Friday, October 10, 2025
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‘जनता की अदालत’ वाली भूमिका जरूरी, इसका मतलब ये नहीं कि संसद में विपक्ष की भूमिका निभाएंः सीजेआई चंद्रचूड़

पणजीः सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि सर्वोच्च अदालत की भूमिका ‘जनता की अदालत’ के रूप में होनी चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह संसद में विपक्ष की भूमिका निभाए। उन्होंने यह बात दक्षिण गोवा में सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) द्वारा आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय कानूनी सम्मेलन में कही।

सीजेआई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 75 वर्षों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा विकसित किया गया न्याय तक पहुंच का सिद्धांत कभी खोना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा, “हमारी अदालत केवल बड़े मामलों को देखने वाली अदालत नहीं है, बल्कि एक ऐसी अदालत है जो लोगों के लिए है और इसे भविष्य में भी कायम रखना आवश्यक है।”

कोर्ट के काम को परिणामों के आधार पर नहीं देखा जाना चाहिए

सीजेआई ने कहा कि इस बात पर जोर दिया कि जनता की अदालत (पीपल कोर्ट) होना यह नहीं दर्शाता कि सुप्रीम कोर्ट विपक्ष की भूमिका निभाए। उन्होंने कहा, “आजकल, जब कोर्ट का निर्णय किसी के पक्ष में होता है, तो उसे शानदार कहा जाता है, लेकिन जब निर्णय उनके खिलाफ होता है, तो कोर्ट की आलोचना की जाती है। यह एक खतरनाक सोच है। कोर्ट के काम को परिणामों के आधार पर नहीं देखा जा सकता है। न्यायाधीशों को स्वतंत्रता के साथ हर मामले का निष्पक्ष निर्णय लेने का अधिकार होना चाहिए।”

चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि लोग अदालत के निर्णयों की आलोचना कर सकते हैं, लेकिन सिर्फ इस आधार पर कि फैसला उनके खिलाफ गया, कोर्ट की निंदा करना गलत है। उन्होंने कहा, “न्यायाधीश हर मामले के तथ्यों और कानूनी सिद्धांतों के अनुसार निर्णय लेते हैं और हमें इसे समझने की जरूरत है। यही हमारी न्यायपालिका की स्वतंत्रता को सुरक्षित रखने का आधार है।”

लाइव-स्ट्रीमिंग को एक महत्वपूर्ण बदलाव बताया

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कोर्ट की कार्यवाही के लाइव-स्ट्रीमिंग को एक महत्वपूर्ण बदलाव बताया, जो कोर्ट के कामकाज को जनता के घरों तक पहुंचाने में सहायक साबित हुआ है। हालांकि, उन्होंने यह भी माना कि लाइव-स्ट्रीमिंग के कुछ नकारात्मक पहलू भी हैं, जैसे वकीलों का दर्शकों को प्रभावित करने की कोशिश करना।

उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट केवल संवैधानिक विवादों का अंतिम निर्णायक नहीं है, बल्कि एक सामाजिक परिवर्तनकारी साधन भी है। यह परिवर्तन न केवल बड़े मामलों में आता है, बल्कि उन छोटे मामलों में भी होता है, जिन्हें हम रोजाना सुनते हैं और जिनसे देश की अदालतों को दिशा मिलती है।”

चंद्रचूड़ ने कहा कि भारतीय सुप्रीम कोर्ट की संरचना अन्य देशों की अदालतों, जैसे अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट, यूके सुप्रीम कोर्ट, या दक्षिण अफ्रीकी संवैधानिक अदालत से अलग है। यह एक ऐसी अदालत है, जो न्याय तक पहुंच के सिद्धांत पर आधारित है और समाज के हर तबके की समस्याओं को हल करने के लिए बनाई गई है।

इस अवसर पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने गोवा के राज्यपाल पी एस श्रीधरन पिल्लई द्वारा संपादित और संकलित पुस्तक ‘भारत के पारंपरिक वृक्ष’ का भी विमोचन किया और मर्सिस में नवनिर्मित जिला एवं सत्र न्यायालय परिसर का उद्घाटन किया।

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