Thursday, October 9, 2025
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‘X’ ने कर्नाटक हाई कोर्ट के किस फैसले पर जताई चिंता, आदेश के खिलाफ अपील की तैयारी…क्या है मामला?

पिछले हफ्ते पीठ ने अपने फैसले में कहा कि एक्स को देश के कानूनों का पालन करना होगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अनुच्छेद 19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का संवैधानिक संरक्षण केवल भारतीय नागरिकों को ही प्राप्त है, विदेशी संस्थाओं को नहीं।

नई दिल्ली: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) ने कहा है कि वह कर्नाटक हाई कोर्ट के उस हालिया आदेश के खिलाफ अपील करेगा जिसमें सरकारी एजेंसियों की ओर से किसी कंटेन्ट को हटाने के निर्देश का पालन करने को कहा गया है। कंपनी ने कोर्ट के फैसले पर चिंता जताते हुए कहा है कि ऐसे में बड़ी संख्या में पुलिस अधिकारियों को मनमाने ढंग से किसी भी कंटेन्ट को हटाने का निर्देश जारी करने की इजाजत मिल जाएगी।

पिछले हफ्ते आए कोर्ट के फैसले को लेकर अपनी प्रतिक्रिया में एक्स ने कहा, ‘भारत में कर्नाटक न्यायालय के हालिया आदेश से हम बेहद चिंतित हैं, जो लाखों पुलिस अधिकारियों को मनमाने ढंग से निष्कासन आदेश जारी करने की अनुमति देगा। हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए इस आदेश के खिलाफ अपील करेंगे।’

कोर्ट ने अपने आदेश में एक्स को क्या कहा?

पिछले हफ्ते पीठ ने अपने फैसले में कहा कि एक्स को देश के कानूनों का पालन करना होगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अनुच्छेद 19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का संवैधानिक संरक्षण केवल भारतीय नागरिकों को ही प्राप्त है, विदेशी संस्थाओं को नहीं। अदालत ने कहा, ‘अनुच्छेद 19 केवल नागरिकों के अधिकारों का चार्टर है। अनुच्छेद 19 का उपयोग वे लोग नहीं कर सकते जो नागरिक नहीं हैं।’

पीठ ने आगे टिप्पणी की, ‘अमेरिकी न्यायशास्त्र को भारतीय न्यायिक विचार की प्रक्रिया में नहीं लाया जा सकता।’ कोर्ट ने प्लेटफॉर्म की आलोचना करते हुए कहा कि वह अमेरिकी कानूनों का पालन करते हुए भारत के आदेशों का पालन करने से इनकार कर रहा है। कोर्ट ने एल्गोरिदम के प्रभाव पर भी सवाल उठाया और पूछा, ‘एल्गोरिदम लगातार सूचना के प्रवाह को आकार दे रहे हैं – क्या सोशल मीडिया पर नए खतरे को लेकर अंकुश लगाने और उसे नियंत्रित करने की आवश्यकता है?’

एक्स को हाई कोर्ट से झटका, क्या है पूरा मामला?

दरअसल, सरकार की ओर शुरू किए गए ‘सहयोग पोर्टल’ के खिलाफ एक्स ने कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दी थी। सहयोग पोर्टल एक तरह से वह ऑनलाइन मंच होगा जहां सरकारी एजेंसियां जरूरत पड़ने पर सोशल मीडिया और इंटरनेट कंपनियों से कोई कटेन्ट हटाने का निर्देश दे सकती हैं। हाई कोर्ट ने पिछले हफ्ते एक्स की याचिका को ठुकरा दिया था।

पिछले हफ्ते कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहां कि सहयोग पोर्टल ‘जनहित का एक साधन’ है, जो नागरिकों और सोशल मीडिया मध्यस्थों के बीच ‘सहयोग के एक स्तंभ’ की तरह है। इसके माध्यम से राज्य साइबर अपराध के बढ़ते खतरे से निपटने का प्रयास करते हैं। कोर्ट ने कहा, ‘इसकी वैधता पर सवाल उठाना इसके उद्देश्य को गलत तरीके से समझना है। इसलिए, यह याचिका निराधार है।’

वहीं, अदालत के आदेश के बाद केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा था, ‘संविधान की जीत हुई।’

इसी साल मार्च में एलन मस्क के स्वामित्व वाली एक्स ने ब्लॉकिंग आदेश जारी करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 79 (3) (बी) के इस्तेमाल को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ याचिका दायर की थी। कंपनी का दावा था कि इससे एक ‘समानांतर’ और ‘अवैध’ रूप से सामग्री के सेंसरशिप के लिए सिस्टम का निर्माण होता है। कंपनी ने याचिका में गृह मंत्रालय के पोर्टल- ‘सहयोग’ से जुड़ने से इनकार करने पर अपने प्रतिनिधियों और कर्मचारियों के लिए दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा की भी मांग की थी। एक्स का कहना था ‘सहयोग’ एक ‘सेंसरशिप पोर्टल’ है।

सहयोग पोर्टल के जरिए केंद्र और राज्य की एजेंसियाँ और स्थानीय पुलिस अधिकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को किसी कंटेन्ट को हटाने या ब्लॉक करने के आदेश जारी कर सकते हैं। द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक उसे आरटीआई आवेदनों के जरिए मिली जानकारी बताती है कि अक्टूबर 2024 से अप्रैल 2025 के बीच सरकार ने सहयोग के जरिए गूगल, यूट्यूब, अमेजन और माइक्रोसॉफ्ट जैसे प्लेटफॉर्म्स को 130 कंटेंट हटाने के नोटिस जारी किए।

विनीत कुमार
विनीत कुमार
पूर्व में IANS, आज तक, न्यूज नेशन और लोकमत मीडिया जैसी मीडिया संस्थानों लिए काम कर चुके हैं। सेंट जेवियर्स कॉलेज, रांची से मास कम्यूनिकेशन एंड वीडियो प्रोडक्शन की डिग्री। मीडिया प्रबंधन का डिप्लोमा कोर्स। जिंदगी का साथ निभाते चले जाने और हर फिक्र को धुएं में उड़ाने वाली फिलॉसफी में गहरा भरोसा...
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