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डोनाल्ड ट्रंप की डब्ल्यूएचओ से अमेरिका को अलग करने की तैयारी, क्या होगा संभावित असर?

वाशिंगटनः अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर से देश को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से अलग करने की तैयारी में हैं। उनकी टीम का कहना है कि ट्रंप शपथ के पहले दिन ही डब्ल्यूएचओ से हटने का निर्णय ले सकते हैं। हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने ऐसा कदम उठाने की कोशिश की हो; उनके पिछले कार्यकाल में भी यह मुद्दा उठा था, लेकिन तब इसे अमल में नहीं लाया गया था।

डब्ल्यूएचओ: एक नजर

डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) 1948 में जिनेवा, स्विट्जरलैंड में स्थापित हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में स्वास्थ्य के स्तर को सुधारना और सभी लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है। डब्ल्यूएचओ वैश्विक स्वास्थ्य मुद्दों पर काम करता है, जैसे महामारी, टीकाकरण और स्वास्थ्य नीति। यह संगठन स्वास्थ्य आपात स्थितियों के लिए वैश्विक प्रतिक्रिया को निर्देशित और समन्वित करता है। इसका लक्ष्य सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज का विस्तार करना है। डब्ल्यूएचओ का सबसे बड़ा योगदान चेचक को खत्म करना और पोलियो उन्मूलन के करीब पहुंचना रहा है।

अमेरिका के डब्ल्यूएचओ से अलग होने की संभावनाएं

फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप के सलाहकारों ने उन्हें 2025 में डब्ल्यूएचओ से अलग होने की प्रक्रिया को शुरू करने की सलाह दी है। जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में वैश्विक स्वास्थ्य कानून के प्रोफेसर लॉरेंस गोस्टिन ने बताया कि ट्रंप के नए कार्यकाल के पहले दिन या शुरुआती समय में यह निर्णय लिया जा सकता है।

गौरतलब है कि ट्रंप डब्ल्यूएचओ के घोर आलोचक रहे हैं। वह डब्ल्यूएचओ पर चीन के इशारे पर काम करने का आरोप लगा चुके हैं। 2019 में जब दुनिया में कोरोना ने कहर बरपा रखा था, ट्रंप ने इसके लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया था। ट्रंप ने कहा था कि इस महामारी से बड़ी संख्या में लोगों की मौते हुईं लेकिन डब्ल्यूएचओ ने चीन के खिलाफ कुछ नहीं कहा।  ट्रंप के प्रशासन ने 2020 में डब्ल्यूएचओ से अलग होने की प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन इसे जो बाइडन ने रद्द कर दिया था।

WHO से अमेरिका के अलग होने के संभावित प्रभाव और विशेषज्ञों की राय

आलोचकों का कहना है कि यह कदम वैश्विक रोग निगरानी और आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली के लिए हानिकारक हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका के हटने से चीन वैश्विक स्वास्थ्य में अपनी पकड़ मजबूत कर सकता है। ट्रंप के इस कदम से अन्य देश भी अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रति अपने समर्थन पर पुनर्विचार कर सकते हैं। डब्ल्यूएचओ का पोलियो उन्मूलन अभियान और महामारी समझौते पर बातचीत बड़े पैमाने पर प्रभावित हो सकती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अमेरिका डब्ल्यूएचओ से अलग होता है, तो यह वैश्विक स्वास्थ्य एजेंडा को कमजोर कर सकता है। गोस्टिन ने कहा, “अमेरिका के हटने से डब्ल्यूएचओ कमजोर होगा, और चीन इस खाली जगह को भरने की कोशिश करेगा।” न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्वास्थ्य प्राथमिकताएं अब जलवायु परिवर्तन और युद्धों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रही हैं।

डब्ल्यूएचओ के 194 सदस्य देश दो वर्षों से एक महामारी समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। यह समझौता महामारी के दौरान सहयोग बढ़ाने की दिशा में है। ट्रंप के नेतृत्व में इस समझौते पर सहमति बनने की संभावना कम हो सकती है। समझौते का उद्देश्य स्वास्थ्य संगठनों की विफलताओं को सुधारना है।

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