नई दिल्लीः अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने के बाद अगस्त में भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात में लगातार तीसरे महीने गिरावट देखी गई है। ग्लोबल ट्रेड एंड रिसर्च इनिशिएटिव के संस्थापक अजय श्रीवास्तव के मुताबिक, ट्रंप के भारी टैरिफ का असर कुछ सेक्टर पर बुरा असर डाल रहा है। इससे काफी नुकसान भी हो रहा है।
जीटीआरआई के मुताबिक, अमेरिका को भारत के लगभग एक-तिहाई निर्यात पर कोई शुल्क नहीं लगता है। इससे यह पता चलता है कि शुल्क प्रभावित वस्तुओं पर वास्तविक प्रभाव समग्र आंकड़ों से कहीं ज्यादा है। इनमें दवाइयां और स्मार्टफोन शामिल हैं।
जून, जुलाई,अगस्त महीनों में निर्यात में कमी
अगस्त महीने में भारत द्वारा अमेरिका को किए गए निर्यात में जुलाई की तुलना में करीब 16.3 प्रतिशत की कमी आई है। इस महीने निर्यात 6.7 बिलियन डॉलर (5 खरब 88 अरब रुपये) पहुंच गया। साल 2025 में यह सबसे बड़ी मासिक गिरावट है। अगस्त के अंत में अमेरिकी टैरिफ बढ़कर 50 फीसदी हो गया जिसके चलते यह प्रभाव देखा गया।
वहीं, जुलाई में जून की तुलना में करीब 3.6 प्रतिशत की गिरावट देखी गई थी। जुलाई महीने में कुल निर्यात 8 बिलियन डॉलर (7 खरब 2 अरब रुपये) था।
इसी तरह जून में मई की तुलना में करीब 5.7 फीसदी गिरावट दर्ज की गई। इस दौरान कुल निर्यात 8.3 बिलियन डॉलर (7 खरब 28 अरब रुपये) रहा।
हालांकि मई में अप्रैल की तुलना में वृद्धि देखी गई थी। इस दौरान कुल निर्यात 8.8 अरब डॉलर (7 खरब 72 अरब रुपये) पहुंच गया।
अमेरिका ने अप्रैल में जब 10 प्रतिशत टैरिफ का ऐलान किया था तो व्यापार की मात्रा शुरुआत में स्थिर रही। आयातकों ने इस दौरान खरीद में तेजी दिखाई जिसके चलते मई महीने में निर्यात बढ़ गया।
हालांकि जून महीने में जब लागत बढ़ने लगी तो खरीदारों ने अन्य आपूर्तिकर्ता देशों की ओर रुख किया। ऐसे में निर्यात में लगभग 6 प्रतिशत की कमी देखी गई। इसी तरह जुलाई में भी समान टैरिफ के अंतर्गत निर्यात में गिरावट देखी गई।
अगस्त महीने में जब टैरिफ बढ़कर 50 फीसदी हो गया तो भारतीय निर्यातकों को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा। 7 अगस्त को टैरिफ बढ़कर 25 फीसदी हुआ तो वहीं 27 अगस्त को यह 50 फीसदी हो गया।
जीटीआरआई ने इस बीच चेतावनी दी है कि अधिक टैरिफ की वजह से निर्यातकों के लिए समायोजन की गुंजाइश बहुत कम बची है। इसके चलते अब तक का सबसे तेज मासिक संकुचन हुआ है। सितंबर महीने में निर्यात में और भी कमी की आशंका जताई जा रही है क्योंकि यह पहला महीना है जब 50 फीसदी टैरिफ देना पड़ेगा।
निर्यात का किन क्षेत्रों में पड़ रहा असर?
ट्रंप टैरिफ का असर भारत के कई उद्योगों पर पड़ रहा है। इनमें कपड़ा, रत्न एवं आभूषण और चमड़ा उद्योग प्रमुख हैं। इसके अलावा झींगा और कालीन उद्योगों को भी भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इन क्षेत्रों की अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कुल वैश्विक निर्यात का करीब 30-60 फीसदी है।
जीटीआरआई के अनुमानों के मुताबिक, अगर टैरिफ में कटौती नहीं हुई तो भारत को करीब 30-35 बिलियन डॉलर का नुकसान झेलना पड़ सकता है। यह भारत के लिए एक बड़ा झटका होगा क्योंकि भारत के व्यापारिक निर्यात में अमेरिका का हिस्सा लगभग 20 फीसदी है।
भारत के कुल निर्यात में अमेरिका का करीब 20 प्रतिशत हिस्सा है। ऐसे में नौकरी की चिंताओं और घाटे के बीच उद्योग संघ भारत सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं। उनकी सिफारिशों में ब्याज समकारी योजना के तहत रियायती ब्याज दरें, निर्यात प्रोत्साहन कार्यक्रमों के माध्यम से शीघ्र शुल्क प्रतिपूर्ति और विनिर्माण इकाइयों को व्यापक रूप से बंद होने से रोकने के लिए वित्तीय सहायता शामिल है।
उपभोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने विभिन्न उत्पादों पर जीएसटी की दरों में कटौती की है लेकिन निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अभी कुछ विशेष कदम नहीं उठाए गए हैं।
जीटीआरआई ने भारी टैरिफ के चलते नौकरियों के संकट की संभावना जताई है।
भारत-अमेरिका ट्रेड डील
16 सितंबर (मंगलवार) को भारत-अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधियों की बातचीत हुई। जिसमें दोनों देश द्विपक्षीय व्यापार समझौता स्थापित करने की दिशा में अपने प्रयासों को मजबूत करने पर सहमत हुए हैं। ऐसे में इसे भविष्य के लिए एक बेहतर संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
बीते 10 दिनों में भारत के प्रमुख वार्ताकार राजेश अग्रवाल और उनके सहयोगियों ने ब्रेंडन लिंच की अध्यक्षता वाली यूएसटीआर टीम के साथ व्यापक चर्चा की। इसमें आंतरिक सूत्रों ने प्रगति का संकेत दिया।
इस बैठक के बाद वाणिज्य विभाग की तरफ से भी सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिली। विभाग ने कहा था इस व्यापार वार्ता को शीघ्र ही पूरा करने का प्रयास किया जाएगा।