Friday, October 10, 2025
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संविधान पर चर्चा: राजनाथ सिंह ने इमरजेंसी के दौर और तुष्टिकरण का किया जिक्र…क्या बोलीं प्रियंका गांधी?

नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र के 14वें दिन शुक्रवार को संविधान पर चर्चा शुरू हुई। यह चर्चा दो दिन चलेगी। यह बहस संविधान को अपनाए जाने की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित की गई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सदन में संविधान पर बहस की शुरुआत की।

इस दौरान रक्षा मंत्री ने कांग्रेस के शासनकाल का जिक्र किया और जमकर निशाना साधा। वहीं, ठीक इसके बाद प्रियंका गांधी ने भी इस चर्चा में हिस्सा लिया और लोकसभा में अपना पहला भाषण दिया। प्रियंका गांधी ने अपने भाषण में आरोप लगाया कि भाजपा की नीतिंया विभाजनकारी और इसका नतीजा अब रोज दिखता है। पढ़िए रक्षा मंत्री राजनाथ ने अपने भाषण में क्या कुछ कहा और इसके बाद प्रियंका गांधी ने क्या बातें कही।

कांग्रेस ने हमेशा सत्ता को चुना: राजनाथ सिंह

कांग्रेस पर निशाना साधते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि एक विशेष पार्टी द्वारा संविधान निर्माण के काम को हमेशा हाईजैक करने की कोशिश की गई है। उन्होंने कहा कि मैं आज यह स्पष्ट करना चाहता हूं, कि हमारा संविधान किसी एक पार्टी की देन नहीं है। भारत का संविधान भारत के लोगों द्वारा, भारत के मूल्यों के अनुरूप बनाया गया दस्तावेज है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि कांग्रेस के लोग भूल जाते हैं कि इंदिरा गांधी ने 50 बार चुनी हुई सरकार को गिराई। कांग्रेस को जब भी संविधान और सत्ता को चुनने का मौका मिला है, तो कांग्रेस ने हमेशा सत्ता को चुना है।

राजनाथ सिंह ने 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने की घटना का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘मैं कल्याण सिंह के मंत्रिमंडल में शिक्षा मंत्री था। अयोध्या के एक विवादित ढांचे में चोट पहुंचने की खबर मिली और जब खबर मिली कि वहां भारी तोड़फोड़ हुई है तो कल्याण सिंह ने शाम को इस्तीफा दे दिया। लेकिन आश्चर्य की बात है कि पूर्ण बहुमत की सरकार का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया और सरकार को बर्खास्त कर दिया गया।

राजनाथ सिंह ने एक और घटना का जिक्र करते हुए कहा कि ’22 अक्टूबर 1997 को मैं यूपी बीजेपी का अध्यक्ष था। हमने अपना बहुमत साबित कर दिया था, फिर भी विपक्षी दल झुंड यूपी के राज्यपाल के पास गए और उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि सरकार के पास बहुमत नहीं है। विधानसभा में बहुमत साबित करने के बाद भी सरकार को बर्खास्त कर दिया गया।’

राजनाथ सिंह ने आगे कहा, ‘मुझे याद है कि उस समय मेरे साथ सभी विधायक राष्ट्रपति भवन के सामने मौजूद थे। मैं आभार व्यक्त करना चाहूंगा देश के तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायण का, जिन्होंने अपने संवैधानिक अधिकारों का उपयोग करते हुए राज्यपाल के फैसले को पुनर्विचार के लिए भेज दिया।’

कांग्रेस के शासन में कितनी बार हुआ संशोधन ?

राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में गिनाया कि कांग्रेस के शासन में कितनी बार संविधान में संशोधन हुए। राजनाथ सिंह ने कहा, ‘नेहरू पीएम थे, तब 17 बार संशोधन किए गए। इंदिरा गांधी के समय पर 28 और राजीव गांधी के समय 10 बार बदलाव किया गया। मनमोहन सिंह के समय 7 बार संशोधन किए गए। ये संशोधन गलत नीतियों को लागू करने के लिए किए गए।’

राजनाथ सिंह ने कहा कि 1976 में 41वां संशोधन किया गया और इसका उद्देश्य प्रधानमंत्री, राज्यपाल और राष्ट्रपति को पद ग्रहण करने से पहले उनके कार्यकाल के दौरान किए गए सभी आपराधिक मुकदमों से छूट प्रदान करना था। उन्होंने कहा कि 1976 में ही 42वां संशोधन किया गया, जिसमें प्रावधान था कि किसी भी कानून की संवैधानिकता सिर्फ 7 जजों की बेंच ही सुन सकती है। क्या ये एक तानाशाह द्वारा संविधान को विकृत करने का प्रयास नहीं था? लोकसभा का कार्यकाल भी बढ़ाकर 6 साल कर दिया गया था? क्या ये सब जनता को फिर से प्रजा बनाने की साजिश नहीं थी?

