Friday, October 10, 2025
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दिहुली हत्याकांड: 24 दलितों की हत्या मामले में 44 साल बाद आया फैसला, तीन दोषियों को फांसी की सजा

फिरोजाबाद: उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के जसराना थाना क्षेत्र स्थित दिहुली गांव में 18 नवंबर 1981 को 24 दलितों की सामूहिक हत्या के मामले में अदालत ने मंगलवार को तीन दोषियों को फांसी की सजा सुनाई। न्यायाधीश इंद्रा सिंह ने फैसला सुनाते हुए दो दोषियों पर दो-दो लाख रुपये का जुर्माना और एक दोषी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया।

कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने तीनों दोषियों रामसेवक, कप्तान सिंह और रामपाल को जिला कारागार मैनपुरी में दाखिल कर दिया है। इस बीच इलाके में तनाव की स्थिति को देखते हुए दिहुली गांव में बड़ी संख्‍या में पुलिस बल को तैनात किया गया है। पुलिस के अधिकारी मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा ले रहे हैं, ताकि किसी प्रकार की अव्यवस्था या हिंसा न हो।

क्या हुआ था 44 साल पहले?

यह मामला 44 साल पुराना है, जब 18 नवंबर 1981 को शाम करीब पांच बजे हथियारबंद कुछ लोग दिहुली गांव के दलितों की बस्ती में घुस गए थे और उन्होंने महिलाओं, पुरुषों और बच्चों समेत 24 लोगों को बेरहमी से मार डाला था। बदमाशों ने लगातार तीन घंटे तक गोलियां बरसाईं, जिसमें 23 लोग मौके पर ही मारे गए। 

वहीं, इस घटना में एक और व्यक्ति ने अस्पताल ले जाते वक्त दम तोड़ दिया। इस वारदात ने पूरे गांव में दहशत फैला दी थी और इलाके के लोग भयभीत हो गए थे।

कोर्ट ने साक्ष्यों और गवाहियों के आधार पर रामसेवक, कप्तान सिंह और रामपाल को इस नरसंहार का दोषी ठहराया और उन्हें फांसी की सजा सुनाई। यह मामला कई दशकों तक न्याय का इंतजार करता रहा और अब अदालत ने इस हत्याकांड के दोषियों को कड़ी सजा देकर पीड़ितों के परिवारों को न्याय दिया है।

कड़ी सुरक्षा के बीच सजा का ऐलान

कोर्ट से सजा सुनते ही तीनों दोषी रामसेवक, कप्तान सिंह और रामपाल बिलखते हुए रोने लगे। इस दौरान कोर्ट परिसर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। इस संवेदनशील मामले में सरकारी वकील एडवोकेट रोहित शुक्ला (एडीजीसी) ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि यह फैसला न्याय की जीत है और इससे पीड़ित परिवारों को न्याय मिला है।

आपको बता दें कि यह हत्याकांड फिरोजाबाद जिले के जसराना थाना क्षेत्र के दिहुली गांव में हुआ था, जो पहले मैनपुरी जिले का हिस्सा था। इसलिए इस केस की सुनवाई भी मैनपुरी जिले में हुई।

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