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जेपीसी बैठक में दाऊदी बोहरा समुदाय ने खुद को वक्फ बोर्ड के दायरे से बाहर रखने की मांग की

नई दिल्लीः वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर संसद के सत्ता पक्ष और विपक्षी दलों के बीच विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। इस विवाद के बीच मंगलवार को हुई संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक में दाऊदी बोहरा समुदाय ने इस मुद्दे पर अपनी विशेष मांग रखी।

अंजुमन-ए-शियाअतअली दाऊदी बोहरा समुदाय की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने दलील दी कि दाऊदी बोहरा समुदाय की विशिष्टता को देखते हुए उसे वक्फ बोर्ड के दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए।

दाऊदी बोहरा समुदाय ने क्यों किया ऐसा?

हरीश साल्वे ने समिति के सामने दाऊदी बोहरा समुदाय की धार्मिक परंपराओं और अधिकारों का हवाला देते हुए कहा कि वक्फ बोर्ड के अधिकार इस समुदाय की स्वायत्तता और बुनियादी अधिकारों को प्रभावित कर सकते हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों का उदाहरण देते हुए कहा कि इन फैसलों में समुदाय की विशिष्टता को मान्यता दी गई है। साल्वे ने कहा, “वक्फ बोर्ड के हस्तक्षेप से समुदाय की धार्मिक मान्यताओं और उनकी संपत्तियों पर विपरीत असर पड़ सकता है, इसलिए उन्हें वक्फ अधिनियम से अलग रखा जाना चाहिए।”

धार्मिक परंपराओं का पालन करने की स्वतंत्रता

दाऊदी बोहरा समुदाय के प्रतिनिधियों का मानना है कि उनकी संपत्तियों और इबादत स्थलों के प्रबंधन का अधिकार समुदाय के पास होना चाहिए। उन्होंने जेपीसी के समक्ष आग्रह किया कि वक्फ बोर्ड को उनके धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप का अधिकार न दिया जाए। समुदाय ने मांग की कि उनके धार्मिक स्थलों को वक्फ बोर्ड की संपत्ति के रूप में शामिल न किया जाए।

हरीश साल्वे ने वक्फ (संशोधन) विधेयक-2024 पर सवाल उठाया

हरीश साल्वे ने वक्फ (संशोधन) विधेयक-2024 की वर्तमान रूपरेखा पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस विधेयक में दाऊदी बोहरा समुदाय की विशिष्ट पहचान को नजरअंदाज किया गया है। उनका कहना था कि विधेयक में ऐसे प्रावधान होने चाहिए जो इस समुदाय की विशेष आवश्यकताओं और उनकी धार्मिक पहचान को संरक्षित कर सकें। उन्होंने समिति से विधेयक में आवश्यक संशोधन करने की अपील की।

बैठक में विभिन्न संगठनों की उपस्थिति

जेपीसी की बैठक में अन्य संगठनों और प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार रखे। इसमें अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद, अन्वेषक और छात्र एवं मदरसा सेल के प्रतिनिधि और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मोहम्मद हनीफ अहमद ने भी विधेयक पर अपनी राय और सुझाव प्रस्तुत किए। इन संगठनों ने विधेयक का समर्थन किया, हालांकि कुछ प्रावधानों में बदलाव की मांग भी की।

विपक्षी सांसदों की क्या है शिकायत

मंगलवार को कांग्रेस, डीएमके, टीएमसी, आम आदमी पार्टी, और समाजवादी पार्टी के सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात कर जेपीसी चेयरमैन जगदंबिका पाल की कार्यशैली पर असंतोष व्यक्त किया। विपक्षी सांसदों का आरोप है कि चेयरमैन बैठकें बुलाने में मनमाने तरीके से काम कर रहे हैं और कुछ ऐसे संगठनों को अपनी बात रखने का मौका दे रहे हैं जिनका इस विधेयक से प्रत्यक्ष संबंध नहीं है। सांसदों ने कहा कि इन संगठनों को बार-बार बोलने का अवसर दिया जा रहा है, जबकि विपक्ष को तैयारी और अपनी बात रखने का उचित समय नहीं मिल रहा है।

विपक्षी सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करें और चेयरमैन को निष्पक्षता बनाए रखने के निर्देश दें। उनका कहना था कि समिति का काम सभी पक्षों को उचित रूप से सुनना और विधेयक में आवश्यक बदलावों पर विचार करना है, न कि एकपक्षीय निर्णय लेना।

आईएएनएस इनपुट

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