तुष्टिकरण और मोहब्बत की दुकान

राजनाथ सिंह ने शाहबानो मामले का भी जिक्र अपने भाषण में किया। उन्होंने कहा, ‘शाहबानो का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया था। इसमें कहा गया था मुस्लिम महिलाएं भी गुजारा भत्ता पाने की हकदार हैं। लेकिन कांग्रेस सरकार ने इस जजमेंट को ही पलट दिया। यह तुष्टिकरण का उदाहरण है। इसलिए जब कांग्रेस के लोग जो हमेशा तुष्टिकरण की राजनीति करते आए हैं, और हमारे विपक्षी नेता जब मोहब्बत की दुकान की बात करते हैं तो हंसी आती है।

प्रियंका गांधी का लोक सभा में पहला भाषण

वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने लोकसभा में अपना पहला भाषण दिया। राजनाथ सिंह के भाषण के बाद बोलते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि भात में हजारों साल पुरानी परंपरा संवाद और चर्चा की रही है। वाद-विवाद और संवाद की संस्कृति रही है और इसी परंपरा से देश का स्वतंत्रता संग्राम उभरा।

प्रियंका गांधी ने कहा कि भार का संविधान एक सुरक्षा कवच है, जो देशवासियों को सुरक्षित रखने का काम करता और उनमें भरोसा जगाता है। उन्होंने कहा, ‘हमारा संविधान न्याय का कवच है। एकता का कवच है। अभिव्यक्ति की आजादी का कवच है। लेकिन दुख की बात ये है कि मेरे सत्तापक्ष के साथी जो बड़ी बड़ी बातें करते हैं, उन्होंने 10 सालों में ये सुरक्षा कवच तोड़ने का प्रयास किया है।’

प्रियंका गांधी ने आरोप लगाया कि अगर लोकसभा चुनाव में अगर ऐसे नतीजे नहीं आए होते तो भाजपा संविधान बदलने का काम भी शुरू कर देती। प्रियंका गांधी ने कहा, ‘इस चुनाव में हारते-हारते जीतते हुए उन्हें एहसास हुआ कि संविधान बदलने की बात इस देश में नहीं चलेगी।’

अडानी जी के मुनाफे के लए चल रही सरकार: प्रियंका गांधी

प्रियंका गांधी ने कहा कि आज सत्ता पक्ष के ज्यादातर लोग अतीत की बात करते हैं। वे पूछते हैं कि, ‘नेहरू जी ने क्या किया। वर्तमान की बात करिए। देश को बताइए कि आप क्या कर रहे हैं। आपकी जिम्मेदारी क्या है। क्या सारी जिम्मेदारी जवाहरलाल नेहरू की है।’

प्रियंका गांधी ने कहा कि आज कृषि कानून भी उद्योगपतियों के लिए बन रहे हैं। वायनाड से लेकर ललितपुर तक इस देश का किसान रो रहा है। प्रियंका गांधी ने कहा, ‘अडानी जी को सारे कोल्ड स्टोरेज आपकी सरकार ने दिए। देश देख रहा है कि एक व्यक्ति को बचाने के लिए 142 करोड़ देश की जनता को नकारा जा रहा है। सारे बिजनेस, सारे संसाधन, सारी दौलत, सारे मौके, एक ही व्यक्ति को सौंपे जा रहे हैं। सारे बंदरगाह, एयरपोर्ट, सड़कें, रेलवे का काम, कारखाने, खदानें, सरकारी कंपनियां सिर्फ एक व्यक्ति को दी जा रही हैं।

प्रियंका गांधी ने भी गिनाए सरकारों के गिराने का उदाहरण

प्रियंका गांधी ने अपने भाषण के दौरान आरोप लगाया कि आज राज्य की सरकारों को पैसे के बल पर गिरा दिया जाता है। उन्होंने कहा, ‘सत्तापक्ष के हमारे साथी ने उदाहरण दिया यूपी सरकार का। मैं भी उदाहरण दे देती हूं महाराष्ट्र की सरकार का, गोवा की सरकार, हिमाचल की सरकार…क्या ये सरकारें जनता ने नहीं चुनी थीं। पूरा देश जनता जानती है कि इनके (भाजपा) यहां तो वाशिंग मशीन है। जो इधर से उधर जाता है, वो धुल जाता है।

प्रियंका गांधी ने आगे कहा, ‘प्रधानमंत्री जी यहां सदन में संविधान की किताब को माथे से लगाते हैं, लेकिन संभल में, मणिपुर में न्याय की गुहार उठती है तो उनके माथे पर शिकन तक नहीं आती। शायद समझ नहीं पाए हैं कि भारत का संविधान संघ का विधान नहीं है। मोहब्बत की जिस दुकान पर आपको हंसी आती है, उसके साथ करोड़ों देशवासी चले।’

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