Wednesday, September 10, 2025
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रिश्तों में दरार! पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रोजेक्ट से पीछे हटा चीन, क्या है वजह?

माना जा रहा है कि चीन के एमएल-1 परियोजना से कदम पीछे हटाने और पाकिस्तान के एडीबी की ओर रुख करने का कदम CPEC के मूल विजन में एक बड़ा बदलाव है। रिपोर्टों के अनुसार चीन का एमएल-1 परियोजना से अलग होने का फैसला अचानक नहीं था।

चीन और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में क्या कोई बदलाव आया है? इसे लेकर सवाल उठने लगे हैं। दरअसल पाकिस्तान ने अपने पुराने रेलवे नेटवर्क के एक महत्वपूर्ण हिस्से के विकास के लिए फंड जुटाने के मकसद से एशियाई विकास बैंक (ADB) की ओर रुख किया है। अहम बात ये है कि यह परियोजना मूल रूप से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) में एक अहम और महत्वकांक्षी योजना मानी जा रही थी। एक तरह से ये सीपीईसी का केंद्रबिंदु था।

हालांकि, अब वर्षों की रुकी हुई बातचीत के बाद बीजिंग लाइन-1 (ML-1) परियोजना के वित्तपोषण से पीछे हटा हुआ है। इसके बाद पाकिस्तान अब इस लाइन के कराची-रोहरी खंड को अपग्रेड करने के लिए ADB से 2 अरब डॉलर का ऋण मांग रहा है।

माना जा रहा है कि चीन के कदम पीछे हटाने और पाकिस्तान के एडीबी की ओर रुख करने का कदम सीपीईसी के मूल विजन में एक बड़ा बदलाव है। दरअसल सीपीईसी के तहत चीन ने पूरे पाकिस्तान में ऊर्जा और परिवहन बुनियादी ढाँचे के लिए लगभग 60 अरब डॉलर के निवेश का वादा किया था। कराची से पेशावर तक लगभग 1,800 किलोमीटर लंबे एमएल-1 रेलवे अपग्रेडेशन को इन परियोजनाओं में सबसे बड़ी और सबसे अहम हिस्सा बताया गया था।

हालांकि लगभग एक दशक के कूटनीतिक प्रयासों के बाद भी चीन की ओर से इस संबंध में फंडिंग शुरू नहीं हो सकी। ऐसे में अब, एडीबी के हस्तक्षेप के साथ पाकिस्तान पहली बार किसी बहुपक्षीय ऋणदाता को उस परियोजना का हिस्सा बनने की अनुमति दे रहा है जिसे कभी इस क्षेत्र में चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (बीआरआई) के लिए अहम माना जाता था।

चीन क्यों हटा पीछे, क्या है इसके मायने?

रिपोर्टों के अनुसार चीन का एमएल-1 परियोजना से अलग होने का फैसला अचानक नहीं था। दरअसल, पाकिस्तान की बिगड़ती वित्तीय स्थिति और उसके कर्ज चुकाने में की दिक्कतों को देखते हुए इस परियोजना को लेकर बीजिंग में चिंताएँ बढ़ रही थीं। खासकर बिजली क्षेत्र में चीन के लिए चिंता और बढ़ी हुई है, जहाँ चीनी कंपनियाँ पहले ही अरबों का निवेश कर चुकी हैं।

इकोनॉमिक्स टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार चीन के पीछे हटने की एक वजह उसकी अपनी अर्थव्यवस्था में बढ़ा दबाव भी हो सकता है। इसे लेकर वह विदेशी निवेशों में सावधानी बरतने की कोशिश कर रहा है। वह जोखिम भरे निवेशों से पीछे हट रहा है। चीन जोखिम वाले देशों में बड़े पैमाने पर वित्तपोषण के पक्ष में फिलहाल नहीं है। पाकिस्तान ऐसे ही जोखिम वाले देशों में शामिल है। इस्लामाबाद बढ़ते ऋण और बार-बार आईएमएफ द्वारा दिए जाने वाले बेलआउट की वजह से पाकिस्तान उस लिस्ट में एक तरह से फिट बैठ रहा है, जहां चीन को सावधानी बरतने की जरूरत है।

इसके वित्तीय के साथ-साथ भू-राजनीतिक भी निकाले जा रहे हैं। चीन द्वारा अपनी सबसे बड़ी सीपीईसी प्रतिबद्धता से पीछे हटना यह भी दर्शाता है कि जब पैसे की बात आती है, तो ‘अटूट दोस्ती’ में भी फर्क आ सकता है।

एमएल-1 परियोजना से चीन का बाहर निकलना भले ही सीपीईसी पर तत्काल कोई खतरा नहीं है, लेकिन इसकी गति में आई कमी को जरूर दर्शाता है। चीन ने शुरुआत में तेजी से सीपीईसी के लिए पैसे झोंके। 2015 और 2019 के बीच राजमार्गों, बिजली संयंत्रों और बंदरगाहों के निर्माण सहित कई गतिविधियों के बाद सीपीईसी की आखिरी बड़ी परियोजना ग्वादर ईस्ट बे एक्सप्रेसवे साल 2022 में पूरी हुई। इसके बाद से प्रगति धीमी है। चीनी बिजली उत्पादकों का भारी पैसा पाकिस्तान ने नहीं चुकाया है और अब ये भी एक गंभीर समस्या बन गई है।

पाकिस्तान के लिए ML-1 रेलवे लाइन की अहमियत क्या है?

दरअसल, एमएल-1 को तेजी से अपग्रेड करने के पीछे बलूचिस्तान में रेको दिक तांबे और सोने की खदानें हैं। कनाडा की खनन कंपनी बैरिक गोल्ड द्वारा विकसित की जा रही यह खदान दुनिया के सबसे बड़े अप्रयुक्त खनिज संसाधनों में से एक हो सकती है। आने वाले वर्षों में यह पाकिस्तान के राजस्व को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकती है।

पाकिस्तान के लिए मुश्किल ये है कि इस इलाके से मिलने वाली खनिज को ट्रांसपोर्ट करने के लिए मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद नहीं है। मौजूदा रेलवे लाइन बेहद पुरानी है और रेको डिक परिचालन से मिलने वाले भारी खनिज की मात्रा और भार को वहन करने में असमर्थ है। आधुनिक एमएल-1 के बिना खदान का पूरा फायदा नहीं उठाया जा सकता।

हाल में अमेरिका भी रेको दिक में दिलचस्पी दिखा रहा है। हाल में पाकिस्तान और अमेरिका के संबंधों ने इसका इशारा दिया है। यह संकेत है कि पाकिस्तान भी केवल चीन पर निर्भर नहीं रहना चाहता। दूसरी ओर पाकिस्तान फिलहाल चीन से भी संबंध खराब नहीं करना चाहता। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान ने एडीबी से कर्ज लेने संबंध योजनाओं के बारे में पहले से चीन को बता दिया है और उससे सहमति भी ले ली है।

विनीत कुमार
विनीत कुमार
पूर्व में IANS, आज तक, न्यूज नेशन और लोकमत मीडिया जैसी मीडिया संस्थानों लिए काम कर चुके हैं। सेंट जेवियर्स कॉलेज, रांची से मास कम्यूनिकेशन एंड वीडियो प्रोडक्शन की डिग्री। मीडिया प्रबंधन का डिप्लोमा कोर्स। जिंदगी का साथ निभाते चले जाने और हर फिक्र को धुएं में उड़ाने वाली फिलॉसफी में गहरा भरोसा...
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