Saturday, October 11, 2025
Homeभारतप्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति पर विवाद की क्या कहानी है...कांग्रेस ने क्या...

प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति पर विवाद की क्या कहानी है…कांग्रेस ने क्या आपत्ति जताई है और के. सुरेश कौन हैं?

नई दिल्ली: 18वीं लोकसभा के शुरुआती दिनों के कामकाज के लिए सात बार से कटक से सांसद भाजपा के भर्तृहरि महताब प्रोटेम स्पीकर बनाए गए हैं। हालांकि, कांग्रेस ने इसे लेकर आपत्ति जताई है और इस फैसले को संसदीय परंपरा के खिलाफ बताया है। कांग्रेस का कहना है कि आठवीं बार सांसद बने कोडिकुन्निल सुरेश को यह जिम्मेदारी मिलनी चाहिए थी।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को भाजपा के भर्तृहरि महताब को 18वीं लोकसभा के लिए प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया। नियमों के मुताबिक नए लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होने तक महताब बतौर प्रोटेम स्पीकर अध्यक्ष का कर्तव्य निभाएंगे।

महताब के नाम पर कांग्रेस की आपत्ति

महताब को नियुक्त करने के फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि यह संसदीय मानदंडों को नष्ट करने का एक और प्रयास है, जिसमें भर्तृहरि महताब (सात बार के सांसद) को कोडिकुन्निल सुरेश की जगह प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया गया है। उन्होंने कहा कि कोडिकुन्निल सुरेश अपने आठवें कार्यकाल में प्रवेश करेंगे।

उन्होंने कहा कि यह एक निर्विवाद मानदंड है कि अध्यक्ष के विधिवत चुनाव से पहले सबसे वरिष्ठ सांसद सदन की कार्यवाही की अध्यक्षता करता है। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि यह हमारी पार्टी के लिए बेहद गर्व की बात है कि समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्ग के नेता सुरेश ने 8 बार सांसद रहने की यह उपलब्धि हासिल की है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार को यह बताना चाहिए कि उसने सुरेश को नजरअंदाज क्यों किया, वह कौन सा कारक था, जिसने उन्हें इस पद से अयोग्य ठहराया? क्या इस निर्णय को प्रभावित करने वाले कुछ गहरे मुद्दे हैं, शायद सिर्फ योग्यता और वरिष्ठता से परे?

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार विपक्षी खेमे के सूत्रों ने कहा कि लोकसभा में सबसे वरिष्ठ सांसद सुरेश का चयन नहीं करने के सरकार के फैसले ने ‘माहौल को खराब कर दिया’ है। कांग्रेस में कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि सुरेश दलित हैं। वहीं केरल के सीएम पिनाराई विजयन ने भी सुरेश की अनदेखी के लिए केंद्र सरकार पर निशाना साधा।

नियम क्या हैं, आरोपों पर किरेन रिजिजू ने क्या कहा?

जानकारों के अनुसार संविधान में इस पद का कोई उल्लेख नहीं है। हालांकि आधिकारिक ‘संसदीय कार्य मंत्रालय के कामकाज पर हैंडबुक’ के अनुसार सबसे वरिष्ठ सदस्य (सदन की सदस्यता के साल की संख्या के संदर्भ में) को आम तौर पर चुना जाता है। सदन के अध्यक्ष का चुनाव होने तक प्रोटेम स्पीकर कामकाज संभालते हैं।

वहीं, केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस के आरोपों पर शुक्रवार को जवाब देते हुए कहा कि महताब को इसलिए चुना गया क्योंकि वह लगातार कार्यकाल के मामले में सबसे लंबे समय तक सांसद रहने वाले शख्स हैं। महताब ने लगातार सात कार्यकाल पूरे किए हैं जबकि सुरेश के आठ कार्यकाल जरूर हैं लेकिन इसमें दो बार का ब्रेक भी शामिल है। वे 1998 और 2004 में सांसद नहीं बने थे।

रिजिजू के अनुसार राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 99 के तहत जरूर कोडिकुन्निल सुरेश, थलिक्कोट्टई राजुतेवर बालू, राधा मोहन सिंह, फग्गन सिंह कुलस्ते और सुदीप बंद्योपाध्याय को अध्यक्ष के चुनाव तक नवनिर्वाचित संसद सदस्यों की शपथ में प्रोटेम स्पीकर की सहायता के लिए नियुक्त किया है।

कौन हैं कोडिकुन्निल सुरेश?

इस साल के चुनाव में मवेलिक्कारा (Mavelikkara) से अपना आठवां लोकसभा चुनाव जीतने वाले सुरेश ने पहले भी तीन बार इस सीट और चार बार अदूर का प्रतिनिधित्व किया है। अदूर लोकसभा सीट अब अस्तित्व में नहीं है। वह पहली बार 1989 में लोकसभा के लिए चुने गए थे और 2009 के बाद से मवेलिक्कारा सीट अपने पास बरकरार रखे हुए हैं। इस सीट पर केवल दो बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा है। साल 2009 के चुनाव के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व
वाली दूसरी यूपीए सरकार में उन्हें श्रम और रोजगार राज्य मंत्री बनाया गया था।

साल 2021 में केरल कांग्रेस प्रमुख पद के प्रबल दावेदारों में से एक माने जा रहे सुरेश अब कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) में विशेष आमंत्रित सदस्य हैं और कांग्रेस की केरल इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में भी कार्य कर रहे हैं। उन्होंने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के सचिव के रूप में भी काम किया है।

हाल के चुनावों में सुरेश ने सीपीआई के युवा नेता सी. ए. अरुण कुमार को राज्य में सबसे कम अंतर 10,000 वोटों से हराया। इस लोकसभा क्षेत्र में सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) का दबदबा है और उसके पास ही सभी सात विधानसभा क्षेत्र हैं।

कोडिकुन्निल सुरेश से जुड़ा है ये विवाद भी

साल 2010 में केरल उच्च न्यायालय ने उन्हें उनकी जाति की स्थिति के आधार पर अयोग्य घोषित कर दिया था। कोर्ट ने उनके प्रतिद्वंद्वी सीपीआई के आरएस अनिल की ओर से दायर याचिका पर यह फैसला दिया था। सीपीआई नेता ने दलील दी थी कि सुरेश चेरामर हिंदू समुदाय से नहीं बल्कि ओबीसी चेरामर ईसाई समुदाय से हैं। चेरामर हिंदू समुदाय को राज्य में अनुसूचित जाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है। दलील दी गई कि इस लिहाज से मवेलिक्कारा (आरक्षित) सीट पर सुरेश चुनाव नहीं लड़ सकते।

इसके बाद सुरेश ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया और पाया कि वह मवेलिक्कारा से चुनाव लड़ने के योग्य हैं। सुरेश के खिलाफ छह आपराधिक मामले भी दर्ज हैं। इसमें दंगा, गैरकानूनी सभा आयोजित करना और एक लोक सेवक के काम में बाधा डालने जैसे मामले शामिल हैं। उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले 1.5 करोड़ रुपये की संपत्ति की घोषणा की थी।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments

मनोज मोहन on कहानीः याद 
प्रकाश on कहानीः याद 
योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद 
प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद 
डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा