Tuesday, September 9, 2025
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J&K: ‘वक्फ बोर्ड को माफी मांगनी चाहिए’, हजरतबल दरगाह में अशोक स्तंभ विवाद पर सीएम उमर अब्दुल्ला, मामले में FIR भी दर्ज

सीएम अब्दुल्ला ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सवाल उठता है कि क्या किसी धार्मिक स्थल पर राष्ट्रीय प्रतीक का इस्तेमाल होना चाहिए था या नहीं। मैंने कभी किसी धार्मिक जगह पर ऐसा होते नहीं देखा।

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में शुक्रवार को ईद-ए-मिलाद के मौके पर प्रसिद्ध हजरतबल दरगाह में अशोक स्तंभ वाली एक नवनिर्मित शिलापट्ट को तोड़े जाने का मामला सामने आया था। अब इसको लेकर विवाद गहरा गया है। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने दरगाह में राष्ट्रीय प्रतीक (अशोक चिन्ह) के इस्तेमाल की कड़ी आलोचना की है।

मामले पर मीडिया से बात करते हुए उन्होंने शनिवार कहा कि राष्ट्रीय प्रतीक का उपयोग केवल सरकारी कार्यों के लिए होता है, धार्मिक संस्थानों के लिए नहीं।

दक्षिण कश्मीर के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर रहे मुख्यमंत्री ने कहा कि वक्फ बोर्ड को इस गलती के लिए माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि इससे धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। यह विवाद तब शुरू हुआ जब शुक्रवार को नमाज के बाद कुछ अज्ञात लोगों ने राष्ट्रीय प्रतीक वाली इस पट्टिका को तोड़ दिया।

‘धार्मिक स्थलों पर प्रतीक का इस्तेमाल गलत’

सीएम अब्दुल्ला ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सवाल उठता है कि क्या किसी धार्मिक स्थल पर राष्ट्रीय प्रतीक का इस्तेमाल होना चाहिए था या नहीं। मैंने कभी किसी धार्मिक जगह पर ऐसा होते नहीं देखा। उन्होंने जोर देकर कहा कि मस्जिद, मंदिर और गुरुद्वारे सरकारी संस्थाएं नहीं हैं।

गौरतलब है कि वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष दरख्शां अंद्राबी ने राष्ट्रीय प्रतीक को हटाने वाले लोगों पर सख्त जन सुरक्षा अधिनियम (PSA) लगाने की मांग की थी। इस पर मुख्यमंत्री ने अंद्राबी की प्रतिक्रिया की निंदा करते हुए कहा कि वक्फ बोर्ड ने लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया और अब धमकी दे रहा है। उन्होंने कहा कि कम से कम उन्हें अपनी गलती मानकर माफी मांगनी चाहिए थी।

मुख्यमंत्री ने पट्टिका की जरूरत पर भी सवाल उठाया और कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने बिना किसी श्रेय के दरगाह का काम पूरा करवाया था। उन्होंने कहा कि जब शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने अपने नाम का पत्थर तक नहीं लगाया, तो इस पट्टिका की क्या जरूरत थी?

उधर, नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद रुहुल्लाह मेहदी और कुछ अन्य लोगों ने कहा कि दरगाह के अंदर किसी भी तरह की मूर्ति या प्रतीक लगाना इस्लाम के एकेश्वरवाद के सिद्धांत के खिलाफ है, जो मूर्ति पूजा को रोकता है। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने भी इस घटना को जानबूझकर मुसलमानों को भड़काने की कोशिश बताया।

क्या है पूरा मामला?

बता दें हाल ही में वक्फ बोर्ड ने दरगाह का नवनिर्माण कराया है। इस दरगाह में पैगंबर मोहम्मद का पवित्र अवशेष (मोई-ए-मुकद्दस) रखा है, जो इसे मुस्लिम समुदाय के लिए अत्यंत पवित्र बनाता है। नवीनीकरण का कार्य पूरा होने के बाद वहां पट्टिका लगाई गई, जिस पर भारत का राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तंभ भी लगा था।

शुक्रवार को दरगाह में लगे उद्घाटन शिलापट्ट पर अंकित अशोक चिह्न को देख स्थानीय लोग नाराज हो गए और उन्होंने इसे तोड़ दिया। यह संगमरमर दो दिन पहले वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष डॉ. दरख्शां अंद्राबी ने उद्घाटन के दौरान लगाया था। लोगों का कहना था कि इस तरह का प्रतीक इस्लामी सिद्धांतों के खिलाफ है और इसे किसी दरगाह के भीतर स्थापित नहीं किया जाना चाहिए।

दरख्शां अंद्राबी ने घटना पर अफसोस जताते हुए इसे एक राजनीतिक पार्टी से जुड़े गुंडों की करतूत करार दिया। उन्होंने कहा कि इन लोगों ने दरगाह की गरिमा को ठेस पहुँचाई है और राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान कर बड़ा अपराध किया है। भीड़ ने मुझ पर भी हमला किया। दोषियों की पहचान होने पर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी और उन्हें आजीवन दरगाह में प्रवेश से वंचित कर दिया जाएगा।

वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष को जान से मारने की धमकी, पुलिस ने दर्ज की एफआईआर

इस विवाद के बीच वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष अंद्राबी को अब सोशल मीडिया हैंडल ‘कश्मीर फाइट’ से जान से मारने की धमकी मिली है। यह हैंडल लंबे समय से लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटा संगठन टीआरएफ से जुड़ा माना जाता है। धमकी में कहा गया है कि अंद्राबी की गोली मारकर हत्या कर दी जाएगी। आतंकियों ने उन पर आरएसएस से संबंध रखने का आरोप भी लगाया है।

इस घटना के बाद शनिवार को पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) और राष्ट्रीय सम्मान अपमान निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि यह मामला शांति भंग करने, दंगा भड़काने और आपराधिक साजिश रचने के आरोप में दर्ज किया गया है।

अनिल शर्मा
अनिल शर्माhttp://bolebharat.in
दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में उच्च शिक्षा। 2015 में 'लाइव इंडिया' से इस पेशे में कदम रखा। इसके बाद जनसत्ता और लोकमत जैसे मीडिया संस्थानों में काम करने का अवसर मिला। अब 'बोले भारत' के साथ सफर जारी है...
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