काठमांडूः नेपाल में मचे हिंसक राजनीतिक उथल-पुथल का जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय संविधान की तारीफ की है। भारत के मुख्य न्यायधीश बीआर गवई ने कहा है कि हमें अपने संविधान पर गर्व है। सुप्रीम कोर्ट की ये टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब नेपाल के हालिया विरोध प्रदर्शनों के बीच नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं।
बुधवार (10 सितंबर) को CJI गवई समेत सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संवैधानिक पीठ राष्ट्रपति की एक संदर्भ याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में राज्यपालों द्वारा बिलों को मंजूरी देने की समयसीमा पर सवाल उठाए गए थे। पीठ में CJI के साथ जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस एएस चंदुरकर भी शामिल थे। इस दौरान मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा, “हमें अपने संविधान पर गर्व है… देखिए हमारे पड़ोसी राज्यों में क्या हो रहा है? नेपाल में हमने देखा। इस पर जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा- हां, बांग्लादेश में भी।”
नेपाल की राजनीति में मचा है भूचाल
गौरतलब है कि बीते 2-3 दिनों से नेपाल की राजनीति में भूचाल मचा हुआ है। सत्ता विरोधी प्रदर्शनों की शुरुआत सोशल मीडिया पर बैन लगाने के फैसले के बाद हुई। जब लोगों का आक्रोश दिखा, तो ये बैन वापस ले लिया गया। लेकिन तब तक देश में भ्रष्टाचार का मुद्दा भी इस विरोध प्रदर्शन में जुड़ गया और इसने हिंसक रूप धारण कर लिया।
कम से कम 19 प्रदर्शनकारियों की मौत और केपी शर्मा ओली के पीएम पद से इस्तीफे के बाद, सेना की मध्यस्थता में Gen Z प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की कोशिश की जा रही है। रिपोर्ट है कि प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति और सेना के समक्ष अपनी कुछ मांगें रखी हैं। उनकी मांग है कि इस आंदोलन के दौरान शहादत पाने वाले सभी युवाओं को आधिकारिक रूप से शहीद घोषित किया जाए। उनको सम्मान और राहत राशि उपलब्ध कराई जाए।
सुशीला कार्की चुनी गईं अंतरिम नेता
बेरोजगारी, पलायन और सामाजिक अन्याय को समाप्त करने के लिए विशेष कार्यक्रम लाए जाएं। उन्होंने संविधान संशोधन या फिर से लिखने के साथ-साथ देश में फैले भ्रष्टाचार की जांच की भी मांग की है।
इस बीच ऑनलाइन मीटिंग के जरिए जेन-जी प्रतिनिधियों ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम नेता चुना है। हालांकि पहले इस पद के लिए बालेंद्र शाह के नाम की चर्चा तेज थी लेकिन जेन-जी प्रोटेस्ट के प्रतिनिधियों ने कहा कि उनसे बात करने की कोशिश की गई लेकिन बात नहीं हो पाई जिसके चलते अन्य नामों पर चर्चा की गई।
बीते साल बांग्लादेश में भी सरकार के खिलाफ बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। इन प्रदर्शनों के चलते तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद छोड़ना पड़ा था। वह भारत आ गईं थीं और अभी भी नई दिल्ली में हैं। राजनैतिक तख्तापलट के बाद बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस को अंतरिम नेता चुना गया था।
वहीं, एक अन्य घटनाक्रम को देखें तो फ्रांस में भी बुधवार (10 सितंबर) को बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए। इस दौरान प्रदर्शनकारियों की सैन्य बलों से झड़प हो गई। प्रदर्शन कर रहे लोगों ने बसों में आग लगा दी और ट्रेनें भी ब्लॉक कर दीं। इमैनुएल मैक्रां की सरकार के खिलाफ ये प्रदर्शन सोमवार (8 सितंबर) को प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू के इस्तीफे के बाद और भी तेज हो गए। प्रदर्शनकारियों ने इस आंदोलन का नाम “ब्लॉक एवरीथिंग” दिया है, पुलिस ने 200 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया है।