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यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के आवास का घेराव करने क्यों पहुंचे सैकड़ों की तादात में संविदा स्वास्थ्यकर्मी, जानें पूरा मामला

लखनऊः गुरुवार उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के आवास के बाहर उस वक्त अफरा-तफरी मच गई, जब सैकड़ों की तादात में संविदा स्वास्थ्यकर्मी अपनी मांग को लेकर धरने पर बैठ गए। ऐसा दूसरी बार हुआ था। संविदा स्वास्थ्यकर्मी अपनी नौकरी बहाल की मांग कर रहे हैं। मौके पर इतनी संख्या में लोगों को देख मौके पर स्थानीय पुलिस और एक ट्रक पीएसी बुला ली गई। इस प्रदर्शन में उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के संविदा वेटिंग के 17000अभ्यर्थी भी शामिल हुए।

मामला क्या है?

खबरों की मानें तो जुलाई में यूपी सरकार ने एनएचएम में संविदा के तहत भर्ती किए गए 2200 कर्मचारियों विभाग के दूसरे स्वास्थ्य कार्यक्रमों में समायोजित करने की बात कही थी। यह आदेश डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के हस्तक्षेप के बाद एनएचएम की मिशन निदेशक डॉ. पिंकी जोवेल ने जारी किए थे। लेकिन मामला अभी लटका हुआ है। इसे देखते हुए पिछले महीने भी संविदा कर्मचारियों ने डिप्टी सीएम के आवास का घेराव किया था।

उस वक्त उन्होंने कहा था कि कोविड-19 के समय कुल 7,200 संविदा कर्मचारियों को भर्ती किया गया था। जरूरत के अनुसार 5500 कर्मचारियों को एनएचएम के दूसरे कार्यक्रमों में समायोजित किया गया। बाकी को भी किया जाएगा। इसी को लेकर गुरुवार सैकड़ों की तादात में संविदा कर्मी उनके आवास पर पहुंचे थे।

इस प्रदर्शन में शामिल होने कई जिलों से कर्मचारी लखनऊ पहुंचे थे।  प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि वे पिछले 15 दिनों में स्थानीय अधिकारियों के पास कई बार अपनी समस्या लेकर गए हैं, लेकिन हर बार उन्हें केवल आश्वासन ही मिला है।

कर्मचारियों की क्या मांग है?

संविदा स्वास्थ्यकर्मियों की मांग है कि उनकी संविदा सेवाओं का विस्तार किया जाए और उनकी बहाली की जाए। संविदा कर्मचारियों का कहना है कि कोरोना के समय उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लेकिन अब उनकी संविदा खत्म कर दी गई है और उन्हें नौकरी से हटा दिया गया है। वे अब सड़क पर आ गए हैं और बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं। स्वास्थ्य कर्मचारी अपने समायोजन की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि कोविड के दौरान उनकी सेवाओं का सम्मान करते हुए उनकी संविदा को बढ़ाया जाए और उन्हें स्थायी नौकरी दी जाए।

पिछले दिनों कर्मचारियों ने मुख्यमत्री योगी आदित्यनाथ से नौकरी बचाने को लेकर गुहार लगाई थी। उन्होंने कहा था कि स्वास्थ्य विभाग में संविदा व आउटसोर्स के जरिये भर्ती कर्मचारियों को एनएचएम में समायोजित किया जाए और कम्पनियों का मुनाफा कमवाने के बजाय कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन सहित समस्त सुविधाएं देते हुए सामाजिक सुरक्षा की गारंटी की जाए।

इस प्रदर्शन में एनएचएम के 17000 संविदा भर्ती वेटिंग अभ्यर्थी भी शामिल थे। इन अभ्यर्थियों का संविदा भर्ती का नोटिफिकेशन नवंबर 2022 मं जारी किया गया था, लेकिन अभी तक वेटिंग लिस्ट का आखिरी परिणाम नहीं आया है। सरकार ने इनको 6 महीने के भीतर ज्वाइनिंग का आश्वासन दिया था। लेकिन कई महीने बीत गए, अभी तक वेटिंग लिस्ट क्लियर नहीं हुई। इसको लेकर उन्होंने ब्रजेश पाठक को ज्ञापन भी दिया था।

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