भारत और अमेरिका में टैरिफ पर चल रही तनातनी के बीच भारतीय कंपनी डाबर का अपने टूथपेस्ट को लेकर अखबार छपवाया विज्ञापन चर्चा में है। अखबार ने विज्ञापन में उपभोक्ताओं को स्वदेशी अपनाने का आह्वान करते हुए इशारों-इशारों में कोलगेट पर तंज कसा है। विज्ञापन में हालांकि कोलगेट का नाम नहीं है लेकिन जो ग्राफिक्स विज्ञापन में छपवाए गए हैं, वो अपने आप में बहुत कुछ कहने के लिए साफ है। करीब आधे पेज का विज्ञापन गुरुवार को टाइम्स ऑफ इंडिया में छपा था।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को ‘स्वदेशी’ यानी भारत में बनी वस्तुओं के इस्तेमाल का आह्वान दोहराया। पीएम मोदी ने एक कार्यक्रम में कहा कि बच्चों को विदेशी ब्रांड की वस्तुओं की ‘सूची बनानी चाहिए’, जबकि शिक्षकों को उन्हें इनका इस्तेमाल न करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले सप्ताह भारत से आयात वस्तुओं पर 50% तक टैरिफ लगा दिया था। इसके बाद भारत में भी कई लोगों ने मैकडॉनल्ड्स, पेप्सी, एप्पल सहित अन्य अमेरिकी ब्रांडों का बहिष्कार करने के आह्वान शुरू करने की बात कही थी। खासकर पिछले दिनों सोशल मीडिया और व्हाट्सऐप पर ऐसे कई मैसेज शेयर और पोस्ट किए गए।
डाबर का विज्ञापन, कोलगेट पर तंज
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार 11 अरब डॉलर की वैल्यू वाली कंपनी डाबर ने इस हफ्ते अखबारों के पहले पन्ने पर एक विज्ञापन दिया, जिसमें कोलगेट पैकेजिंग जैसे दिखने वाले टूथपेस्ट पैक की तस्वीरें थीं। कंपनी ने अपने प्रतिद्वंद्वी का नाम लिए बिना विज्ञापन में कहा कि भारत का पसंदीदा टूथपेस्ट ब्रांड अमेरिकी है, और डाबर ‘स्वदेशी’ विकल्प है।
विज्ञापन में लिखा गया था, ‘वहाँ पैदा हुआ, यहाँ नहीं।’ इस फॉन्ट में अमेरिकी झंडे के लाल, सफेद और नीले रंग का इस्तेमाल किया गया था।
समाचार एजेंसी के अनुसार डाबर ने विज्ञापन पर कोई अन्य टिप्पणी करने से इनकार किया है। कोलगेट ने भी इस संबंध में एजेंसी के सवालों का जवाब नहीं दिया है। कोलगेट (CL.N) की भारत के टूथपेस्ट बाजार में 43% हिस्सेदारी है। इसके बाद यूनिलीवर (ULVR.L) की भारतीय इकाई का स्थान है, जो देश में पेप्सोडेंट ब्रांड बेचती है। यूरोमॉनिटर के 2024 के आंकड़ों के अनुसार, डाबर 17% हिस्सेदारी के साथ टूथपेस्ट सेगमेंट में तीसरे स्थान पर है।
गौरतलब है कि भारत में अरबों की आबादी अमेरिकी उपभोक्ता वस्तुओं का एक प्रमुख बाजार रहा है। अमेरिकी ऑनलाइन रिटेलर Amazon भी भारत में काफी सफल रहा है। पिछले कुछ वर्षों में अमेरिकी ब्रांडों की पहुंच तेजी से भारत के छोटे शहरों तक भी फैल गई है।
बहरहाल, हाल में अमेरिकी टैरिफ नीतियों के बीच भारत की सबसे बड़ी डेयरी कंपनी अमूल ने भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर ‘मेड इन इंडिया’ उत्पादों वाले कार्टून प्रकाशित किए थे, जिनमें से एक विज्ञापन में लड़की को एक हाथ में भारतीय ध्वज और दूसरे हाथ में मक्खन पकड़े दिखाया गया है। यही नहीं, भारतीय ईमेल प्रोवाइडर रेडिफ, जो याहू और गूगल मेल से कई साल पहले काफी लोकप्रिय था, उसने भी एक अखबार में विज्ञापन देकर अपनी सेवा को ‘भारत का मेल’ बताया था। यह विज्ञापन भी चर्चा में रहा था।