मानवाधिकारों के लिए अपनी आवाज बुलंद करने वाले सिख नेता जसवंत सिंह खालड़ा के जीवन पर बनी फिल्म ‘पंजाब ’95’ (Punjab ‘95) पिछले 6 महीने से अधर में लटकी हुई है। फिल्म को लेकर सेंसर बोर्ड (सीबीएफसी) ने इतने कट लगाने की मांग की कि उसके रिलीज पर ही संकट खड़ा हो गया।
इस बीच पहली बार फिल्म के निर्देशक हनी त्रेहान ने इस पूरे विवाद को लेकर अपनी बात रखी है। कॉमेडियन कुणाल कामरा से बातचीत में त्रेहान ने बताया कि सेंसर बोर्ड की एग्जामिनिंग कमेटी (ईसी) ने उनसे फिल्म में दिखाए गए घटनाक्रमों के असली होने के सबूत मांगे। उनकी टीम ने बाकायदा दस्तावेज भी सौंपे। इसके बाद बोर्ड ने 21 कट सुझाए, जिनमें से एक था- जसवंत सिंह खालड़ा का जिक्र हटाना। जिसपर हनी ने बोर्ड से कहा कि लेकिन मेरी फिल्म तो जसवंत सिंह खालड़ा पर ही है। ये कैसे संभव है?
बातचीत में हनी त्रेहान ने बताया कि जब बात नहीं बनी तो मामला अदालत में पहुँचा। हनी ने बताया कि सुनवाई के दौरान सीबीएफसी के वकील लगातार यह तर्क देते रहे कि फिल्म से ‘कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है, जबकि उन्होंने फिल्म देखी तक नहीं थी। तब जज ने खुद इस फिल्म को देखने का फैसला किया। फिल्म देखने के बाद उन्होंने कहा कि फिल्म गहरी और बेचैन करने वाली है, लेकिन अदालत मान्य कारण चाहती है, सिर्फ अंदाजों पर फैसले नहीं हो सकते।
इसी बीच फिल्म टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के लिए चुन ली गई। लेकिन निर्माताओं पर दबाव बढ़ता गया और कोर्ट की लड़ाई छोड़नी पड़ी। हनी ने बताया कि मजबूरी में उन्होंने 21 नहीं बल्कि पहले 45, फिर 65 और अंत में 85 कट मान लिए। इसके बावजूद बोर्ड ने कहा कि फिल्म का असर अभी भी कम नहीं हुआ है।
हनी बताते हैं कि एक महीने बाद बोर्ड ने फिर 37 और कट करने को कहा। उन्होंने बताया कि अब तक फिल्म में कुल 127 कट हो चुके हैं। त्रेहान ने कहा कि यह ऐसा था जैसे वे इतिहास के एक हिस्से को मिटाना चाहते हों। हनी ने कहा कि उन्होंने निर्माता रॉनी स्क्रूवाला से यहाँ तक कहा कि अगर 127 कट वाला संस्करण रिलीज करना है तो उसमें उनका और दिलजीत का नाम हटा दिया जाए।
किन चीजों पर सेंसर बोर्ड ने की आपत्ति
हनी ने बताया कि एक मीटिंग की गई जिसमें बोर्ड ने फिल्म से चार बड़ी चीजों को हटाने को कहा-
शब्दों पर आपत्ति: ‘देश’, ‘केंद्र’, ‘सिस्टम’ और ‘अतिरिक्त-न्यायिक हत्याएं’ जैसे शब्दों को हटाने के लिए कहा गया। साथ ही, इंदिरा गांधी के जिक्र को भी हटाने को कहा गया।
नाम हटाना: ‘पंजाब पुलिस’ की जगह सिर्फ ‘पुलिस’ लिखने को कहा गया।
जसवंत सिंह खालड़ा का जिक्र: फिल्म में खालड़ा का कोई जिक्र नहीं होना चाहिए।
दृश्य हटाना: भारत का झंडा या किसी भी झंडे का चित्रण नहीं, कनाडा में खालड़ा के भाषण वाले पूरे दृश्य को हटाने के लिए कहा गया। गुरबानी को भी हटाने को कहा गया।
हनी बताते हैं जब मैंने पूछा, क्या आपने फिल्म देखी है? तो बोर्ड के नए सीईओ ने कहा कि ‘नहीं, लेकिन मैं 85 कट वाला वर्ज़न देखूँगा। असली वर्जन से डर लगता है, क्या पता अच्छा लग जाए।’”
हनी त्रेहन ने सवाल उठाया कि अगर कोई द कश्मीर फाइल्स, द केरल स्टोरी या आर्टिकल 370 जैसी फिल्में बना और रिलीज कर सकता है तो हमारी फिल्म क्यों रोकी जा रही है? उन फिल्मों पर कानून-व्यवस्था का संकट नहीं आया, तो पंजाब ‘95 पर ही क्यों?”
