Friday, October 10, 2025
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वेबसाइट बंद कर सबूत मिटा रहा चुनाव आयोग, राहुल गांधी ने लगाया नया आरोप

बेंगलुरु: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर नए आरोप लगाए हैं। बेंगलुरु में आयोजित कांग्रेस की ‘वोट अधिकार रैली’ में राहुल गांधी ने नया दावा करते हुए कहा कि जब देश की जनता हमारे डेटा को लेकर सवाल पूछ रही है तो चुनाव आयोग ने वेबसाइट ही बंद कर दी है। 

रैली में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, “चुनाव आयोग ने बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान में अपनी वेबसाइट बंद की है। चुनाव आयोग जानता है कि जनता उनसे सवाल पूछने लगी तो उनका पूरा ढांचा ढह जाएगा।”

‘शपथ पत्र’ वाले नोटिस पर राहुल गांधी ने जवाब देते हुए कहा कि चुनाव आयोग मुझसे हलफनामा मांगता है। वह कहता है कि मुझे शपथ लेनी होगी। लेकिन मैंने संसद में संविधान की शपथ ली है।

कांग्रेस सांसद ने फिर मांग रखी कि चुनाव आयोग हमें पूरे देश की इलेक्ट्रॉनिक वोटर लिस्ट और चुनाव से जुड़े वीडियोग्राफी के रिकॉर्ड दे। उन्होंने कहा कि अगर हमें ये मिल जाए तो हम साबित कर देंगे कि पूरे देश में सीटें चोरी की गई हैं।

अपने आरोपों को दोहराते हुए राहुल गांधी ने कहा, “पहले लोकसभा का चुनाव हुआ, फिर महाराष्ट्र का विधानसभा चुनाव हुआ। लोकसभा में हमारा गठबंधन भारी सीटों के साथ चुनाव जीता, लेकिन फिर चार महीने बाद विधानसभा चुनाव में भाजपा जीत गई। ये बेहद चौंकाने वाली बात थी। हमने पता किया तो मालूम चला कि विधानसभा चुनाव में एक करोड़ नए मतदाताओं ने वोट डाला है। जहां भी ये नए वोटर आए, वहां भाजपा ने जीत हासिल की। हमारे वोटों में कमी नहीं आई, लेकिन नए मतदाताओं का वोट भाजपा के खाते में गया। उसी दिन हमें समझ आ गया कि दाल में कुछ काला है।”

कांग्रेस सांसद ने आगे कहा, “चुनाव आयोग से मदद नहीं मिली तो हमने खुद से जांच शुरू की। इसके लिए हमने बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा सीट के महादेवापुरा विधानसभा क्षेत्र को चुना। हमने जांच में जो पाया, मैंने उसे प्रेस कॉन्फ्रेंस में सबके सामने रखा और ये साबित कर दिया कि भाजपा और चुनाव आयोग ने मिलकर ‘वोट चोरी’ की है। महादेवापुरा विधानसभा क्षेत्र में साढ़े 6 लाख वोट हैं और उसमें से 1,00,250 ‘वोट चोरी’ किए गए हैं। मतलब- भाजपा ने हर 6 में से 1 ‘वोट चोरी’ किया है।”

उन्होंने कहा कि कर्नाटक में हमने जो डेटा निकाला है, वह अपराध का सबूत है। इस डेटा को निकालने में हमें 6 महीने लगे। हमने हर एक नाम को चेक किया, हर एक फोटो को लाखों फोटो के साथ मैच किया। हमारा मानना है कि चुनाव का डेटा एक सबूत है। अगर उसे किसी ने खत्म किया, तो उसका मतलब है कि वह सबूत मिटा रहा है।

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