Friday, October 10, 2025
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चुनाव आयोग ने बिहार में मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख नामों की सूची प्रकाशित की, सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश

पटना: बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) ने रविवार को विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के पहले चरण में मसौदा मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख नामों का विवरण प्रकाशित किया। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते एसआईआर के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग को मसौदा मतदाता सूची से हटाए गए लोगों का विवरण और हटाए जाने के कारणों को प्रकाशित करने का निर्देश दिया था।

बिहार के सीईओ विनोद सिंह गुंजियाल ने एक बयान में कहा, ‘माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 14.08.2025 को पारित अंतरिम आदेश के आलोक में, यह अधिसूचित किया जाता है कि ऐसे मतदाताओं की सूची, जिनके नाम वर्ष 2025 (ड्राफ्ट प्रकाशन से पहले) की मतदाता सूची में शामिल थे, लेकिन 01.08.2025 को प्रकाशित ड्राफ्ट रोल में शामिल नहीं हैं, उनके कारणों (मृत / स्थायी रूप से स्थानांतरित / अनुपस्थित / बार-बार प्रविष्टि) के साथ, मुख्य निर्वाचन अधिकारी, बिहार और बिहार राज्य के सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों की वेबसाइटों पर प्रकाशित की गई है।’

बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) नंबर का उपयोग करके नाम खोजे जा सकते हैं। बूथ-वार सूचियाँ भी डाउनलोड की जा सकती हैं। सूची में नाम, ईपीआईसी नंबर, पिता का नाम और नाम हटाने का कारण जैसी जानकारी दर्ज की गई है।

विपक्ष ने चुनाव आयोग के कदम का किया स्वागत

बहरहाल, विपक्ष ने इस कदम का स्वागत किया। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, ‘यह फैसला उस दिन आया जब भारतीय जनता पार्टी के नेता राहुल गांधी, तेजस्वी प्रसाद यादव और अन्य नेता बिहार के 22 जिलों में मतदाताओं को उनके मताधिकार के प्रति जागरूक करने के लिए यात्रा पर निकले हैं। अब हम आंकड़ों का विश्लेषण कर सकते हैं और उन मतदाताओं के मामलों को उठा सकते हैं जिनके नाम गलत तरीके से हटाए गए हैं।’

बता दें कि विपक्षी दलों और अन्य कार्यकर्ताओं ने एसआईआर प्रक्रिया के दौरान संभावित गलत तरीके से नाम हटाए जाने पर चिंता जताई है। उन्होंने दावा किया है कि इस प्रक्रिया के दौरान मृत घोषित किए गए कई लोग वास्तव में जीवित हैं। बिहार के 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ का नाम पहले मसौदे में दर्ज था। सूची से हटाए गए 65 लाख नामों में से 36 लाख स्थायी रूप से कहीं और चले गए हैं, और 22 लाख मृत बताए गए हैं।

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