बोर्ड द्वारा सुझाए गए बदलाव पर लाखड़ा की पत्नी परमजीत कौर ने भी आपत्ति जाहिर की थी। उनका कहना था कि फिल्म में जिन तथ्यों को बदलने का सुझाव दिया गया है, वे पहले से ही सार्वजनिक दस्तावेजों, अदालतों और मानवाधिकार आयोग की रिपोर्टों में दर्ज हैं।
17 जनवरी को दिलजीत दोसांझ ने अनपे इंस्टाग्राम पर फिल्म का टीजर जारी कर घोषणा की थी कि पंजाब ‘95 सात फरवरी को दुनियाभर में रिलीज होगी और वह भी बिना किसी कट के। लेकिन तीन दिन बाद ही उन्होंने इंस्टाग्राम स्टोरी के जरिए बताया कि हालात हमारे काबू से बाहर हैं, इसलिए फिल्म 7 फरवरी को रिलीज नहीं हो पाएगी। इसके बाद टीजर भी यूट्यूब से हटा दिया गया।
करीब दो साल से दर्शक इस फिल्म का इंतजार कर रहे हैं। जुलाई 2023 में इसके टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (TIFF) में प्रीमियर की घोषणा हुई थी, लेकिन बाद में इसे आधिकारिक सूची से हटा दिया गया।
फिल्म समीक्षक मानते हैं कि सिख मुद्दों पर बनी कई फिल्मों को पहले भी सेंसर बोर्ड ने मंजूरी नहीं दी। 2004 की बागी, 47 टू 84 और धरम युद्ध मोर्चा जैसी फिल्मों का हवाला दिया जाता है।
यह फिल्म मानवाधिकार कार्यकर्ता जसवंत सिंह खालड़ा के जीवन पर आधारित है, जिन्हें 1995 में पुलिस ने उनके अमृतसर स्थित घर से उठा लिया था और वे फिर कभी लौटे नहीं। खालड़ा ने 1980–90 के दशक में हजारों लापता लोगों की फाइलें उजागर की थीं। फिल्म का नाम पहले घल्लूघारा रखा गया था, जिसे बदलकर पंजाब ‘95 कर दिया गया।
जसवंत सिंह खालड़ा कौन थे?
जसवंत सिंह खालड़ा शिरोमणि अकाली दल की मानवाधिकार शाखा के महासचिव और प्रख्यात मानवाधिकार कार्यकर्ता थे। उन्होंने 1980 और 1990 के दशक में पंजाब में उग्रवाद और पुलिस कार्रवाई के दौरान लापता लोगों की फाइलों को उजागर किया।
खालड़ा ने जून 1984 से दिसंबर 1994 तक अमृतसर, मजीठा और तरनतारन के श्मशान घाटों में किए गए दाह संस्कारों की जांच की थी। उन्होंने सबूत पेश किए कि हजारों अज्ञात शव पुलिस द्वारा अवैध कार्रवाइयों में मारे गए लोगों के थे।
सीबीआई रिपोर्ट के मुताबिक, खालड़ा की इन खुलासों से स्थानीय पुलिस नाराज थी। 6 सितंबर 1995 को उन्हें अमृतसर के कबीर पार्क स्थित घर से उठा लिया गया। रिपोर्ट बताती है कि खालड़ा को अवैध हिरासत में रखने के बाद मार दिया गया और उनका शव हरिके क्षेत्र की एक नहर में फेंक दिया गया।
पंजाब ‘95 का निर्देशन हनी त्रेहन ने किया है और इसे रॉनी स्क्रूवाला ने प्रोड्यूस किया है। इसमें दिलजीत दोसांझ जसवंत सिंह खालड़ा की भूमिका निभा रहे हैं, जबकि अर्जुन रामपाल और सुविंदर विक्की भी अहम किरदारों में हैं। ट्रेलर में 1984 के दंगों, ऑपरेशन ब्लू स्टार और पंजाब के उथल-पुथल भरे दौर के सवाल उठते नजर आते हैं।