Friday, October 10, 2025
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‘चीन ने गलती कर दी…’, बीजिंग के अमेरिका पर जवाबी 34% टैरिफ पर डोनाल्ड ट्रंप की तीखी प्रतिक्रिया

वॉशिंगटन: टैरिफ मुद्दो को लेकर अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। अमेरिका पर चीन के 34 प्रतिशत जवाबी टैरिफ के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि चीन ने घबराकर गलत कदम उठा लिया है। 

ट्रंप ने शुक्रवार को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर पोस्ट किया, “चीन ने घबराकर गलत कदम उठा लिया और यह एक ऐसी चीज है जो वे कतई बर्दाश्त नहीं कर सकते!” 

शुक्रवार को चीन ने अमेरिका से आयत होने वाले सभी उत्पादों पर 34% टैरिफ लगाने की घोषणा की। चीन ने बताया कि यह 10 अप्रैल से लागू होगा। चीन ने यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 34 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा के जवाब में उठाया। बीजिंग ने इसे अमेरिका की “एकतरफा धौंसपट्टी” करार दिया था और कहा था कि यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों के खिलाफ है। 

चीन के राज्य परिषद शुल्क आयोग ने कहा कि अमेरिका की यह नीति चीन के “वैध अधिकारों और हितों को गंभीर रूप से कमजोर करती है” और यह एकतरफा बदमाशी का एक उदाहरण है।

चीन ने दुर्लभ खनिजों का निर्यात रोका

चीन ने न केवल अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाए, बल्कि दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिए। जिनमें समेरियम, गेडोलिनियम, टर्बियम, डिसप्रोसियम, लुटेटियम, स्कैंडियम और इट्रियम शामिल हैं। ये खनिज उच्च तकनीक, चिकित्सा और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 

चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने यह भी घोषणा की कि 11 अमेरिकी कंपनियों को “अविश्वसनीय संस्थाओं” की सूची में जोड़ा गया है, जिससे वे चीन में व्यापार करने से प्रतिबंधित हो जाएंगी।

यूरोप और जापान की प्रतिक्रिया

गौरतलब है कि अमेरिकी टैरिफ को लेकर यूरोपीय संघ ने भी चिंता जताई है। यूरोपीय संघ के व्यापार प्रमुख मारोस सेफकोविच ने शुक्रवार को अमेरिका से बातचीत करने का निर्णय लिया और कहा कि “यूरोप शांत, सोच-समझकर और एकजुट तरीके से प्रतिक्रिया देगा।” हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि उचित समझौता नहीं हुआ, तो यूरोप चुप नहीं बैठेगा।

फ्रांस और जर्मनी ने अमेरिका के खिलाफ कर कार्रवाई करने का सुझाव दिया है, विशेष रूप से अमेरिकी टेक कंपनियों पर टैक्स लगाने की बात कही जा रही है। जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा ने भी अमेरिका द्वारा जापानी उत्पादों पर 24% टैरिफ लगाने पर “संयमित” प्रतिक्रिया देने की अपील की।

कार उद्योग पर प्रभाव

अमेरिका ने विदेशी निर्मित कारों पर 25% टैरिफ लागू कर दिया है, जिसके जवाब में कनाडा ने भी अमेरिकी आयातों पर समान कर लगा दिया है। इस बीच, स्टेलेंटिस (जीप, क्रिसलर और फिएट की मूल कंपनी) ने अपने कुछ कनाडाई और मैक्सिकन संयंत्रों में उत्पादन रोक दिया है। जापानी कार निर्माता निसान ने अमेरिका में उत्पादन कम करने की योजना बनाई है और दो वाहन मॉडलों की बिक्री बंद करने की घोषणा की है। वहीं, स्वीडन की वोल्वो कार्स, जो चीन की गीली कंपनी के स्वामित्व में है, ने अमेरिका में अपने उत्पादन को बढ़ाने की योजना बनाई है।

ट्रंप का आत्मविश्वास, अमेरिकी जनता की चिंता

ट्रंप ने कहा कि यह धनवान बनने का बेहतरीन समय है, जबकि अमेरिकी निवेशकों और सेवानिवृत्ति फंड धारकों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिकी शेयर बाजार लगातार दूसरे दिन गिरावट में रहा, जिसमें डॉव जोन्स और एसएंडपी 500 ने लगभग 3% का नुकसान दर्ज किया। वहीं, यूरोप और एशिया के बाजारों में भी गिरावट देखी गई।

हालांकि, अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने ट्रंप का समर्थन करते हुए कहा, “डोनाल्ड ट्रंप को वैश्विक अर्थव्यवस्था चलाने दें। उन्हें पता है कि वे क्या कर रहे हैं।”

ट्रंप सरकार के खिलाफ मुकदमा दायर किया

इस बीच, न्यू सिविल लिबर्टीज एलायंस (एनसीएलए) ने 3 अप्रैल को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ मुकदमा दायर कराया। इसका उद्देश्य ट्रंप को चीन से आयातित उत्पादों पर टैरिफ लगाने से रोकना है। एनसीएलए ने कहा कि ट्रंप अपने अधिकार से आगे निकल गए।

बताया जाता है कि यह मुकदमा फ्लोरिडा की संघीय अदालत में दायर किया गया। एनसीएलए ने ट्रंप के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम के अनुसार व्यापक टैरिफ लगाने और 1 फरवरी को टैरिफ लगाने की अनुमति करने का अभियोग लगाया।एनसीएलए एक गैर-लाभकारी सार्वजनिक हित कानूनी संगठन है। कोलंबिया लॉ स्कूल के प्रोफेसर फिलिप हैमबर्गर ने वर्ष 2017 में इसकी स्थापना की।

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