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अफगानिस्तान में आया 5.8 तीव्रता का भूकंप, कश्मीर और दिल्ली-NCR तक महसूस हुए झटके

नई दिल्ली: अफगानिस्तान में शनिवार दोपहर 12:17 बजे रिक्टर पैमाने पर 5.8 तीव्रता का भूकंप आया। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (एनसीएस) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट के जरिए भूकंपीय गतिविधि की पुष्टि की। भूकंप का केंद्र 36.10 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 71.20 डिग्री पूर्वी देशांतर पर 130 किलोमीटर की गहराई पर स्थित था। भूकंप के झटके जम्मू-कश्मीर और दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र सहित भारत के कई उत्तरी क्षेत्रों में महसूस किए गए। हालांकि खबर लिखे जाने तक किसी जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं आई।

इससे पहले बुधवार को अफगानिस्तान में 5.6 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसका केंद्र बगलान से लगभग 164 किलोमीटर पूर्व में था। यूरोपीय-भूमध्यसागरीय भूकंप विज्ञान केंद्र (ईएमएससी) ने शुरू में भूकंप की तीव्रता 6.4 बताई थी, लेकिन बाद में इसे संशोधित कर 5.6 किया गया। जम्मू और कश्मीर के किश्तवाड़ क्षेत्र में भी बुधवार सुबह करीब 5:14 बजे रिक्टर पैमाने पर 2.4 तीव्रता का हल्का भूकंप आया।

जम्मू-कश्मीर में भी महसूस किए गए झटके

मानवीय मामलों के समन्वय हेतु संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (यूएनओसीएचए) ने का कहना है कि अफगानिस्तान भूकंप, भूस्खलन और मौसमी बाढ़ जैसे प्राकृतिक खतरों के प्रति अत्यंत संवेदनशील है। यूएनओसीएचए का कहना है कि अफगानिस्तान में लगातार होने वाली भूकंपीय गतिविधियां पहले से ही कमजोर समुदायों को गंभीर रूप से प्रभावित करती हैं, जिन्होंने वर्षों से संघर्ष और पिछड़ेपन को सहन किया है। रेड क्रॉस के अनुसार, अफगानिस्तान में शक्तिशाली भूकंपों का अनुभव करने का एक लंबा इतिहास रहा है, खासकर हिंदू कुश क्षेत्र में। यह इलाका अपनी तीव्र भूगर्भीय गतिविधि और लगातार झटकों के लिए जाना जाता है।

2023 में भूकंपों ने अफगानिस्तान से हेरात को किया था तबाह

रेड क्रॉस के अनुसार, अफगानिस्तान में विशेष रूप से हिंदुकुश जैसे भूगर्भीय रूप से अस्थिर क्षेत्रों में हर साल शक्तिशाली भूकंप आते हैं। पश्चिमी प्रांत हेरात भी एक महत्वपूर्ण फॉल्ट लाइन पर स्थित है, जो देश के भूकंपीय जोखिम को और बढ़ाता है।

अक्टूबर 2023 में, 6.3 तीव्रता सहित कई शक्तिशाली भूकंपों ने पश्चिमी अफगानिस्तान, विशेष रूप से हेरात को तबाह कर दिया था, जिसमें 1,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और हजारों लोग विस्थापित हुए थे। उस त्रासदी ने क्षेत्र में आपदा प्रतिक्रिया प्रणालियों को मजबूत करने और दीर्घकालिक लचीलापन योजना की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया था।

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