। यह हमारा वादा है।
सरकार ने दी सफाई
केंद्र ने साफ किया कि ऐप किसी भी तरह का निजी डेटा एक्सेस नहीं करता और इसका एकमात्र उद्देश्य अवैध उपकरणों के दुरुपयोग को रोकना है। सरकार ने कहा कि यह कदम डुप्लिकेट और स्पूफ्ड IMEI नंबरों पर रोक लगाने के लिए जरूरी है, क्योंकि ऐसे नंबर गंभीर राष्ट्रीय सुरक्षा खतरा पैदा करते हैं। अधिकारियों ने बताया कि देश में तेजी से बढ़ते सेकंड हैंड फोन बाजार और चोरी या ब्लैकलिस्टेड फोन की आसान रीसेलिंग के कारण एक भरोसेमंद ट्रेसिंग सिस्टम बेहद जरूरी हो गया है, खासकर आतंकवाद या साइबर अपराध से जुड़े मामलों की जांच में।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, जब किसी फोन के IMEI नंबर में छेड़छाड़ या क्लोनिंग होती है, तो वह एक ही समय में कई स्थानों पर नेटवर्क पर दिखाई दे सकता है, जिससे संदिग्धों की पहचान कठिन हो जाती है। अधिकारियों का कहना है कि ऐसे स्पूफ्ड IMEI अपराधियों को ट्रैकिंग से बचने का मौका देते हैं, जबकि चोरी के फोन खरीदने वाले अनजाने में कानूनी जोखिम में पड़ सकते हैं। सरकार का तर्क है कि संचार साथी ऐप IMEI की पुष्टि, चोरी हुए फोन को ब्लॉक करने और साइबर दुरुपयोग रोकने में मदद करता है। केंद्र का कहना है कि यह कदम “राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए है, निगरानी के लिए नहीं।”

