Friday, August 22, 2025
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ट्रंप की टैरिफ नीति का अमेरिका में ही विरोध, भारत-अमेरिकी संबंधों को कितना होगा नुकसान?

नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर रूस से तेल खरीदने को लेकर 50% तक टैरिफ लगाने के फैसले पर खुद अमेरिका में ही विरोध के सुर उठने लगे हैं। अमेरिकी सांसदों, पूर्व अधिकारियों और वित्तीय विशेषज्ञों ने ट्रंप की इस कार्रवाई को भारत-अमेरिका के दशकों पुराने संबंधों के लिए ‘जोखिम भरा’ और ‘खतरनाक’ बताया है। गौरतलब है कि भारत ने ट्रंप के इस फैसले को ‘अन्यायपूर्ण और अनुचित’ करार देते हुए अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाने की बात कही है।

ट्रंप की नीति की अमेरिकी खेमे में ही आलोचना

वरिष्ठ डेमोक्रेटिक सांसद ग्रेगरी मीक्स ने ट्रंप के इस ‘टैरिफ टैंट्रम’ की तीखी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि इससे दो दशकों की मेहनत से बनी रणनीतिक साझेदारी को खतरा है। मीक्स ने कहा कि चीन जैसे प्रतिद्वंद्वी के साथ नरम रुख अपनाना और भारत जैसे मित्र देश को दंडित करना हास्यास्पद है। मीक्स अमेरिका की हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के डेमोक्रेटिक रैंकिंग सदस्य हैं।

ग्रेगरी के अलावा जॉर्ज डब्ल्यू बुश प्रशासन में पूर्व वाणिज्य उप-सचिव रहे क्रिस्टोफर पैडिला ने ट्रंप को चेताया है। उन्होंने कहा कि ट्रंप अल्पकालिक राजनीतिक फायदे के लिए यह संबंध खतरे में डाले जा रहे हैं। ये ‘अपमान’ भारत में लंबे समय तक याद रखे जाएंगे, जिससे अमेरिका की विश्वसनीयता पर सवाल उठ सकते हैं।

उन्होंने कहा कि ट्रंप का यह कहना कि भारत एक ‘खत्म हो चुकी अर्थव्यवस्था’ है, बिल्कुल गलत है और यह दोनों देशों के बीच व्यापार, कृषि और स्वतंत्र विदेश नीति जैसे मुख्य हितों को नुकसान पहुंचा रहा है। पैडिला ने कहा कि मुझे चिंता है कि अल्पकालिक मुद्दों के लिए हम इस रिश्ते को खतरे में डाल रहे हैं। उन्होंने यह भी आशंका जताई कि भारत में अमेरिकी कार्रवाइयों की लंबी यादें” रहेंगी, जिससे यह सवाल उठ सकता है कि क्या अमेरिका एक विश्वसनीय साझेदार है।

उन्होंने कहा, “कई वर्षों से भारत में अपने सहयोगियों के साथ काम करने के कारण मुझे पता है कि इन अपमानों को जल्दी भुलाया नहीं जा सकेगा, और यह कहना कि भारत, जो दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, एक मृत अर्थव्यवस्था है। इससे कोई मदद नहीं मिलती।”

वित्त विशेषज्ञों ने भी ट्रंप के इस फैसले की आलोचना की है। प्रसिद्ध निवेशक जिम रॉजर्स ने सीधे तौर पर ट्रंप की समझ पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “ट्रंप दुनिया को ज्यादा नहीं समझते, और खासतौर पर एशिया व भारत में क्या हो रहा है, यह तो बिल्कुल नहीं समझते।” उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है और अमेरिका को उस पर प्रतिबंध लगाने के बजाय उसके साथ व्यापार बढ़ाना चाहिए।

रॉजर्स ने अमेरिका को रिश्ते बिगाड़ने के बजाय व्यापार बढ़ाने पर ध्यान देने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि यदि सहयोग का माहौल बना रहे तो 2030 तक भारत-अमेरिका व्यापार 500 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। रॉजर्स ने कहा कि भारत आने वाले वर्षों में निवेश का सबसे रोमांचक केंद्र बन सकता है, यहां तक कि चीन से भी आगे निकल सकता है।

टैरिफ से भारत के निर्यात पर होगा असर

बता दें कि ट्रंप के इस फैसले से भारत के कुल निर्यात का लगभग 55% प्रभावित होगा। भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (FIEO) ने इस कदम को ‘एक बड़ा झटका’ बताया है। हालांकि, क्रिस्टोफर पैडिला का मानना है कि भारतीय निर्यातक वैकल्पिक बाजारों में अपनी जगह बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र है और उस पर दबाव बनाने की ‘हथकंडे’ काम नहीं आएंगे।

ट्रंप की यह नीति सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। उन्होंने यूरोपीय संघ, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे अन्य व्यापारिक साझेदारों पर भी टैरिफ लगाए हैं। इन फैसलों का उद्देश्य घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना है, लेकिन कई अर्थशास्त्रियों को डर है कि इससे महंगाई बढ़ सकती है और आर्थिक विकास दर घट सकती है।

भारत ने ट्रंप के इस कदम को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि भारत अपने राष्ट्रीय हित की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा। पूर्व अमेरिकी राजदूत निक्की हेली ने भी ट्रंप को सलाह दी थी कि वह चीन को छूट देकर भारत जैसे सहयोगी से रिश्ते न बिगाड़ें। रूस ने भी ट्रंप के इस दबाव को ‘गैरकानूनी’ करार दिया है।

अनिल शर्मा
अनिल शर्माhttp://bolebharat.in
दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में उच्च शिक्षा। 2015 में 'लाइव इंडिया' से इस पेशे में कदम रखा। इसके बाद जनसत्ता और लोकमत जैसे मीडिया संस्थानों में काम करने का अवसर मिला। अब 'बोले भारत' के साथ सफर जारी है...
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