Friday, October 10, 2025
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ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ से मंदी की तरफ बढ़ रहे हैं अमेरिका के कदम? दुनियाभर के अर्थशास्त्रियों ने चेताया

नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ का ऐलान कर अपने पैरों पर ही कुल्हाड़ी मार ली है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि रेसिप्रोकल टैरिफ का सबसे ज्यादा नुकसान अमेरिका को ही होगा। इससे अमेरिकी इंकोनॉमी के मंदी में जाने का खतरा बढ़ गया है। और अमेरिका इकोनॉमी का मंदी में जाना न सिर्फ अमेरिका के लिए बल्कि पूरी दुनिया को मुश्किल में डाल सकता है। इतना ही नहीं, वैश्विक ब्रोकरेज और अर्थशास्त्रियों ने डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा घोषित रेसिप्रोकल टैरिफ के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए भविष्य में अमेरिका में मंदी के आने की चेतावनी दी है।

रेसिप्रोकल टैरिफ के चलते अमेरिका में मंदी के आने के आसार

जेपी मॉर्गन चेस एंड कंपनी के अनुसार, “हम टैरिफ के भार के तहत वास्तविक जीडीपी अनुमान में कटौती की उम्मीद करते हैं और पूरे वर्ष के लिए अब वास्तविक जीडीपी वृद्धि -0.3 प्रतिशत की उम्मीद करते हैं, जो पहले 1.3 प्रतिशत थी।” बैंक के मुख्य अमेरिकी अर्थशास्त्री माइकल फेरोली ने ग्राहकों को लिखे एक नोट में कहा कि आर्थिक गतिविधि में अनुमानित कमी से हायरिंग में कटौती की जा सकती है और समय के साथ बेरोजगारी दर 5.3 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी। संकुचन का मतलब बिजनेस साइकल के उस फेज से है, जिसमें समग्र अर्थव्यवस्था में गिरावट आती है।

फेरोली को उम्मीद है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व जून में अपनी बेंचमार्क ब्याज दर में कटौती शुरू कर देगा और अगले साल जनवरी तक प्रत्येक अगली बैठक में दरों में कटौती जारी रखेगा। फेरोली ने लिखा, “अगर यह सच हो जाता है, तो हमारा मुद्रास्फीति से जुड़ा पूर्वानुमान फेड नीति निर्माताओं के लिए दुविधा पैदा करेगा।” सिटी के अर्थशास्त्रियों ने इस वर्ष विकास दर के लिए अपने पूर्वानुमान को घटाकर मात्र 0.1 प्रतिशत कर दिया है, जबकि यूबीएस अर्थशास्त्रियों ने पूर्वानुमान को घटाकर मात्र 0.4 प्रतिशत कर दिया है।

ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ ने वॉल स्ट्रीट पर भारी बिकवाली को बढ़ावा दिया

यूबीएस के मुख्य अमेरिकी अर्थशास्त्री जोनाथन पिंगल ने एक नोट में कहा, “हमें उम्मीद है कि विश्व के दूसरे देशों से अमेरिकी आयात हमारे पूर्वानुमान समय खासकर अगली कई तिमाहियों में 20 प्रतिशत से अधिक घटेगा, जिससे सकल घरेलू उत्पाद के हिस्से के रूप में आयात 1986 से पहले के स्तर पर वापस आ जाएगा।” उन्होंने अनुमान लगाया कि “व्यापार नीति कार्रवाई की कठोरता का मतलब 30 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था के लिए मैक्रोइकोनॉमिक एडजस्टमेंट होगा।”

शुक्रवार को फेड के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने कहा कि दरों में किसी भी एडजस्टमेंट के लिए हमें जल्दबाजी करने की जरूरत नहीं है। उनकी टिप्पणी श्रम सांख्यिकी ब्यूरो की लेटेस्ट मासिक रोजगार रिपोर्ट के जारी होने के बाद आई, जिसमें मार्च में मजबूत भर्ती के साथ-साथ बेरोजगारी दर में मामूली वृद्धि, 4.2 प्रतिशत दिखाई गई। इस बीच, ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ ने वॉल स्ट्रीट पर भारी बिकवाली को बढ़ावा दिया, जिसमें डाउ जोंस 2,000 से अधिक अंक गिर गया, एसएंडपी 500 ने मार्च 2020 के बाद से अपने सबसे खराब दो दिवसीय बिकवाली देखी और नैस्डैक बियर मार्केट क्षेत्र में प्रवेश कर गया।

(आईएएनएस इनपुट के साथ)

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