मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा ज़िले में दूषित कफ सिरप पीने से 14 बच्चों की मौत के मामले में सोमवार को राज्य सरकार ने बड़ी कार्रवाई की। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने एक उच्च-स्तरीय बैठक के बाद राज्य के ड्रग कंट्रोलर दिनेश मौर्या का तबादला कर दिया, जबकि दो ड्रग इंस्पेक्टर और खाद्य एवं औषधि प्रशासन के एक उप निदेशक को निलंबित कर दिया गया है।
निलंबित किए गए अधिकारियों में छिंदवाड़ा और जबलपुर में तैनात ड्रग इंस्पेक्टर गौरव शर्मा और शरद कुमार जैन शामिल हैं। उप निदेशक के रूप में शोभित कोस्टा को निलंबित किया गया है। गौरतलब है कि सिरप कांड को लेकर मुख्यमंत्री ने सोमवार को अपने आवास पर उच्चस्तरीय बैठक की और इसके बाद यह कार्रवाई की। मुख्यमंत्री ने दिन में परासिया जाकर मृत बच्चों के परिजनों से मुलाकात भी की थी। इस दौरान उन्होंने आश्वासन दिया कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
सितंबर की शुरुआती हफ्ते में कुछ बच्चों को हल्के बुखार और सर्दी की शिकायत हुई थी। इन बच्चोँ को सामान्य दवाइयां और खांसी के लिए कोल्ड्रिफ सिरप दी गई। कुछ दिनों के लिए बच्चे ठीक होने लगे लेकिन दुबारा से वहीं लक्षण फिर से उभरने लगे। इस दौरान बच्चों में पेशाब की मात्रा कम होने लगी और उनके किडनी में संक्रमण बढ़ गया। बाद में किडनी बायोप्सी से डाइएथिलीन ग्लाइकॉल की मौजूदगी सामने आई।
प्रभावित बच्चों को पहले छिंदवाड़ा जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन हालत गंभीर होने पर कई बच्चों को बेहतर इलाज के लिए महाराष्ट्र के नागपुर भेजा गया। नागपुर में तीन और छिंदवाड़ा में छह बच्चों की मौत हो गई। वहीं राजस्थान में भी इस संदिग्ध सिरप के सेवन से 2 बच्चों की मौत की खबर भी सामने आई जिसके बाद सरकार ने ड्रग कंट्रोलर को सस्पेंड कर दिया था।
कोल्ड्रिफ सिरप की तमिलनाडु एफडीए की जांच में इन नमूनों में जहरीले रसायन डायएथिलीन ग्लाइकोल (डीईजी) अनुमत सीमा से अधिक पाया गया। रविवार को छिंदवाड़ा के डॉ. प्रवीण सोनी को निलंबित कर दिया गया जिसके बाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। डॉक्टर सोनी प्रवीण सोनी वही डॉक्टर हैं जिन्होंने बच्चों को संदिग्ध खांसी की दवा कोल्ड्रिफ (Coldrif) सिरप लिखी थी। प्रवीण सोनी और कोल्ड्रिफ कफ सिरप बनाने वाली कंपनी सरेसन फार्मास्युटिकल (कांचीपुरम, तमिलनाडु) के खिलाफ तीन धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।
विपक्ष का हमला, 10 लाख मुआवजे की मांग
विधानसभा में विपक्ष के नेता उमंग सिंघार ने मुख्यमंत्री मोहन यादव और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार ने इस त्रासदी को गंभीरता से नहीं लिया। उन्होंने प्रत्येक मृतक बच्चे के परिवार को 10 लाख रुपये मुआवजा और एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की। सिंघार ने सवाल उठाया कि ड्रग कंट्रोलर पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई, जबकि वही दवा निर्माताओं की निगरानी के लिए जिम्मेदार हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच, सभी संदिग्ध सिरपों की मानकीकृत जांच और जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
उत्तराखंड में अलर्ट और दो सिरपों पर बैन
कोल्ड्रिफ में जहरीले रसायन डायएथिलीन ग्लाइकोल की बात सामने आने के बाद देश के कई राज्य सतर्क हो गए हैं। तमिलनाडु, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश केरल समेत कई राज्यों ने इस सिरप की बिक्री पर रोक लगा दिए हैं।
सोमवार को उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग ने भी इसकी बिक्री रोक दी। राज्य सरकार अलर्ट जारी करते हुए दो खांसी की दवाओं- कोल्ड्रिफ और डेक्स्ट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड आधारित सिरप की बिक्री पर तत्काल प्रतिबंध लगा दिया है।
रविवार को राज्यभर में मेडिकल स्टोर्स और अस्पतालों में छापेमारी की गई। अतिरिक्त आयुक्त तजवर सिंह के अनुसार, अब तक 49 नमूने विभिन्न सिरप फैक्ट्रियों, मेडिकल स्टोर्स और सरकारी अस्पतालों से लिए गए हैं और इन्हें जांच के लिए लैब भेजा गया है।
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया कि बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह ऐतिहासिक एहतियाती कदम उठाया गया है। उन्होंने कहा कि दवा नियंत्रण विभाग को सख्त निगरानी रखने और बाजार में पहले से मौजूद स्टॉक को सील करने के निर्देश दिए गए हैं। सभी जिलों के ड्रग इंस्पेक्टरों को आदेश दिया गया है कि वे दुकानों और अस्पतालों से इन सिरपों को जब्त कर वापस मंगाएं।
केंद्र सरकार ने भी एक राष्ट्रव्यापी सलाह जारी की है, जिसमें दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी भी प्रकार का खांसी सिरप देने से मना किया गया है और चार वर्ष से कम आयु के बच्चों में विशेष सावधानी बरतने को कहा गया है।