Friday, October 10, 2025
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TMC के आरोपों के बीच ‘फर्जी वोटरों’ की पहचान के लिए चुनाव आयोग ने जोड़ा नया सॉफ्टवेयर फीचर

नई दिल्ली/कोलकाताः तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) द्वारा मतदाता सूची में ‘फर्जी वोटरों’ (Ghost Voters) की मौजूदगी का मुद्दा उठाने के बाद चुनाव आयोग (ECI) ने ‘घोस्ट वोटरों’ की पहचान के लिए अपने सॉफ्टवेयर में नई सुविधा शुरू करने का फैसला किया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस नए विकल्प की मदद से इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (ERO) यह जांच सकेंगे कि किसी एक ईपिक/EPIC (मतदाता पहचान पत्र) नंबर से कई नाम तो नहीं जुड़े हैं।

अधिकारी के अनुसार, सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को इस निर्णय की सूचना दे दी गई है। सोमवार को उन्हें पत्र भेजकर ‘डुप्लीकेट ईपिक नंबर’ सुधारने के लिए एक नए मॉड्यूल की जानकारी दी गई। अब तक राज्य या जिला स्तर के निर्वाचन अधिकारी अन्य राज्यों में दर्ज समान ईपिक नंबरों को नहीं देख पाते थे, जिससे डुप्लीकेट मतदाता पहचान में बाधा आती थी। इस नए सॉफ्टवेयर से यह खामी दूर होगी।

पश्चिम बंगाल के कार्यवाहक मुख्य निर्वाचन अधिकारी दिव्येंदु दास ने सोमवार को जिले के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वर्चुअल बैठक कर इस निर्णय से अवगत कराया। राज्य में 21 मार्च तक मतदाता सूची में सुधार कार्य पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं।

ममता बनर्जी का दावा – हर विधानसभा क्षेत्र में 30,000 फर्जी वोटर!

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 27 फरवरी को आरोप लगाया था कि भाजपा हर विधानसभा क्षेत्र में 20-30 हजार फर्जी वोटर पंजीकृत करवा रही है। उन्होंने कहा था कि “चुनाव आयोग के अधिकारी बंगाल में बैठकर फर्जी वोटर बना रहे हैं। हम भाजपा की इस साजिश को नाकाम करेंगे।”

ममता बनर्जी के आरोपों पर चुनाव आयोग ने 1 मार्च को स्पष्ट किया कि समान ईपिक नंबर का मतलब फर्जी वोटर नहीं होता, बल्कि यह तकनीकी कारणों से हुआ है। आयोग ने सभी मतदाताओं को विशिष्ट ईपिक नंबर देने और ERONET 2.0 प्लेटफॉर्म को अपडेट करने की योजना की घोषणा की।

टीएमसी की ‘घोस्ट वोटर’ पहचानने की रणनीति

टीएमसी ने 2026 विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची से ‘फर्जी वोटरों’ को हटाने के लिए व्यापक रणनीति तैयार की है। शनिवार को टीएमसी सांसद और राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी की अध्यक्षता में हुई वर्चुअल बैठक में विभिन्न स्तरों पर एजेंटों की नियुक्ति और समितियों के गठन का निर्णय लिया गया।

अभिषेक बनर्जी ने आरोप लगाया, “भाजपा ने चुनाव आयोग के सहयोग से बंगाल के वोटरों को वंचित करने की साजिश रची है। भाजपा शासित राज्यों के मतदाताओं को बंगाल में एक ही ईपिक नंबर देकर पंजीकृत किया गया है, ताकि फर्जी वोट डालकर 2026 के चुनावों को प्रभावित किया जा सके। हम इस साजिश का लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करेंगे।”

टीएमसी के आरोपों पर भाजपा नेता राहुल सिन्हा ने कहा, “टीएमसी फर्जी वोटरों का बहाना बनाकर हिंदीभाषी वोटरों को सूची से हटाना चाहती है। भाजपा के समर्थक हिंदीभाषी मतदाता हैं और टीएमसी उनकी जगह घुसपैठियों व रोहिंग्याओं को शामिल करना चाहती है।”

टीएमसी का विस्तृत ब्लूप्रिंट

एक वरिष्ठ टीएमसी नेता के अनुसार, वोटर लिस्ट सत्यापन 16 अप्रैल से शुरू होकर 2026 तक चलेगा। 21–27 मार्च तक ब्लॉक व टाउन समितियाँ गठित होंगी, जिनमें विधायक, नगरपालिका अध्यक्ष, पार्षद व पंचायत प्रतिनिधि शामिल होंगे। 28 मार्च–3 अप्रैल के बीच पंचायत व वार्ड समितियाँ और 4–14 अप्रैल के बीच बूथ स्तर की समितियाँ बनाई जाएंगी।

घर-घर सर्वेक्षण में नए मतदाताओं के आईडी कार्ड की जांच की जाएगी। हर जिले में बूथ लेवल एजेंट-1 (बीएलए-1) नियुक्त होंगे, जो निर्वाचन अधिकारियों से समन्वय करेंगे। बीएलए-1, बीएलए-2 की नियुक्ति करेगा, जो बूथ स्तर पर बीएलओ से समन्वय करेगा। संदेह होने पर बीएलए-2, बीएलए-1 को सूचना देगा और फॉर्म-7 भरकर आपत्ति दर्ज की जाएगी।

टीएमसी जिला अध्यक्षों को 5 दिन में जिला समितियाँ गठित करने का निर्देश दिया गया है, जिनमें सांसद, विधायक, जिला परिषद सदस्य व नगरपालिका अध्यक्ष शामिल होंगे।

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