Friday, October 10, 2025
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अमेरिका के साथ टैरिफ पर तनातनी के बीच चीन को आई भारत की याद, ‘साथ चलने’ का रखा प्रस्ताव

नई दिल्ली: चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने शुक्रवार को कहा कि भारत और चीन के बीच ‘सीमा को लेकर सवाल’ और कुछ अन्य मतभेदों की वजह से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध प्रभावित नहीं होने चाहिए। बीजिंग में अपने वार्षिक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री यी ने ये बातें कही। 

चीनी विदेश मंत्री ने कहा कि रूस के कजान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच सफल बैठक के बाद पिछले साल भारत-चीन के संबंधों में सकारात्मक प्रगति हुई है। यी ने कहा, ‘दो प्राचीन सभ्यताओं के रूप में, हमारे पास सीमा मुद्दे के निष्पक्ष और उचित समाधान तक सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए पर्याप्त समझ और क्षमता है।’ 

उन्होंने कहा, ‘हमें द्विपक्षीय संबंधों को कभी भी सीमा को लेकर प्रश्न या विशिष्ट मतभेदों से परिभाषित नहीं होने देना चाहिए, जिससे हमारे द्विपक्षीय संबंधों की समग्र तस्वीर प्रभावित हो। चीन का मानना ​​है कि सबसे बड़े पड़ोसी होने के नाते, दोनों देशों को एक-दूसरे की सफलता में भागीदार होना चाहिए।’

पीएम मोदी और जिनपिंग की बैठक का जिक्र

चीनी विदेश मंत्री ने कहा कि शी जिनपिंग और पीएम नरेंद्र मोदी ने कजान बैठक में संबंधों को बेहतर बनाने के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन किया। इसके बाद, दोनों पक्षों ने इन नेताओं की महत्वपूर्ण आम समझ का ईमानदारी से पालन किया। उन्होंने कहा, ‘सभी स्तरों पर आदान-प्रदान और व्यावहारिक सहयोग को मजबूत किया गया और सकारात्मक परिणाम हासिल हुआ।’ 

गौरतलब है कि चीनी विदेश मंत्री का ऐसा बयान भारत और चीन द्वारा पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक में दोनों देशों की सेनाओं के पीछे हटने की कवायद पूरा होने के महीनों बाद हुआ है। सेनाओं के पीछे हटने से 54 महीने पुराना सैन्य गतिरोध समाप्त हो गया था और इसे भारत-चीन संबंधों के सामान्य होने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। 

समझौते को अंतिम रूप देने के बाद पीएम मोदी और शी जिनपिंग ने 23 अक्टूबर को कजान में बैठक की थी। इसके बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन विदेश मंत्री वांग ने 18 दिसंबर को बीजिंग में 23वीं विशेष प्रतिनिधि (एसआर) वार्ता में हिस्सा लिया था।

इसके बाद 26 जनवरी को विदेश सचिव विक्रम मिस्री चीन की राजधानी पहुंचे थे और अपने चीनी समकक्ष सन वेइदोंग के साथ ‘विदेश सचिव-उपमंत्री’ मेकानिज्म के तहत वार्ता की थी।

अमेरिका के साथ टैरिफ वॉर के बीच चीन के बदलते सुर

अमेरिका के साथ चल रहे टैरिफ वॉर पर चीनी विदेश मंत्री वांग ने कहा कि ग्लोबल साउथ के महत्वपूर्ण सदस्यों के रूप में भारत और चीन को आधिपत्यवाद और पावर पॉलिटिक्स के खिलाफ साथ आकर विरोध जताना चाहिए। 

उन्होंने कहा, ‘ड्रैगन और एलिफेंट के बीच साझेदारी दोनों पक्षों के लिए एकमात्र सही विकल्प है। हमारे पास एक-दूसरे को कमतर आंकने या एक-दूसरे को कमतर आंकने की बजाय एक-दूसरे का समर्थन करने के हर कारण है।’ 

यी ने कहा कि दोनों देशों को एक-दूसरे के खिलाफ चौकसी बरतने की बजाय एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘यह एकमात्र रास्ता है जो वास्तव में दोनों देशों के मौलिक हितों के अनुरूप है। ग्लोबल साउथ के महत्वपूर्ण सदस्यों के रूप में, हमारे पास आधिपत्यवाद और शक्ति की राजनीति का विरोध करने की अगुवाई करने की जिम्मेदारी है।’ 

यह भी पढ़ें- अमेरिका-कनाडा व्यापार विवाद: कनाडा ने जवाबी टैरिफ पर लगाम लगाई, ट्रंप के फैसले के बाद 2 अप्रैल तक रोक

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