Friday, October 10, 2025
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दिल्ली एनसीआर के लिए एक समान पार्किंग नीति जरूरी: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने बीते सोमवार को कहा कि पूरे दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के लिए एकसमान पार्किंग नीति जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा प्रदूषण कम करने के लिए यह बेहद जरूरी है। कोर्ट ने केंद्र और राज्यों की सरकारों से दिल्ली-एनसीआर में सार्वजनिक परिवहन को बढ़ाने और क्षेत्र में बढ़ते वाहनों के लिए पार्किंग स्थान देने के लिए प्रतिक्रिया मांगी है।

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए वकील एमसी मेहता ने एक याचिका दायर की थी। इस याचिका की सुनवाई करते हुए अभय एस ओका और उज्ज्वल भुइयां की पीठ कर रही थी। पीठ ने कहा कि – “एनसीआर के लिए पार्किंग नीति बनाना जरूरी है और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को नगर निगम के अधिकारियों को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए।”

दिल्ली में है चौंकाने वाली स्थिति

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता संजीब सेन ने कहा कि दिल्ली में “चौंकाने वाली” स्थिति है क्योंकि कॉलोनियों और अपार्टमेंट के निवासी सड़कों पर वाहन पार्क करते हैं। कोर्ट ने कहा कि लोगों के पास दो से तीन गाड़ियां होने से समस्या और भी बदतर हो गई है।

यह विचार करते हुए कि क्या आम पार्किंग नीति के तहत इस समस्या का कोई समाधान हो सकता है। इस पर सुनवाई कर रही पीठ ने कहा, “जब वाहनों के पंजीकरण की बात आती है तो क्या उन लोगों पर कोई प्रतिबंध है जिनके पास पहले से ही दो या तीन कारें हैं।”

पीठ ने दिल्ली और एनसीआर के अन्य राज्यों के साथ परिवहन मंत्रालय से 29 जनवरी तक जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई तीन फरवरी को होगी। पीठ ने कहा- “हम जानना चाहते हैं कि प्रति अपार्टमेंट कितने पार्किंग स्थान उपलब्ध कराए गए हैं। यह भी एक महत्वपूर्ण पहलू है।”

वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने याद दिलाया कि शीर्ष अदालत ने अगस्त 2020 में एनसीआर के लिए एक व्यापक पार्किंग नीति का आह्वान किया था। उन्होंने कहा कि केंद्र के साथ एनसीआर राज्यों को भी एक एकीकृत सार्वजनिक परिवहन योजना तैयार करनी चाहिए। पैदल चलने और साइकिल चलाने की जगह पर विशेष जोर दिया गया। अपराजिता सिंह न्याय मित्र (एमिकस क्यूरी) के रूप में अदालत की सहायता कर रही हैं।

उन्होंने आगे कहा – “अधिकारियों को समयसीमा प्रदान करनी चाहिए और उन निर्णयों को तुरंत लेना चाहिए जिन्हें लागू किया जा सकता है।” कोर्ट में सीएक्यूएम का प्रतिनिधित्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी कर रही थीं। उन्होंने कहा कि आयोग सभी हितधारकों के संपर्क में है।

सीएक्यूएम की तरफ से दाखिल किया गया नोट

उन्होंने सीएक्यूएम द्वारा एक नोट दाखिल किया जिसमें सीएक्यूएम द्वारा विचार किए जा रहे मुद्दों की एक सीरीज प्रदान की गई जिसमें पार्किंग नीति और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ाने जैसे विषय शामिल थे।

पार्किंग को लेकर सीएक्यूएम ने कहा कि नागरिक निकायों (नगर निगम) को परिवहन विभाग और यातायात पुलिस की मदद से सड़कों, बाजारों, सार्वजनिक स्थानों आदि पर अनाधिकृत पार्किंग के खिलाफ अभियान चलाना चाहिए। इसके साथ ही ‘पार्किंग क्षेत्र प्रबंधन योजना’ को भी अपडेट करने को भी कहा।

सार्वजनिक परिवहन को बढ़ाने के संबंध में भाटी ने कहा कि एनसीआर में बस बेड़ा (फ्लीट) सीएनजी या इलेक्ट्रिक बसों में स्थानांतरित हो रहा है। उन्होंने कहा कि एनसीआर बस बेड़े को सीएनजी या ई-बसों में बदलने की समय सीमा 31 दिसंबर, 2026 थी।

कोर्ट ने राज्यों को सीएक्यूएम नोट और न्याय मित्र द्वारा दिए गए सुझावों पर अपनी समय सीमा बताने का निर्देश दिया। न्याय मित्र (एमिकस क्यूरी) ने कहा कि साल 1998 में शीर्ष न्यायालय ने दिल्ली को 10,000 बसें रखने का निर्देश दिया था।

हालांकि, जुलाई 2024 तक दिल्ली में केवल 7,683 बसें थीं। इन बसों में 1970 इलेक्ट्रिक बसें भी शामिल हैं। इसके अलावा राजधानी में चालित बसों का एक बड़ा हिस्सा ओवरएज हो गया है। इनमें बार-बार खराबी के चलते सड़कों पर भीड़ बढ़ती है। इसी तरह, उन्होंने दिल्ली मेट्रो परियोजनाओं को समय पर पूरा करने का सुझाव भी दिया।

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