Thursday, October 9, 2025
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सिद्धारमैया के धर्मांतरण को लेकर दिए बयान पर विवाद, भाजपा ने पूछा- दूसरे धर्म पर सवाल उठाने की हिम्मत है?

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा है कि अगर हिंदू समुदाय में समानता होती, तो कोई धर्म परिवर्तन क्यों करता? सिद्धारमैया के इस बयान पर विवाद छिड़ा है। भाजपा ने सिद्धारमैया पर लोगों को जाति और धर्म के आधार पर बांटने का आरोप लगाया है।

बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के धर्मांतरण पर दिए गए एक बयान को लेकर विवाद शुरू हो गया है। उन्होंने कहा, ‘अगर हमारे हिंदू समुदाय में समानता होती, तो कोई धर्म परिवर्तन क्यों करता?’ सिद्धारमैया ने आगे कहा, ‘अगर समानता होती, तो अस्पृश्यता क्यों अस्तित्व में आई? क्या हमने अस्पृश्यता पैदा की है? इस्लाम, ईसाई धर्म या किसी भी धर्म में असमानताएँ हो सकती हैं। न तो हमने और न ही भाजपा ने किसी को धर्म परिवर्तन करने के लिए कहा, लेकिन लोग धर्म परिवर्तन करते हैं और यह उनका अधिकार है।’

दूसरे धर्मों पर सवाल उठाने की हिम्मत है: भाजपा

विधानसभा में भाजपा के नेता प्रतिपक्ष आर. अशोक ने सिद्धारमैया के इस बयान की आलोचना की है। उन्होंने मुख्यमंत्री से पूछा कि क्या उनमें किसी और धर्म को लेकर ऐसे सवाल उठाने की हिम्मत है। भाजपा नेता ने कहा, ‘जब समानता की बात आती है, तो आप हमेशा हिंदू धर्म को निशाना बनाते हैं, है ना सीएम सिद्धारमैया? क्या आपमें मुसलमानों से समानता पर सवाल उठाने की हिम्मत है?’

अशोक ने पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र करते हुए इस्लाम की विभिन्न प्रथाओं की बात कही, जिसमें मस्जिदों में महिलाओं पर प्रतिबंध, तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाने का विरोध और गैर-मुसलमानों के लिए कुरान में किए गए जिक्र जैसी बातें शामिल हैं।

भाजपा नेता ने कहा, ‘हाँ, हिंदू समाज में जाति व्यवस्था एक अभिशाप है, यह एक सच्चाई है। लेकिन समय के साथ हिंदू समाज को सुधारने और बदलने के लिए कई महान सुधारकों ने जन्म लिया है। हिंदू समुदाय में आत्म-सुधार और परिवर्तन की शक्ति है। बसवन्ना से लेकर स्वामी विवेकानंद तक, डॉ. बी.आर. अंबेडकर से लेकर आज तक, अनगिनत सुधारकों ने हिंदू समाज को बेहतर बनाने के लिए काम किया है और कर रहे हैं। लेकिन इस्लाम में, गहरी जड़ें जमाए कट्टरपंथ और जिहादी मानसिकता पर कभी सवाल नहीं उठाया गया और न ही उसे सुधारा गया। सुधारक सामने आए भी हैं, तो मुसलमानों ने ऐसे बदलाव को कभी स्वीकार नहीं किया।’

उन्होंने कहा कि मुसलमान ऐतिहासिक रूप से संत शिशुनाला शरीफ या डॉ. अब्दुल कलाम की बजाय औरंगजेब और टीपू सुल्तान जैसे लोगों को आदर्श मानते रहे हैं। अशोक ने मुख्यमंत्री से कहा कि वे वामपंथी दृष्टिकोण को त्याग दें जो सनातन धर्म और हिंदुओं को नीचा दिखाता है, और एक जिम्मेदार नेता की तरह बात करें।

‘जाति और धर्म के आधार पर लोगों को बांट रहे सिद्धारमैया’

वहीं, विधान परिषद में विपक्ष के नेता चालावाडी नारायणस्वामी ने सिद्धारमैया की आलोचना करते हुए उन पर जाति और धर्म के आधार पर लोगों को बाँटने का प्रयास करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘अब जाति सर्वेक्षण में दलित ईसाई, लिंगायत ईसाई, वोक्कालिगा ईसाई जैसे विकल्प दिए गए हैं। यह बकवास है, और उन्होंने सोनिया गांधी को खुश करने के लिए ऐसा किया है।’

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि ‘समानता धर्म से नहीं, बल्कि प्रेम, स्नेह और सम्मान से आती है। कोई भी धर्म वास्तव में समानता नहीं ला सकता।’

बोम्मई ने आगे कहा कि सिद्धारमैया की जाति जनगणना की पहल राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने कहा, ‘अगर धर्मांतरित ईसाइयों के लिए एक कॉलम जोड़ा जाता है, तो धर्मांतरित हिंदुओं और मुसलमानों के लिए भी कॉलम होना चाहिए। ‘धर्मांतरण’ कॉलम जोड़ना गैरकानूनी है। पहले से एक ‘अन्य’ कॉलम भी मौजूद है जिसमें ‘नास्तिक’ शामिल हैं।’

विनीत कुमार
विनीत कुमार
पूर्व में IANS, आज तक, न्यूज नेशन और लोकमत मीडिया जैसी मीडिया संस्थानों लिए काम कर चुके हैं। सेंट जेवियर्स कॉलेज, रांची से मास कम्यूनिकेशन एंड वीडियो प्रोडक्शन की डिग्री। मीडिया प्रबंधन का डिप्लोमा कोर्स। जिंदगी का साथ निभाते चले जाने और हर फिक्र को धुएं में उड़ाने वाली फिलॉसफी में गहरा भरोसा...
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