Friday, October 10, 2025
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दिल्ली में पुराने वाहनों के मालिकों को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने के निर्देश दिए

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को निर्देश दिया कि दिल्ली में 10 साल पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों के मालिकों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न की जाए। चीफ जस्टिस बीआर गवई, न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने यह आदेश पारित किया।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ‘नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब दिया जाए। इस बीच, डीजल वाहनों के संबंध में 10 साल और पेट्रोल वाहनों के संबंध में 15 साल पुराने होने के आधार पर कारों के मालिकों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।’

इस मामले की सुनवाई अब चार सप्ताह बाद फिर से होगी। पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की, ‘पहले लोग 40-50 साल तक कारों का इस्तेमाल करते थे। अब भी विंटेज कारें मौजूद हैं…।’

2018 के आदेश पर पुनर्विचार की मांग के लिए याचिका

यह आदेश दिल्ली सरकार द्वारा दायर एक आवेदन पर पारित किया गया है, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के 2018 के उस आदेश की समीक्षा की मांग की गई थी, जिसमें प्रदूषण नियंत्रण उपाय के रूप में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

एमसी मेहता बनाम भारत संघ मामले के तहत दायर आवेदन में दिल्ली सरकार ने दलील दी कि 2018 का निर्देश किसी भी वैज्ञानिक अध्ययन या पर्यावरण पर प्रभाव के आकलन पर आधारित नहीं था।

आवेदन में बताया गया है कि अब प्रदूषण नियंत्रण के लिए कड़े उपाय लागू हैं। इसमें प्रदूषण नियंत्रण (पीयूसी) प्रमाणपत्र प्रणाली का व्यापक दायरा और भारत स्टेज-VI मानकों (बीएस-VI मानकों) को लागू करने जैसे उदाहरण गिनाए गए। आवेदन में बताया गया है कि कोर्ट के 2018 के आदेश के बाद, 2020 में बीएस-VI प्रदूषण नियंत्रण मानदंडों का पालन अनिवार्य कर दिया गया था।

दिल्ली सरकार ने याचिका में और क्या कहा है?

याचिका में कहा गया है, ‘भारत स्टेज VI इंजन काफी कम प्रदूषण फैलाते हैं…अगर माननीय न्यायालय का 29.10.2018 का आदेश लागू रहता है, तो इसका नतीजा यह होगा कि सड़क पर चलने लायक, प्रदूषण-रहित BS-VI वाहन भी बिना किसी वैज्ञानिक आधार के कुछ ही वर्षों में सड़कों से गायब हो जाएँगे।’

इसमें यह भी कहा गया है कि वर्तमान में ईंधन के ज्यादा स्वच्छ रूप उपलब्ध हैं और प्रदूषण कम करने के लिए कई अन्य उपायों के साथ-साथ इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। दिल्ली सरकार ने आगे बताया कि 2018 के प्रतिबंध से दिल्ली में बड़ी संख्या में उन लोगों को व्यावहारिक मुश्किलें हुई हैं जो ऐसे वाहनों के मालिक हैं जो प्रदूषण मानदंडों का पालन करते रहे हैं।

इसमें कहा गया है कि ये वाहन अक्सर हर साल बहुत कम किलोमीटर चलते हैं और कुल प्रदूषण में बहुत कम योगदान देते हैं। आवेदन में सेकेंड-हैंड कार बाजार को होने वाले नुकसान की ओर भी ध्यान दिलाया गया है, जो चार पहिया वाहन खरीदने की चाह रखने वाले कई गरीब और निम्न-मध्यम आय वाले परिवारों के लिए एकमात्र विकल्प बना हुआ है।

सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने प्रतिबंध के कारण होने वाली कठिनाइयों का जिक्र किया। उन्होंने उदाहरण दिया, ‘मेरे पास एक गाड़ी है। मैं इसका इस्तेमाल कोर्ट से घर और वापस कोर्ट आने-जाने के लिए करता हूँ। 10 साल बाद इसकी दूरी 2000 किमी ही होगी। कोई इसे टैक्सी के लिए इस्तेमाल करता है, तो 2 साल में इसकी दूरी 1 लाख किमी हो जाएगी। इसलिए मुझे अपनी गाड़ी बेचनी होगी क्योंकि 10 साल बीत चुके हैं, लेकिन 1 लाख किमी चली हुई गाड़ी चलती रहेगी। इस तरह की कोई भी जबरदस्ती नहीं की जानी चाहिए क्योंकि पुलिस पर जिम्मेदारी होगी कि वह गाड़ियों को जब्त करे।’

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